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वक्फ बिल को लेकर जदयू में महाभारत

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Apr 16
  • 12 min read
तेजस्वी का दावा हमारी सरकार बनी तो बिल को कूड़ेदान में फेंक देंगे

वक्फ बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो चुका है। राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद बहुत जल्दी यह कानून बन गया। लेकिन उससे पहले इस बिल को लेकर बिहार की राजनीति में बहुत बड़ा महाभारंत शुरू हो चुका है। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर के मुस्लिम नेता एक के बाद एक इस्तीफा दे रहे हैं, वहीं जदयू के वरिष्ठ नेतांर्ताओं ने चुप्पी साध ली है। बिहार की राजनीति में दबद‌बा रखने वाले जदयू के किसी नेता ने अब तक ना तो पार्टी से इस्तीफा दिया है और ना ही कोई बड़ा आंदोलन करने का फैसला लिया है। हालांकि बिल पास होने से एक या दो दिन पहले जदयू के एमएलसी गुलाम गौस लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए राबड़ी आवास पहुंचे और वहां उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि यह बिल मुस्लिम समाज के लिए घातक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसका समर्थन नहीं करना चाहिए। वहीं राज्यसभा के पूर्व सांसद और जदयू के नेता गुलाम रसूल बलियावी ने वीडियो जारी कर कहां की विचार मंथन का दौर चल रहा है हम लोगों के लिए बुरा समय है और सबको मिलजुल कर इसका प्रतिकार करना होगा और रणनीति बनाकर काम करना होगा।


लेकिन दूसरी और लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल जो कि बिल का पहले भी पुरजोर तरीके से विरोध कर रही थी और बिल पास होने के बाद भी विरोध कर रही है, उसने बड़ा ऐलान कर दिया। लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के दौरांन सुधाकर सिंह और मनोज झा ने अपनी बातों को मजबूती से रखा हालांकि लोकसभा में अधिक सांसद नहीं होने के कारण आरजेडी इस बिल को रोकने में नाकामयाब रही। बिल पास होने के एक दिन बाद तेजस्वी यादव और मनोज झा पत्रकारों के सामने आए और उन्होंने खुलकर कह दिया कि हम लोग इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं और हमने केस दर्ज कर दिया है। तेजस्वी यादव ने तो इतना तक कह दिया कि अगर बिहार में हमारी सरकार बनती है तो इस वक्फ बिल को कूड़ेदान में फेंक देंगे किसी भी कीमत पर इस बिल को बिहार में लागू नहीं होने देंगे। साथ ही तेजस्वी ने कहा कि जब देश में सिटिजन अमेंडमेंट बिल लाया गया और इसको लेकर लोगों को धमकाया गया तो बिहार ने उन लोगों को यह बताने का काम किया था कि कुछ भी हो जाए बिहार में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे। एक भी मुसलमान भाई को परेशान नहीं होने देंगे। इस तरह से आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद और सरकार बनने के बाद हमारी सरकार इस बिल का विरोध करेगी और बिहार में इसे लागू नहीं होने देगी। तेजस्वी यादव ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचेत अवस्था में चले गए हैं। जो लोग मुसलमानो का हितैषी होने का ढोंग करते हैं उनका पोल खुल गया है। वक्फ संशोधन विधेयक असंवैधानिक बिल है और इसमें संविधान का आर्टिकल 26 का उल्लंघन किया गया है। भाजपा और ओरएसएस लगातार संविधान विरोधी कार्य कर रही है और देश के लोगों को बांटना चाहती है। इस तरह का कार्य वो अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए कर रही है। इस तरह के अन्यायपूर्ण बिल के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल कोर्ट में गया है और सदन से लेकर सड़क और कोर्ट तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी। राष्ट्रीय जनता दल सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के उसूलों पर रहते हुए इस बिल के खिलाफ पूरी मजबूती से लालू प्रसाद जी के नेतृत्व में इसका विरोध करती रहेगी और किसी भी कीमत पर देश के संविधान के खिलाफ जो कार्य केन्द्र सरकार के द्वारा किये जा रहे हैं उसको आगे बढ़ने नहीं देगी।



बिहार के मुख्यमंत्री अचेत अवस्था में हैं। मुख्यमंत्री जी सहित जो स्वयं को सेक्युलर लीडर कहते रहे हैं और जो सेक्युलर पार्टी खुद को कहती रही है उसका पदार्फाश हो गया। ये लोग विचार धारा की राजनीति नहीं बल्कि कहीं न कहीं नरेन्द्र मोदी के पक्ष में खड़े होकर उनका विश्वास जीतने में लगे रहे। लेकिन ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि मुसलमानों का हितैषी होने का ढोंग करने. से कुछ नहीं होगा।


