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बिहार में कन्हैया की पदयात्रा , राहुल गांधी की चक्रव्यूह को तोड़ पाएंगे तेजस्वी

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Apr 17
  • 11 min read

Updated: Apr 18


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कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि पदयात्रा की शुरूआत चंपारण से हुई, विभिन्न जिलों से होते हुए समापन पटना में किया गया। बिहार में सत्र की देरी के कारण तीन साल की स्नातक डिग्री पांच साल में मिल रही है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आखिरकार बिहार की पॉलिटिक्स में कन्हैया कुमार की एंट्री हो गई. लालू यादव और तेजस्वी यादव देखते रह गए और विरोध करते रह गए, इस बार उनकी एक न चली और राहुल गांधी ने वह फैसला ले लिया इसके बाद कयास लगने लगा कि क्या बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी लालू यादव को और तेजस्वी यादव को यह बताना चाहते हैं कि कांग्रेस महागठबंधन में आरजेडी की बी टीम नहीं बल्कि ए टीम है. अगर बिहार से एनडीए सरकार को उखाड़ फेंकना है और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाना है तो महागठबंधन में कांग्रेस को वह सम्मान देना ही होगा जिसका वह हकदार है. आप उसे प्रेशर में रखकर काम नहीं कर सकते हैं. सीट शेयरिंग में आप जो चाहे नहीं कर सकते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव की मनमानी को कौन भूल सकता है. कौन भूल सकता है कि जिस पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जन अधिकार का विलय कांग्रेस के साथ कर लिया उसे पूर्णिया से चाहते हुए भी टिकट तक ना दिया जा सका। ऐसा नहीं था कि राहुल गांधी प्रेशर पॉलिटिक्स से अनजान थे और जो कुछ हो रहा था वह नहीं देख रहे थे. आखिरकार उनके ही कहने पर पप्पू यादव लालू यादव और तेजस्वी यादव से मिलने राबड़ी आवास पहुंचे थे. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पप्पू यादव को विश्वास दिलाया था कि पार्टी विलय करने के बाद उन्हें कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया से लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा. राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार को भी पार्टी में शामिल करने से पहले जरूर कहां होगा कि बेगूसराय से तैयारी करो इस बार आपको कांग्रेस के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़ना है. लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने यहां भी बड़ा खेला कर दिया.जानकारों की माने तो तेजस्वी यादव के भविष्य को ध्यान में रखते हुए लालू यादव चाहते थे कि कन्हैया कुमार बिहार की पॉलिटिक्स में वापस ना आए और दिल्ली में बैठकर कांग्रेस की राजनीति करते रहे, यही कारण था कि राहुल गांधी से विचार विमर्श किए बिना बिहार का बेगूसराय लोकसभा सीट गठबंधन के तहत भाकपा माले को दे दिया गया.बेचारे कन्हैया कुमार मन मार कर देखते रहे और कुछ नहीं कर पाए, हालाकि बाद में राहुल गांधी ने उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया और इस बार भी कन्हैया कुमार की किस्मत ने साथ नहीं दिया और वह हार गए, इससे पहले साल 2019 में बेगूसराय से कन्हैया कुमार गिरिराज सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ चुके थे. हालांकि उस समय कन्हैया कुमार कांग्रेस में नहीं बल्कि भाकपा माले में थे. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र संघ का अध्यक्ष बनने के बाद उनकी प्रतिभा को देखकर पार्टी ने उन्हें टिकट देने का ऐलान किया था. तब बिहार में महागठबंधन नहीं हुआ करता था. सिर्फ राजद और कांग्रेस के बीच गठबंधन था. भाकपा माले ने अलग चुनाव लड़ा था..

