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नीतीश कुमार बीमार है, सरकार तो सम्राट चौधरी चला रहे हैं, जानिये क्या है सचाई

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Apr 17
  • 7 min read

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बिहार विधान मंडल बजट सत्र के दौरान इस बार बहुत कुछ ऐसा हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था। सत्ता पक्ष के लोगों के द्वारा अलबल बयान दिया गया। रमजान के पाक महीने में और हिंदुओं के पावन पर्व होली को लेकर राजनीति की गई। बीजेपी के एक विधायक हरि भूषण ठाकुर बचोल ने खुलकर कहा कि होली के दिन मुस्लिम लोगों को घर से नहीं निकलना चाहिए। अगर निकलते हैं तो बढ़ा दिल लेकर निकलना चाहिए। शुक्रवार को जुम्मे की अंतिम नवाज है और हिंदुओं का पर्व होली भी है। अगर इस दौरान किसी मुस्लिम भाइयों के ऊपर रंग या अबीर पड़ जाता है तो उन्हें बड़ा दिल दिखाना चाहिए। उस हरिभूषण ठाकुर बचोल से किसी ने यह नहीं पूछा कि भैया आपका पर्व तो पंचांग के अनुसार मनाया जाता है और इस बार का पंचांग कहता है कि होली 14 को नहीं 15 को है। 14 मार्च को शुक्रवार है और 15 मार्च को होली है। फिर आप इस तरह का अनर्गल बयान क्यों दे रहे हो। उत्तर प्रदेश के संभल में एक पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी द्वारा एक बयान दिया जाता है जिसमें कहा जाता है कि होली के रंग से अगर मुस्लिम लोगों का धर्म भ्रष्ट होता है तो उन्हें घर से नहीं निकलना चाहिए। इस बयान के बाद भाजपा के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल उसे बयान से आगे बढ़कर बड़ा बयान दे देते हैं। एक के बाद एक उनके द्वारा बयान दिया जाता है। कभी औरंगजेब के नाम पर तो कभी वक्फ बिल के नाम पर। हालांकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मीडिया के सामने आते हैं और कहते हैं कि यह देश किसी के बाप का नहीं है। बचोल जैसे नेता को सबक सिखाना बिहार के लोग जानते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो कभी भी धर्म के नाम पर ना तो राजनीति करते थे और ना ही अनर्गल बयान बर्दाश्त करते थे वह चुपचाप तमाशा देखते रहे। लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद लगने लगा कि मुख्यमंत्री नीवीश कुमार बीमार है। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव जो आरोप लगा रहे हैं उसमें कहीं ना कहीं कोई तो सच्चाई है। हालांकि जांच का विषय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीमार है या नहीं है। लेकिन सूत्रों की माने वो मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार का इलाज वरिष्ठ डॉक्टरों के द्वारा करवाया जा रहा है। हालांकि इस बात की पुष्टि कोई भी करने को तैयार नहीं है। नीतीश कुमार बीमार है इस बात का सबसे पहले आप आरोप उस समय लगा था जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम हुआ करती थे। भारतीय जनता पार्टी के कदवार नेता और बिहार के पूर्व उपमुराहयमंत्री सुशील मोदी ने यह आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार बीमार है। इसके बाद तो बीजेपी के हर एक विधायक हर एक सांसद ने इसी बात को अपने-अपने हिसाब से कहने का प्रयास किया था। जो बात कल तक विपक्ष में रहते हुए सुशील मोदी कह रहे थे वही बात आज विपक्ष में आने के बाद तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं। तेजस्वी यादव क्यों कह रहे हैं कि नीतीश कुमार बीमार है इसके बारे में हम आगे बात करेंगे लेकिन पहले जान लेते हैं कि आखिरकार नीतीश कुमार ने क्या किया जिसके बाद उनका वीडियो राष्ट्रीय स्तर पर वायरल होने लगा। बिहार की राजधानी पटना में पहली बार 20 मार्च 2025 को सेपक टकरा विश्व कप चैंपियनशिप का आयोजन किया गया। इसमें भारत के खिलाड़ी के अलावा इटली, फ्रांस, जर्मनी, जापान, साउथ कोरिया, चीन, इंडोनेशिया, सिंगापुर, ईरान, इटली, फ्रांस, जर्मनी, स्वीटजरलैंड, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्राजील एवं ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी प्रतिनिधित्व करने पहुंचे। राजधानी पटना में पहली बार किसी बड़े स्तर पर हो रहे विश्व कप का भव्य शुभारंभकार्यक्रम रखा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी, संजय झा, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी विजय सिंहा सहित्त बिहार सरकार के तमाम बड़े मंत्री और अधिकारी इस आयोजन में शामिल होने पहुंचे थे। जब राष्ट्रगान बजने की बारी आई तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रगान को रुकवा दिया और कहा कि हम पहले स्टेडियम का मुआयना करेंगे। इसके बाद जब नीतीश कुमार लौट कर आए तो तय समय पर राष्ट्रगान बजाया गया लेकिन यह क्या जब राष्ट्रगान बजाया जा रहा था तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सावधानीपूर्वक खड़े रहने के बदले बगल में खड़े अधिकारी से बाव करने लगे। सामने में खड़े मीडिया कर्मियों का अभिवादन करने लगे। वायरल वीडियो में साफ दिख रहा था की अधिकारी द्वारा नीतीश कुमार को इशारे में बार-बार कहा जाता है कि ठीक से खड़े रहिए राष्ट्रगान हो रहा है लेकिन नीतीश कुमार तो अपने धुन में मग्न थे।


देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगा और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अगले दिन बिहार विधानमंडल सत्र के दौरान जमकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा। राबड़ी देवी ने तो विधान परिषद परिसर में इतना तक कह दिया कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें अपने बेटे निशांत कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। हम लोगों को किसी बात की कोई दिक्कत नहीं है।


यह एकमात्र उदाहरण नहीं है जिससे पता चले कि नीतीश कुमार बीमार है। और भी कई उदाहरण है। पटना के सांसद रविशंकर प्रसाद के आवास पर आयोजित होली मिलन समारोह में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचते हैं और अपने से उम्र में छोटे रवि शंकर प्रसाद का पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगते हैं। बिहार विधान परिषद के सदस्यों के साथ जब संयुक्त फोटोग्राफी हो रही थी तब नीतीश कुमार बार-बार कैमरामैन को देखकर अभिवादन करते हैं बगल में बैठे विजेंद्र यादव उनका हाथ नीचे करवाते हैं।


तेजस्वी यादव कई बार कह चुके हैं कि नीतीश कुमार बीमार हैं उन्हें इलाज की जरूरत है। जो आदमी 50 से 52 सेकंड तक राष्ट्रगान के दौरान ठीक से खड़ा नहीं हो सकता उसे आदमी के नाम पर बिहार का शासन चलाया जा रहा है। तेजस्वी यादव ये भी कहते हैं कि नीतीश कुमार नाम के मुख्यमंत्री हैं और कुर्सी पर बैठे हैं जबकि सरकार तो सम्राट चौधरी, विजय चौधरी, संजय कुमार झा जैसे नेता चला रहे हैं। शक और यकीन में तब बदल जाता है कि नीतीश कुमार बीमार हैं जब वक्फ बिल लोकसभा में और राज्यसभा में पास करवा लिया जाता है और जदयू के तमाम सांसद इस बिल का समर्थन करते हैं। बिल पास होते ही जदयू के अंदर और बिहार के मुस्लिम समाज के लोगों के बीच एक अलग तरह की बेचैनी देखने को मिलती है लेकिन जनता को एड्रेस करने के बदले नीतीश कुमार साइलेंट रहते हैं। बाबू जगजीवन राम की जयंती के अवसर पर क्षण भर के लिए पत्रकारों के साथ आते भी हैं तो कुछ नहीं बोलते हैं।