तेजस्वी ने ये भी कहा कि मुसलमानों को खुलेआम गाली देने वाले और संसद में मुसलमानों को मुल्ला कहने वाले, मुसलमानों के हित की बात कब से करने लगे जबकि प्रधानमंत्री कपड़ों से पहचानने, घुसपैठिये, ज्यादा बच्चा पैदा करने वाले, मंगल सूत्र छीनने वाले और मुजरा जैसी बातें करके ये पहले ही बता चुके हैं कि भाजपा की सोच क्या है और जो लोग उनके साथ खड़े हैं वो कहीं न कहीं मुसलमानों के हितों का नुकसान कर रहे हैं।


जनता दल यू,. भाजपा के अल्पसंख्यक विरोधी प्रकोष्ठ के तौर पर काम कर रही है। जब इतना महत्वपूर्ण विषय सामने है तो मुख्यमंत्री जी वक्फ संशोधन विधेयक पर एक शब्द नहीं बोल रहे हैं और चुप्पी साध लिये हैं। मुख्यमंत्री का एक भी शब्द नहीं बोलना और महत्वपूर्ण विषयों पर चुप्पी से ऐसा लग रहा है कि सरकार कैसे चल रही है।।


तेजस्वी ने ये भी कहा कि जदयू में बगावत शुरू होने के बाद और मुसलमान नेताओं के द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के बाद जदयू के मुस्लिम नेताओं को पद बचाने की धमकी और लोभ देकर कुछ मुस्लिम नेताओं को प्रेस कांफ्रेंस करने. के लिए जदयू कार्यालय में बैठाया गया। लेकिन कुछ ही मिनट में उन सब का पोल खुल गया। क्योंकि सच और सच्चाई का वो लोग सामना नहीं कर पाये और आधी अधूरी ही अपनी बात रख पाएं। प्रेस वार्ता में जो लोग भी बैठे हुए थे ऐसा लग रहा था कि उनको जबरदस्ती बैठाया गया है और इस दौरान सभी लोग मुंह लटकाये बैठे हुए दिखे। वही राष्ट्रीय जनता दल जेपीसी के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल के समक्ष 18 प्वाइंट मजबूती से रखा है और इसके लिए ईमेल भी किया गया है। जो लोग ऐसी बातें कर रहे हैं उनको अपनी बात बतानी चाहिए कि वो किसके साथ खड़े हैं। मंडल वाले दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, आदिवासी का भला नहीं चाहते हैं इनलोगों ने मंडल कमीशन के समय कमंडल रथ को देखा है कि किस तरह से उनके हक और अधिकार को ये छीनना चाहते थे और जब 65 प्रतिशत आरक्षण बिहार में महागठबंधन सरकार ने लागू किया और नौवीं अनुसूची में डालने के लिए प्रस्ताव भेजा ती इसी कमंडलवादी राजनीति करने वालों ने मंडल वाले का अधिकार छीना और 16 प्रतिशत आरक्षण की चोरी की है। एक बात समझ लेना चाहिए कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद जी हमेशा वक्फ की मजबूती के लिए कार्य किये हैं और उनका स्पष्ट सोच रहा है कि ऐसे गैर संवैधानिक कार्यों के खिलाफ हमसभी मजबूती से लड़ाई को आगे बढ़ायें। सभी लोगों ने देखा कि लालू प्रसाद जी बीमार रहते हुए भी वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आयोजित धरना में शामिल हुए।


प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल सुन भाग खड़े हुए जदयू के तमाम मुस्लिम नेता


लोकसभा और राज्यसभा में बिल पास होने के बाद जदयू की फजीहत हो रही है। ललन सिंह और संजय कुमार झा के अलावा जदयू के एक भी बड़े नेता इस बिल का समर्थन नहीं कर पा रहे हैं खासकर मुस्लिम समाज के नेताओं से पत्रकारों द्वारा जब कभी इन बिल को को लेकर सवाल पूछा जाता था तो एक ही रटा रटाया जवाच मिलता था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुस्लिम समाज के हितेषी हैं और उन्होंने अब तक जितना काम मुस्लिम समाज के लिए किया है उतना आज तक किसी ने नहीं किया।