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इसके बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन का निर्माण होता है और बीजेपी को छोड़कर अधिकांश राजनीतिक दल के नेता इसमें शामिल होते हैं. फिर क्या कुछ हुआ वह हम और आप अच्छी तरह से जानते हैं. इसीलिए इतिहास की गलियों से निकलकर वर्तमान के आंगन में आना अधिक उचित है,. 2024 का लोकसभा चुनाव बीत जाता है लेकिन कन्हैया कुमार प्रचार प्रसार करने बिहार नहीं आते हैं या यू कहा जाए कि उन्हें लालू यादव और तेजस्वी यादव द्वारा आने नहीं दिया जाता है. इसी बीच बिहार को लेकर राहुल गांधी पहले से अधिक सीरियस होते हैं और बार-बार विहार बात्रा पर आते हैं. लगने लगता है कि राहुल गांधी के मन में बिहार और बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अलग अलग गेम प्लान चन रहा है अचानक एक दिन खबर आती है कि बिहार की पॉलिटिक्स में कन्हैया कुमार की एंट्री होने वालो है, कन्हैया कुमार पूरी बिहार में घूम-घूम कर पदयात्रा करेंगे और युवाओं को अपने साथ जोड़ेंगे. पदयात्रा का नाम रखा गया पलायन रुको नौकरी दी. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विधिवत पटना स्थित सदाकत आश्रम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें कन्हैया कुमार खुद उपस्थित थे. वर्तमान समय में कन्हैया कुमार एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं और तेज तर्रार नेता है. प्रेस कांफ्रेंस के दिन बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरु तो उपस्थित थे लेकिन बिहार प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह गायब दिखे जिस कारण बड़ा सवाल खड़ा हो रहा था. सबको पता था कि अखिलेश सिंह लालू प्रसाद यादव के खासम खास नेता है. भले वह कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष है लेकिन काम कांग्रेस में रहकर लालू प्रसाद यादव के लिए करते रहे हैं. यही कारण है कि सदाकत आश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि मैं ने मैडम सोनिया गांधी से पैरवी कर अखिलेश सिंह को राज्यसभा भिजवाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस पर वापस लौटते हैं कन्हैया कुमार से और वहां उपस्थित अन्य नेताओं से बार-बार पूछा गया कि इस पदयात्रा का चेहरा कौन होगा. मीडिया वाले यह जानना चाहते थे कि क्या कन्हैया कुमार इस पदयात्रा के चेहरा होंगे या नहीं होंगे? क्या कन्हैया कुमार बिहार विधानसभा को ध्यान में रखकर बिहार की पॉलिटिक्स में एंट्री ले रहे हैं या नहीं? क्या कन्हैया कुमार डायरेक्टर तेजस्वी यादव को इग्नोर कर राजनीति करेंगे या नहीं? लेकिन इन सभी प्रश्नों का जवाब ना तो कन्हैया कुमार ने दिया और ना ही बिहार कांग्रेस प्रभारी ने. वे बस रटा रटाया बयान देते रहे. उनका कहना था कि इस पदयात्रा का चेहरा बिहार के लाखों बेरोजगार युवक है और जो नौकरी के लिए पलायन कर दूसरे शहर जाते हैं वे लोग हैं.| अब सवाल उठता है कि जब कन्हैया कुमार इस पदयात्रा का चेहरा नहीं है तो फिर उन्हें बुलाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों किया जा रहा है. तब उन्हें इस पदयात्रा का नेतृत्व करने के लिए क्यों कहा जा रहा है. आखिर कांग्रेस कन्हैया कुमार को फ्रंट पर लड़ने के लिए लाना भी चाहती है और खुलकर बात भी नहीं करना चाहती है. आइये पहले यह जान लेते हैं की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कन्हैया कुमार ने क्या कुछ कहा....


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कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि पदयात्रा की शुरुआत 16 मार्च को चंपारण से होगी। विभिन्न जिलों से होते हुए समापन पटना में होगा। बिहार में सत्र की देरी के कारण तीन साल की स्नातक डिग्री पांच साल में मिल रही है।

कन्हैया कुमार ने बताया कि जिस तरीके से राज्य में बीपीएससी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया, वो बेहद शर्मनाक है। बिना नौकरी और शिक्षा दिए बिहार का विकास नहीं होने वाला है। बिहार में तीन साल की ब्रेजुएशन डिग्री पंचवर्षीय योजना बन जाती है। राज्य के कॉलेज के हालात ऐसे हैं कि 25 हजार छात्रों का नामांकन करा दिया जाता है, लेकिन उनके लिए केवल दस शिक्षक उपलब्ध रहते हैं। राज्य के सभी छात्रों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एनएसयूआई संघर्ष करेगी। राज्य के विकास को बेहतर बनाने का काम करेगी। ये पदयात्रा न्याय की पुकार है और जो भी विद्यार्थी, युवा जिसे शिक्षा नहीं मिल रहा, नौकरी नहीं मिल रही, इलाज नहीं मिल रहा, वे इस यात्रा का हिस्सा बनें।