एक पत्रकार होने के नाते राजधानी पटना में हमने भी कई बार देखा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब पत्रकारों से बात करते रहते हैं तो उनके अधिकारियों का रवैया और उनके बगल में खड़े मंत्रियों का व्यवहार कुछ ठीक नहीं रहता है। नहीं तो पहले ऐसा कभी नहीं हुआ जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पत्रकारों से दूरी बनाकर रखते हो। लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है ।। नीतीश कुमार अगर बात करना भी चाहते हैं तो उनके अधिकारी और मंत्री उन्हें बात नहीं करने देते हैं और चलिए सर, चलिए सर करने लगते हैं। एक वायरल वीडियो पर विश्वास करें तो एक मंत्री ने तो उन्हें कम से कम 10 बार से अधिक कह दिया कि चलिए सर, चलिए सर।


नीतीश कुमार नाम के मुख्यमंत्री रह गए हैं, सत्ता की कमान बीजेपी के पास जा चुका है

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वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सत्ता हस्तांतरण करवाने की नेत्री शुरू हो चुकी है। उनकी माने तो बिहार में सत्ता की कमान अभी बोजेपी के हाथ में है और नीतीश कुमार मात्र नाम के मुख्यमंत्री है। वह कहते हैं कि देखिए 24 अप्रैल को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से पटना और मधुबनी यात्रा पर आ रहे हैं। उनकी यात्रा की तैयारी को लेकर मधुवनी में एक बैठक का आयोजन होता है जिसमें डीजीपी और सचिव उपस्थित होते हैं इसकी अध्यक्षता सम्राट चौधरी करते है और बगल में ललन सिंह बैठे हुए नजर आते हैं। यह क्या है डीजीपी के साथ सम्राट चौधरी या सचिव के साथ सम्राट चौधरी कैसे बैठक कर सकते हैं।


मधुचनी के बाद संतोष सिंह मुंगेर की घटना का उल्लेख करते हैं जहां समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया था और इसमें मुख्य सचिव सहित मुंगेर प्रमंडल के सभी अधिकारी मौजूद थे और सम्राट चौधरी के बगल में बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी इस तरह बैठे हुए थे जिस तरह नीतीश कुमार के बगल में विजय चौधरी बैठते हैं। यह दोनों घटना अपने अप में बवाने के लिए काफी है कि बिहार में नीतीश कुमार का रुतबा अब वह नहीं रहा जो पहले था वह कमजोर हो गए हैं या आप कह सकते हैं कि भाजपा द्वारा बार-चार उन्हें कमजोर बनाया जा रहा है।


आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर संतोष सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार के वोटर पर इसका बहुत बढ़ा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि नीतीश कुमार की बहुत कम संख्या में मुसलमान समाज के लोग वोट देते हैं। नीतीश कुमार को वही मुसलमान वोट देते हैं ओ नीतीश सरकार में लाभान्वित हुआ है। चाहे उसे परिवार को इंदिरा आवास मिला हो या चाहे उसे परिवार के बच्चे को छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिला हो या चाहे उसे परिवार के बेरोजगार युवक को रोजगार करने के लिए लोन मिला हो। ऐसे परिवार के लोग आगे भी नीतीश कुमार को वोट देते रहेंगे। हालाकि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि नीतीश कुमार के बोट में कुछ कमी जरूर आएगी। क्या इस बिल के पास होने के बाद तेजस्वी का बिहार का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो चुका है इस बात का अवाच देते हुए संतोष सिंह कहते हैं कि देखिए ऐसा तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन नीतीश कुमार का जी कॉन्फिडेंस लेकल दिखता था वह कम हुआ है और तेजस्वी का कॉन्फिडेंस लेक्ल पहले से ज्यादा चढ़ा है। वेजस्वी को लगने लगा है कि इस बिल के विरोध में मुस्लिम समाज का जो आदमी नीतीश कुमार के नाम पर एनडीए उम्मीदवार को वोट दिया करता था वह अब उसे न देकर आरजेडी या महागठबंधन के उम्मीदवार को देगा।


अंत में नीतीश कुमार बीमार है या नहीं है ने एक नक्ष प्रश्न बना हुआ है। अगर बीमार नहीं है तो यह एक खुशखबरी है। अगर बीमार है तो उन्हें समुचित इलात को जरूरत है। ऐसा ना हो कि चुनाव और पॉलिटिक्स के कारण बिहार के एक बड़े नेता के साथ कुछ ऐसा हो जो ना तो उनके समर्थक पसंद करेंगे और ना ही विरोधी देखना चाहेंगे।

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