कुछ ऐसा ही जवाब रटकर बिल पास होने के बाद 5 अप्रैल 2025 को पटना स्थित जदयू कार्यालय में प्रवक्ता अंजुम आरा सहित तमाम मुस्लिम नेता पत्रकारों के सामने उपस्थित हुए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कुछ हुआ वह हम आपको आगे बताएंगे लेकिन पहले यह जान लीजिए कि इस प्रेस वार्ता में मुस्लिम समाज के कौन-कौन लोग उपस्थित थे जिन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना प्रतिनिधि बनकर इस बिल का बचाव करने के लिए भेजा था। संवाददाता सम्मेलन में मुख्य रूप से राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान, एमएलसी गुलाम गौस, खालिद अनवर, अहमद अशफाक करीम, पूर्व सांसद (रास), कहकशां परवीन, पूर्व सांसद (रास), सलीम परवेज, पूर्व उपसभापति, बि०वि०प०, सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष मो० इरशादुल्लाह, शिया बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद अफजल अब्बास, प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रभारी मेजर इकबाल हैदर, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ अंसारी, प्रदेश महासचिव आसमां परवीन, मद्रसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल कय्यूम अंसारी, वरीय नेता इमामउद्दीन राईन, मीडिया पैनलिस्ट अकबर अली आदि उपस्थित रहे।


प्रेस वार्ता में अंजुम आरा ने पत्रकारों को बताते हुए कहा कि जब वक्फ बिल को लाया गया था तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कहने पर केंद्र की मोदी सरकार ने जेपीसी का गठन किया था। और इसमें हमने पांच सुझाव दिए थे पांचो सुझाव को वर्तमान बिल में मान लिया गया है। अंजुम आरा के अनुसार नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने जिन पांच सुझाव के बारे में बताया उन्हें पहले बारी-बारी से जान लेते हैं। क्योंकि अभी इस बिल को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है।


  • जमीन राज्य का मामला है, इसलिए नए कानून में भी ये प्राथमिकता बरकरार रहे,

  • नया कानून पूर्वप्रभावी नहीं हो

  • अगर वक्फ की कोई सम्पत्ति रजिस्टर्ड नहीं है, लेकिन उस पर कोई धार्मिक भवन मसलन मस्जिद, दरगाह आदि बनी हो तो उससे कोई छेड़छाड़ न की जाये और उसका स्टेटस बरकरार रखा जाये

  • वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति के डिजिटलाइजेशन के लिए छह महीने की समय-सीमा बढ़ाई जाये आदि।

    इन संशोधनों के बाद शंका की कोई बात नहीं रह जाती ।

जदयू की नेता अंजुम आरा की बातों पर विश्वास करें तो इन पांच मुद्दों को जेपीसी के माध्यम से नीतीश कुमार ने वक्फ बिल में शामिल करवाया है। और इसके बाद जब पत्रकारों ने पहला सवाल पूछा कि ललन बाबू कहते हैं कि मुसलमान समाज के लोग जिस जमीन पर उंगली रख देते हैं वह वक्फ हो जाता है... इस पर आपका क्या कहना है... इसी बीच एक अन्य पत्रकार ने पूछा कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम दो सदस्यों को शामिल किया जा रहा है क्या आपने जेपीसी में इसका विरोध किया था या नहीं...



जवाब देने के बदले जदयू के तमाम मुस्लिम नेता एक-एक कर प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठ जाते हैं और सभागार में हो हंगामा शुरू हो जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो जदयू के अंदर जितने भी मुस्लिम समाज के नेता हैं वह इस बिल के पास होने के बाद असहज और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।


अब सवाल उठता है कि जब इस बिल को लेकर जदयू के अंदर और पूरे बिहार के अंदर मुस्लिम् समाज के लोगों में एक डर फैला हुआ है तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डायरेक्ट सामने आकर क्यों नहीं कह रहे हैं कि इस बिल के पास होने के बाद भी बिहार के मुस्लिम समाज के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है और अगर कुछ इस बिल में गड़बड़ी पाया जाता है तो उसे बाद में सुधार करवा लिया जाएगा। हालांकि जब पांच अप्रैल को बाबू जगजीवन राम की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों को देखकर नीतीश कुमार खुद चलकर बाइट देने आए तो लगा कि वक्फ बिल पर कुछ बड़ा बयान देंगे। लेकिन यह क्या पत्रकार पूछते रह गए और मुख्तमंत्री नीतीश कुमार सबको नमस्ते. करते हुए तुरंत चले गए। वक्फ बिल पर कुछ भी नहीं बोले।