वहीं बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने कहा कि प्रदेश भर में घूमने के बाद पटना में इस यात्रा का समापन होगा। युवाओं के मुद्दे पर आगे की रणनीति बनेगी। बिहार दौरे पर आए राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा बिहार दौरे पर पहुंचे कब्रिस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार और आरएसएस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'महात्मा गांधी ने माय क्सपेरिमेंटस् विध टुथ लिखा था। मोदी जी शायद माय एक्सपेरिमेंटस् विष लाइज लिखेंगे।' आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा, 'देश के संविधान में सावरकर को सोच नहीं है। इसमें महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और अंबेडकर जैसे लोगों की सोच है। आज इस देश में आदिवासी, दलित सेकंड सिटिजन है।' राहुल गांधी ने बिहार की नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'बिहार में नीतीश सरकार जो काम कर रही है, उससे अडाणी-अंबानी को फायदा हो रहा है। हमारी सरकार आई तो हम लोगों के लिए काम करेंगे।


राहुल ने कहा है, 'देश में अगर आप दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, इबीसी और महिला हो तो आप सेकेंड क्लास सिटीजन हैं। ये मैं ऐसे ही नहीं बोल रहा हूं। पढ़ लिखकर बोल रहा हूं। तेलंगाना में हमने जातीय गणना करवाई। उनका पूरा का पूरा डेटा हमारे पास है।

इससे हम आपको आपका हक दिलवा सकते हैं। मोहन भागवत कहते हैं, जातीय गणना नहीं होनी चाहिए। अगर आपको चोट लगती है तो डॉक्टर कहता है कि एक्स-रे करो। इससे कुछ नुकसान नहीं होता। वहीं एक्स-रे हम कर रहे हैं। राहुल ने कहा, 'अगर आप मजदूरों की लिस्ट निकालो, घर में काम करने बालों की लिस्ट निकालो तो 90 फीसदी दलित, आदिवासी, गरीब हैं। तेलंगाना का पूरा का पूरा डेटा हमारे हाथ में है, जो मोदी जी आपको नहीं देना चाहते हैं। मैंने मोदी जी को संसद में सामने से बोला कि ये जो 50 फीसदी आरक्षण



कन्हैया की पदयात्रा में शामिल होने पहुंचे राहुल गांधी, बेगूसराय में उमड़ी युवाओं की भीड़
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गांधी आश्रम से यात्रा आरंभ होने के बाद रूट मैप तय कर कन्हैया कुमार को यह पदयात्रा बिहार के विभिन्न जिलों से होते हुए बेगूसराय पहुंचती है। इससे पहले राहुल गांधी दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी सहरसा, सुपौल सहित कई जिलों में जाकर पदयात्रा करते हैं और युवाओं से संवाद करते हैं। इसी बीच खबर आती है कि सात तारीख को बेगूसराय में होने वाली पदयात्रा में राहुल गांधी शामिल होंगे और पदयात्रा करेंगे। पदयात्रा को लेकर तैयारियां जोर-जोर से चलने लगती है और राहुल गांधी वीडियो संदिश जारी कर कहते हैं कि जो लोग इस यात्रा में शामिल होने आ रहे हैं उन्हें व्हाइट टी शर्ट पहन कर आना है।


राहुल गांधी के इस बिहार चात्रा पर बिहार आज तक के वरिष्ठ पत्रकार शशि भूषण कहते हैं कि बिहार में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव हैं और कांग्रेस पार्टी साल की शुरूआत से ही चुनावी मोड में आ गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक्टिव मोड में आ गए हैं। राहुल गांधी पिछले चार महीने में तीसरी बार बिहार के दौरे पर हैं। राहुल गांधी बानी सात अप्रैल को बेगूसराय में चल रही कन्हैया कुमार की 'पलायन रोको, नौकरी दो' पदयात्रा में शामिल हुए।


