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राजनीति को प्रभावित करता गैंगस्टर

  • Writer: azhar rahmani
    azhar rahmani
  • Nov 30, 2024
  • 3 min read

Updated: Dec 1, 2024



देश की राजनीति में ऐसा पहली बार देखा गया है जब कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई कमोबेश देश की राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है सोशल मीडिया के बढ़ते चलन से लॉरेंस बिश्नोई की ब्रांडिंग पिछले कुछ महीनों से इतनी अधिक की जा रही है जिसकी कल्पना शायद उसने भी नहीं की होगी। सोशल मीडिया का एक वर्ग जहां उसको नायक बनाने पर तुला है वहीं दूसरा वर्ग उसको खलनायक भी सिद्ध कर रहा है। दरअसल यहां तक तो सब ठीक था लेकिन जब से मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई है तब से उसके नकली गुर्गों की देश में बाढ़ सी आ गई है। सोशल मीडिया पर बढ़ती पब्लिसिटी का फायदा उठाकर हर कोई उसका गुर्गा बना घूम रहा है। इतना ही नहीं यह तथाकथित गुर्गे चर्चित राजनेताओं और अभिनेताओं को भी धमकाने से बाज नहीं आ रहे हैं। दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा और बहराइच से ऐसे ही दो गुर्गों को पुलिस ने गिरफ्तार किया जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। ऐसा उन्होंने सिर्फ लॉरेंस बिश्नोई की आड़ लेकर पैसा कमाने के मकसद से किया।


दरअसल लॉरेंस बिश्नोई अपराध की दुनिया में एक ऐसा नाम बन गया है जो किसी की भी हत्या करने में सक्षम है या उसे सक्षम बना दिया गया है। लॉरेंस बिश्नोई का नाम मीडिया की सुर्खियों में पहली बार तब आया जब उसने वर्ष 2018 में मशहूर बॉलीवुड एक्टर सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी। यह धमकी उसने पैसों के लिए नहीं दी थी बल्कि बिश्नोई समाज का हीरो बनने के लिए दी थी। सलमान खान पर आरोप था कि जोधपुर में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान काले हिरण का शिकार किया था। विदित है कि काले हिरण को बिश्नोई समाज में बहुत अधिक महत्व दिया जाता है और उसे अपने परिवार का हिस्सा माना जाता है। हालांकि उस मामले में सलमान खान को जेल भी जाना पड़ा लेकिन बाद में उस केस से बरी भी कर दिया गया। लॉरेंस बिश्नोई के निशाने पर वह तभी से है। इतना ही नहीं पंजाब के एक मशहूर गायक सिद्ध मूसे वाला की हत्या में भी लॉरेंस टों बिश्नोई का नाम सुर्खियों में रहा।


हालिया मामला बिहार के बाहुबली माने जाने वाले पप्पू यादव का है। पप्पू यादव जब से एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद सोशल मीडिया के जरिये संवेदना व्यक्त की और लॉरेंस बिश्नोई को ललकारा। पप्पू यादव अपने को बाहुबली नेता मानते हैं और इसी चक्कर में उन्होंने बयान भी दे दिया कि वह किसी लॉरेंस बिश्नोई से नहीं डरते। उनका यही बयान उनके लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन गयी, लॉरेंस बिश्नोई का नाम लेकर तथाकथित गुर्गे ने उन्हें फोन पर धमकी दी। यह धमकी जैसे ही मीडिया में आई तब से राजनीति में उबाल सा आ गया। नतीजतन उन्हें बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ी। असल में इस मुद्दे को अनेक चैनलों ने खबरों में छाने के लिए कुछ इस तरह तोड़-मरोड़कर पेश किया कि असल मुद्दा ही दब कर रह गया। इससे बिहार की राजनीति पर खासा प्रभाव पड़ा।


वहीं पिछले एक दशक से देश में सोशल मीडिया ने जिस तरह अपने पैर पसारे हैं तब से वास्तविक मीडिया का वजूद ही खतरे में पड़ गया है। यूट्यूब पर मीडिया चैनलों की एक बड़ी तादाद हो गई है जो सब्सक्राइबर बढ़ाने के चक्कर में मीडिया के तौर-तरीकों को ही भूल गए हैं। उन पर सरकार का नियंत्रण न होने के कारण वह अपने चैनलों पर ऐसी सामग्री परोस रहे हैं जो समाज को दिग्भ्रमित कर रही है। ऐसी स्थिति में उन्हें नायक या खलनायक का भी होश नहीं है। इसकी वानगी लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टर की पब्लिसिटी के तौर पर देखी जा सकती है।

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