नीतीश कुमार ने अब तक मुस्लिम समाज के लिए क्या-क्या किया


वक्फ पास होने से पहले भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा से लेकर कई बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि मुस्लिम समाज के लिए जितना काम उन्होंने किया उतना काम बिहार में आज तक किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया है। तो लीजिए जान लेते हैं कि साल 2005 से लेकर अब तक नीतीश सरकार ने मुस्लिम समाज के लोगों के लिए क्या-क्या किया है।


कब्रिस्तान की घेराबंदी, हुनर और औजार योजना, परित्यक्ता नारी के लिए पेंशन, कलीमी मरकज, मदरसों को मान्यता, मदरसा में कार्यरत शिक्षकों की सेवा-शों में सुधार, अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए निःशुल्क कोचिंग जैसी योजनाओं ने मुसलमानों का नीतीश जी पर भरोसा बढ़ाया। उनके शासनकाल में अल्पसंख्यक कल्याण का बजट 282 गुणा बढ़ा।


जदयू नेत्री अंजुम आरा कहती है कि तथाकथित सेक्यूलर लालू जी ने भागलपुर के दंगाइयों को बचाने का राजनीतिक कुकृत्य किया। साथ ही उनके कार्यकाल में 12 साम्प्रदायिक दंगे हुए। उदाहरणस्वरूप, 1992 में केवल सीतामढ़ी में 48 लोग मारे गए। क्या राजद यह बताएगा कि दंगे में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई?


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाने के मामले में कितने संजीदा हैं, इसका एक बड़ा उदाहरण ये है कि कांग्रेस के राज में भागलपुर में 1989 में हुए दंगे के जिन गुनहगारों को लालू-राबड़ी शासनकाल में 15 वर्षों तक बचाया जाता रहा, उनलोगों को बिहार की बागडोर संभालने के बाद नीतीश कुमार जी ने सजा दिलाने और पीड़ितों को न्याय और पेंशन देने का काम किया।


सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आजाद हिन्दुस्तान में केवल एक राजनेता नीतीश कुमार जी हैं जो अल्पसंख्यक भाई-बहनों और उनके परिवार को, कांग्रेस काल में और लालू-राबड़ी शासनकाल में हुए दंगों के कारण नवंबर 2005 तक विस्थापित रहे, उनको उनके जमीन और घर पर कब्जा दिलवाया। कांग्रेस बताए कि पूरे देश में उनके शासनकाल में क्या विस्थापित दंगा पीड़ितों को कहीं बसाया गया? नीतीश कुमार जी के रहते कोई ऐसी ताकत नहीं जो बिहार में अल्पसंख्यकों के हितों, उनकी सुरक्षा, उनके अधिकार और उनके मान-सम्मान से कोई छेड़‌छाड़ कर सके। सर्वधर्म सदभाव और पूरा बिहार हमारा परिवार की सोच से नीतीश कुमार डिग जाएं, ये संभव ही नहीं। नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों के मसले पर आज तक ना तो कोई समझौता किया है, ना करेंगे। अल्पसंख्यक समाज की आस्था उनमें थी, है और हमेशा रहेगी।


नीतीश के एमएलसी गुलाम गौस का छलका दर्द, कहा वक्फ बिल के नाम पर संविधान का उल्लंघन हुआ है


कहते हैं कि कुछ तो मजबूरियां रही होगी. वरना यूं ही कोई बेवफा नहीं होता। वक्फ बिल पास होने के बाद जदयू के अधिकांश मुस्लिम समाज के नेता के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। हमने आपको पहले भी बताया था कि जदयू के एमएलसी गुलाम गौस इस बिल का विरोध कर रहे थे और ईद के दिन लालू यादव से मिलने राबड़ी आवास पहुंचे थे। बाहर उन्होंने पत्रकारों को बताया था कि जो बिल केंद्र की मोदी सरकार ला रही है वह गलत है। वक्फ बिलं पास होने के बाद गुलाम गौस ने खुलकर कहा कि इस बिल के जरिए केंद्र की मोदी सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है जो सही नहीं है। मुस्लिम समाज के लोगों से उनका हक छीना जा रहा है। हमारे बाप दादाओ ने जो हमें जमीन दान में दी है उसे जबरदस्ती छीनने का प्रयास किया जा रहा है। गुलाम गौस की माने तो यह बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के विरुद्ध है। संविधान का अनुच्छेद 14, लोगों को समानता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 15, संवैधानिक आजादी की स्वतंत्रता देता है। अनुच्छेद 26, धार्मिक संगठन स्कूल कॉलेज को लेकर बात करता है। इस बिल में तीनों नियम का खुलकर उल्लंघन किया गया है। इस देश में विगत कुछ सालों से मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है कभी सीएए के. नाम पर तो कभी एनआरसी के नाम पर। कभी ट्रिपल तलाक और धारा 370 के नाम पर तो कभी लव जिहाद और मॉब लिंचिंग के नाम पर। अगर देश के गृह मंत्री अमित शाह और किरण रिजजू को मुस्लिम समाज के पसमांदा समाज से इतना प्रेम है तो तिलोक़ सच्चर कमेटी की अनुशंसा को क्यों नहीं लागू करते हैं। बीजेपी वाले महिला सम्मान की बात करते हैं तो बिलकिस बानो के आरोपियों का महिमा मंडन क्यों किया गया। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि पटना महावीर मंदिर के संचालन में या उसके ट्रस्ट में कोई मुस्लिम सदस्य रह सकता है क्या?