कन्हैया कुमार की पदयात्रा में राहुल गांधी के शामिल होने को लेकर कांग्रेस समर्थकों में जोरदार उत्साह नजर आया। पदयात्रा की शुरुआत से ही बढ़ी संख्या में कांग्रेस समर्थक शामिल हुए। राहुल गांभी के करीब पहुंचने को लेकर कांग्रेस समर्थकों में होड़ नजर देखी गई।


गांधी के भितिहरवा से पदयात्रा शुरू, युवाओं की जबरदस्त भीड़, कन्हैया जिंदाबाद के लग रहे थे नारे

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कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह और कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलावरू की उपस्थिति में कन्हैया कुमार ने पद‌यात्रा की शुरुआत की. कांग्रेस नेवाओं ने गांधी आश्रम में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर पदयात्रा की शुरुआत की, पदयात्रा में कन्हैया कुमार के अलावा आइवाइसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिच और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी भी शामिल रहे, कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ हजारों की संख्या में बिहार के युवा पलायन रोको नौकरी दो पदयात्रा में शामिल रहे, पलागन रोको नौकरी दो पदयात्रा की शुरूआत के पहले डॉ कन्हैया कुमार ने कहा कि क्यों बिहार में कोई भी भी ठीक से नहीं होती है? बिहार का सबसे बढ़ा दंश है पलायन, जानबूझ कर राजनीति और चुनाव में पलायन के मुद्दे को साइडलाइन किया जाता है. इसलिए हमने पलायन रोको नौकरी दो पदयात्रा की शुरुआत की. यह यात्रा बिहार के छात्र नौजवानों की यात्रा है. यह बिहार में बढ़ती बेरोजगारी व भारी मात्रा में हो रहे पलायन को रोकने के लिए बिहार सरकार के खिलाफ यात्रा है.


डबल इंजन की सरकार बिहार में पढ़े लिखे बेरोजगार बुवाओं को नौकरी देने के बजाय बिहार को साजिश व नफरत की आग में झोंक रही है. बिहार में कोरोना काल में बिहार के लाखों मजदूर भुखमरी के शिकार हो दम तोड़ दिये. सरकार इसकी बात नहीं करतो. छात्र नौजवान नौकरी और रोजगार को लेकर आए दिन धरना प्रदर्शन व आत्मदाह कर रहे हैं. फिर भी सरकार नौकरी के मुद्दों पर बात नहीं करती है.


कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा कि बिहार के बेरोजगार युवाओं की आवाज को बुलंद करने के लिए पलायन रोको नौकरी दो यात्रा की ऐतिहासिक भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरूआत हुई. यह मात्रा बिहार में पलायन की समस्या और बिहार के युवाओं को बिहार में ही नौकरी दिलाने की लड़ाई लड़ेगी. कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलावरू ने कहा कि आज जी बिहार की समस्याएं हैं, उन पर बात नहीं होती, भर्ती क्यों रुकी हुई है?


बिहार में रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य को सुधारने की बात नहीं होती. हम यात्रा के माध्यम से जनता की आवाज बनकर सरकार से सवाल पूछने का इस काम करेंगे. उन्होंने युवाओं को हर संभव सहयोग दिलवाने का विश्वास दिलवाया. कार्यक्रम शुरू होने से पहले उस समय के बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने इंडातीलन किया, कार्यक्रम के उपरांत सभी नेवाओं ने बापू की प्रविमा पर माला अर्पण करते हुए‌ विधिवत तरीके से पदयात्रा का शुभारंभ किया की फेक दीवार बना रखी है, जो आप नहीं तोड़ेंगे तो हम तोड़ कर रहेंगे। 10-15 लोग हैं, जिन्होंने पूरे कॉरपोरेट सेक्टर को पकड़ के रखा है।'


'अंबानी-अडाणी ने कब्जा कर रखा है। जीएसटी आप देते हो, और कर्जा माफ उनका होता है। पूरे सिस्टम ने आपको घेर के रखा हुआ है। इसलिए आप सांस नहीं ले पाते हो। दलितों, पिछड़ों को बैंक लोन नहीं देती है। जहां उनको ट्रेनिंग देने की जरूरत है, वहां सवर्ण बैठे हैं।


