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वक्फ बिल का विरोध क्यों, क्या मुसलमानों को अलग से मुस्लिम् प्रधानमंत्री चाहिए : शाहनवाज हुसैन

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Apr 17
  • 5 min read

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वक्फ बिल पास होने के बाद जहां तमाम विपक्षी दल के नेता और तमाम मुस्लिम संगठन के लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता शाहनवाज हुसैन इस बिल का न सिर्फ समर्थन करते हैं बल्कि बिल का विरोध कर रहे लोगों को फटकार लगाते हैं। बिल पास होने के बाद पत्रकारों ने जब शाहनवाज हुसैन से इस बाबत सवाल किया तो उनका कहना था कि की देखिए पिछली बार जब लोकसभा में कांग्रेस की सरकार ने वक्फ बिल लाई थी तब में सदन में उपस्थित था और मैंने अपनी बातों को रखा था। उसे समय देश के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी स्वीकार किया था कि वक्फ की जमीन को गलत तरीके से बचाया जा रहा है और कुछ लोग उसे पर कब्जा जमा कर बैठे हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने अध्ययन करने के बाद इस बिल में संशोधन करने का फैसला लिया है और इसबिल से सिर्फ और सिर्फ गरीब मुस्लिम लोगों को फायदा होने वाला है ना की घाटा। जेपीसी गठन करने

के बाद मुस्लिम समाज के कई लोगों के साथ विचार मंथन करने के बाद लोकसभा में और राज्यसभा में इस बिल को लाया गया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि सबका साथ और सबका विकास हो। ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों के बारे में अगर देश का कोई प्रधानमंत्री अच्छा सोच रहा है तो इसमें गलत क्या है।


जब उनसे पूछा गया कि कुछलोग सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं वो उनका कहना था कि कोर्ट जाने का अधिकार सबके पास है लेकिन अब यह बिल कानून बन चुका है। क्योंकि मैडम राष्ट्रपति ने इस पर अपना साइन कर दिया है। जब पूरे देश में यह कानून लागू होगा और इसका रिजल्ट आएगा तो मुस्लिम समाज के लोग नाराज होने के बदले खुश होंगे और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना धन्यवाद देंगे। मैं बिहार के मुसलमान भाइयों से आग्रह करते हुए कहना चाहूंगा कि पिछली सरकार ने जो इस बिल में संशोधन करने के दौरान कमियों को छोड़ दिया था उसे इस नए बिल में खत्म कर दिया गया है। अब इस नए एक्ट के बारे में मुस्लिम समाज के लोगों को भ्रम में नहीं रहना चाहिए क्योंकि किसी मस्जिद की कमेटी में कब्रिस्तान की कमेटी में या दरगाह की कमेटी में एक भी नन मुस्लिम मेंबर नहीं होगा। कोई भी वक्फ जायदाद का मुतवली गैर मुस्लिम नहीं होगा। मोहवमीम गैर मुस्लिम नहीं होगा। हां राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाली वक्फ बोर्ड और काउंसिल में दो महिलाओं को, पसमांदा मुसलमान को और दो ना मुस्लिम मेंबर को डाले गए हैं। यह कहना कि इस बिल में दो गैर मुस्लिम सदस्य को क्यों डाला गया यह दुर्भाग्यपूर्ण है।


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सवाल करते हुए शाहनवाज हुसैन कहते हैं कि अगर कोई जमीन पर विवाद होता है तो वह मामला ट्रिब्यूनल में जाएगा। लेकिन अगर किसी मौलाना साहब की जमीन पर विवाद होगा तो सीओ, डीसीएलआर और डीएम के पास मामला जाएगा। अब डीएम हिंदू है या मुस्लिम, सिख है या इसाई अगर हम इसको लेकर विवाद करेंगे तो कल कुछ लोग कहेंगे कि हमें डीएम भी अलग से मुस्लिम चाहिए। मुख्यमंत्री भी अलग से मुस्लिम चाहिए। प्रधानमंत्री भी अलग से मुस्लिम चाहिए। हम लोग तभी भरोसा करेंगे। जो कोई व्यक्ति पद और गोपनीयता की शपथ लेकर किसी कुर्सी पर बैठता है उसकी धर्म भले कुछ और हो वह न्याय करता है और डीएम भी न्याय करेंगे।


जमीन विवाद होने पर जो मामला ट्रिब्यूनल के पास जाता था और सालों साल लगता था वह अब डीएम के पास जाकर कुछ ही महीना में हल हो जाएगा। इस पर आपत्ति करना सही नहीं है। आज जो लोग एतराज कर रहे हैं वह गलती कर रहे हैं। उन्होंने मुस्लिम भाइयों से अपील करते हुए कहा कि जब केंद्र की मोदी सरकार ने सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट बिल लाया था तब भी देश के मुसलमान समाज के लोगों को बुमराह किया गया था। इतना तक कह दिया था कि इस बिल के पास होने के बाद मुसलमान समाज के लोगों से नागरिकता छीन ली जाए‌गी जबकि यह बिल नागरिकता देने वाली है ना कि लेने वाली। जो लोग उस समय सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट बिल को लेकर आंदोलन कर रहे थे क्या आज मुस्लिम समाज से माफी मांगेंगे। क्योंकि सबको पता है कि आज तक किसी भी नागरिक से उसको नागरिकता नहीं छीनी गई है।