वक्फ बिल के पास होने से नाराज है देश का मुस्लिम समाज, जदयू एमएलसी खालिद अनवर का दर्द

वक्फ बिल पास होने के बाद गुलाम गौस के बाद जदयू के एमएलसी खालिद अनवर का भी दर्द छलक पड़ा। वह मानते हैं कि इस बिल के पास होने के बाद से बिहार सहित देश भर के मुसलमान न सिर्फ हैरान परेशान है बल्कि केंद्र की मोदी सरकार से नाराज भी हैं। मैं अपने समाज के लोगों के साथ हूं। अगर मेरे कम्युनिटी के लोग खुश होंगे तो मैं भी इस बिल के पास होने के बाद खुश हूं अगर हमारे समाज के लोग इस बिल के पास होने से



नाराज है तो मैं भी नाराज हूं। मैं अपनी मिल्लतं अपने समाज और बिहार के मुस्लिम लोगों की बात कर रहा हूं। आपके लिए एमएलसी का पद अधिक महत्वपूर्ण है या मुस्लिम समाज ? खालिद अनवर इस बात का जवाब देते हुए कहते हैं की सबसे पहले मुस्लिम समाज के लोग और हमारी पार्टी हमारे लिए महत्वपूर्ण है पद कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं। एमएलसी का पद आता और जाता रहता है। खालिद अनवर यह भी स्वीकार करते हैं कि जेपीसी बनने के बाद मैं इसमें शामिल रहा हूं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को जेपीसी के सदस्यों से मिलवाने में मैंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारी पार्टी की ओर से जिन पांच सुझावों को दिया गया था उसे स्वीकृत करवाने में भी मेरा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसीलिए मैं जानता हूं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। हालांकि वे यह भी आरोप लगाते हैं कि कुछ मीडिया, पत्रकारों ने मुस्लिम समाज के लोगों के बीच गलत धारणाएं परोसने का काम कर रही है।


वक्फ की जायदाद अल्लाह की अमानत, काला कानून वापस लेना होगा

वक्फ बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद अब देश भर में कानून बन चुका है। इस कानून का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और अमौर विधायक अख्तरुल ईमान ने इसे काला कानून बताते हुए कहा की यह मुसलमानों के शरियत पर मोदी सरकार का हमला है। साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलमानों के साथ ही अमत पसंद हिंदु भाइयों को भी खुलकर इस कानून का विरोध करने की पुरजोर अपील करता हूं। वक्फ की जायदाद अल्लाह की अमानत है जिसे मोदी सरकार हमसे छीन लेना चाहती है। याद रखिए, यह काला कानून बनने के बाद हमसे हमारे मस्जिदों;


मकबरों, दरगाहों और कब्रिस्तानों को हमसे छीन ली जाएगी और हमारे लिए मस्जिदों में अजान पढ़ना मुश्किल हो जाएगा, कब्रिस्तानों में हमारे मुर्दों को दफनाना मुश्किल हो जाएगा। वक्फ की जायदाद की हिफाजत के लिए संसद के अंदर पुरजोर विरोध हुआ. यह अलग बात है कि हमारे पास बहुमत न होने के कारण हम इस बिल को पास होने से नंहीं रोक पाए।


अख्तरुल ईमान ने ये भी कहा कि मोदी हुकूमत मुसलमानों को परेशान कर रही है, वक्फ बोर्ड की इमदाद को एक तरह से खत्म व बर्बाद करने की साजिश हो रही हैं जिसकी हिफाजत के लिए वक्फ बोर्ड कानून का विरोध बहुत ही जरूरी है वर्ना हमें काफी नुकसान होगा।

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