राहुल गांधी ने कहा, 'पहले हमारे जिलाध्यक्षों की लिस्ट में दो तिहाई अपर कास्ट के लोग थे, लेकिन अब हमने दो तिहाई दलित-गरीबों को शामिल किया है। पार्टी में हमने सबको हक देने का फैसला किया है। बिहार के नेताओं से हमने साफ कहा है कि आपका काम यहां के गरीब लोगों को प्रतिनिधित्व देना है। उनके बीच रहकर काम करें। दलितों को राजनीति में लाकर बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं।


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कांग्रेस नेता ने बिहार को लेकर अपनी पिछली गलतियों को स्वीकार करते हुए कहा, 'जिस गति और मजबूती से हमें काम करना चाहिए था, नहीं किया। अपनी गलतियों से सीखा हूं। अब गरीब जातियों को एक साथ लेकर आगे बढ़ेंगे।' कन्हैया कुमार की पद‌यात्रा के दौरान बदल गया बिहार प्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष कन्हैया कुमार जिस दिन पदयात्रा की शुरुआत करते हैं उसे दिन बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह उनके साथ उपस्थित रहते हैं. पत्रकारों द्वारा सवाल पूछने पर की इस पदयात्रा का चेहरा कौन होगा तो अखिलेश सिंह गुस्सा जाते हैं. बात के दिनों में एक बड़े अखबार में उनको इंटरव्यू छपती है जिसमें वह कहते हैं कि उन्होंने कन्हैया के इस पदयात्रा का विरोध किया था क्योंकि रमजान का महीना चल रहा है और वह नहीं चाहते थे कि इस महीने में पदयात्रा हो. हालांकि उन्होंने माना कि कांग्रेस में कन्हैया कुमार उनके चहेते नेताओं में से एक हैं. इसी बीच खबर आती है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिहार कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष दे दिया है. अखिलेश सिंह के बदले दलित नेता राजेश राम को बिहार में नया कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. नए प्रदेश अध्यक्ष के जरिए कांग्रेस ने एक वीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की है. पहला संदेश दलित समाज को साधने का है. कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल आरजेडी को सीधा संदेश दे दिया है कि सीट बंटवारे में वो घाटे का सौदा नहीं करेगी, बीते कुछ लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में बिहार में आरजेडी काग्रेस के साथ अपनी शर्तों पर सीट बंटवारा करती रही है. कांग्रेस के नए प्रभारी रणनीति बनाने में जुटे हैं ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी पसंद की सीटों को हासिल करने में कामयाब रहे. आरजेडी से गठबंधन, सीट बंटवारे और तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार बनाने से जुड़े तमाम सवालों के जवाब में विहार प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष राजेश राम कठ रहे हैं कि सब कुछ आलाकमान तय करेगा. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस द्वारा बिहार प्रदेश अध्यक्ष बदलने के पीछे दो बड़ी वजह है बिहार काग्रेस के कई नेता आलाकमान को शिकायत कर रहे थे कि विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर अखिलेश सिंह लालू यादव के सामने कांग्रेस के हितों से समझौता कर सकते हैं. दरअसल कांग्रेस से पहले अखिलेश सिंह आरजेडी में रह चुके थे. पहले माना जा रहा था कि लालू यादव के साथ उनके अच्छे संबंधों के जरिए कांग्रेस आरजेडी पर ज्यादा सीटें देने का दबाव बनाने की कोशिश करेगी. पार्टी आलाकमान को अब लगा कि अगर अखिलेश खुद लालू यादव के दबाव में आ गए तो फिर कांग्रेस के पास सरेंडर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पप्पू यादव को पार्टी में शामिल किया था. रोजगार पद यात्रा के जरिए कन्हैया कुमार को बिहार को सियासत में वापस लागा गया है और अब अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी कर दी गई है, कांग्रेस का संदेश साफ है कि बिहार की सियासत वो अपने शर्तों पर करेगी. दिलचस्प यह देखना होगा कि कांग्रेस की नई टीम आरजेडी के साथ कैसे तालमेल बिठाएगी और क्या विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस-आरजेडी के बीच सब कुछ ठीक रह पाएगा?


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Ahmad
Apr 18
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nice work seemanchal ki awaz

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