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कुछ वैसा ही गलती अभी वक्फ अमेंडमेंट बिल को लेकर हो रहा है। ववफ दिल को लेकर ऐसा दुष्प्रचार किया जा रहा है कि मुसलमान से उनकी मस्जिद दरगाह कब्रिस्तान और जमीन छीन ली जाएगी। हमारे पूर्वजों ने अपनी जमीन को वक्फ इसलिए किया था। ताकि गरीब लोगों को इसका लाभमिल सके। यतीम और विधवा को इसका फायदा हो। कुछ लोगों ने साजिश कर उन जमीनों को अब तक बेचने का काम किया है। लालू जी ने भी कहा था कि डाक बंगला चौराहा पर पूरा माल बन गया है बड़ी बड़ी बिल्डिंग खड़ी हो गई है। अपार्टमेंट बन गया है आखिरकार उसका मालिक कौन था। वक्फ बोर्ड था। कौड़ी के भाव पर उन जमीनों को लीज कर दिया गया। बाद में मुकदमा हुआ तो पैसे लेकर केस हार गए। अधिकांश मामलों में वक्फ वाले या तो खुद जमीन लीज पर देने के बाद लिख देते हैं या पैसा लेकर केस हार जाते हैं। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े होटल वक्फ की जमीन पर है और किराया महीने का मात्र 12000 है। जबकि होटल वाले ने एक दुकान 25 लाख रुपए पर किराए पर दिया हुआ है। वक्फ के बारे में अधिकांश मुस्लिम लोगों को जानकारी नहीं है और मीडिया वाले भी इसे अब तक अनजान थे। अब चर्चा हो रही है तो लोग जान रहे हैं और समझ रहे हैं। इसलिए यह बिल खासकर गरीच मुसलमान के हित में है और बिहार सहित देश के किसी भी मुसलमान भाई को डरने की कोई जरूरत नहीं है।


मैं मुसलमान हूं और वक्फ बिल का समर्थन करता हूं, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का बड़ा आरोप

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जिस वक्फ बिल का पूरे देश में विरोभ हो रहा है इस बिल का बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने समर्थन करते हुए कहा कि में मुसलमान हूं बावजूद इसके इस बिल का समर्थन करता हूं, इस बिल कानून चनने के बाद गरीब मुस्लिमों को लाभ होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्तियां अल्लाह की मानी जाती है। इसका इस्तेमाल गरीबों, जरूरतमंदों और जनहित के लिए होना चाहिए। गैर मुस्लिमों का भी वक्फ की संपत्तियों में चराबर का हक है।


राज्यपाल आरिफ मोहम्मदखान ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक देश है। प्रोटेस्ट करने का अधिकार है। हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है। अब में यूपी में मंत्री था तब वक्फ विभाग मेरे पास ही था। हर समय मुझे ऐसे लोगों से मिलना पड़ता था, जिनके संपत्ति के मामले चल रहे थे।


सारिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इसमें बहुत सुधार की जरूरत थी। यह वक्फ संशोधन विधेयक इसी दिशा में एक कदम है। गर्वनर पटना में पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की 118वीं जयंती पर राजकीय समारोह में पहुंचे थे। राज्यपाल ने कुरान की आपत का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें दो प्रकार के जरूरतमंदों फकीर (मुस्लिम) और मिस्कीन (गैर मुस्लिम) का जिक्र किया गया है।


इसका अर्थ है कि चक्क से लाभान्वित होने का अधिकार हर जरूरतमंद को है। धर्म के आधार पर नहीं। पटना में वक्फ को बहुत प्रॉपटी है, लेकिन आप मुझे बाइए कोई एक संस्था है ये गरीब के लिए काम कर रही है। सिर्फ आपस में मुकदमे बाजी हो रही है।

राज्यपाल ने भूधों का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं कुछ समय तक सूची में वक्फ मंत्रालय में रहा था। केस के अलावा कुछ नहीं देखा 11980 में मुस्लिम महिला सुरक्षा अधिनियम पारित हुआ।


इसमें कहा क्या था कि अगर तलाकशुदा महिला की देखभाल करने वाले कोई नहीं है तो आओ बरफ बोर्ड की तरफ से भत्ता दिया जाएगा। दो साल बाद मैंने संसद में पूछा कि बरफ बोर्ड ने क्या प्रावधान किया है और कलाकशुदा महिला को भरे के रूप में कितने राशि दी जाती है। मुझे जवाब मिला कि किसी भी वक्फ बोर्ड ने एक पैसे का प्रावधान नहीं किया है। वक्फ बोर्ड की हालत यह है कि उसके पास इतनी संपत्ति है और उनके पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं है।

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