सीमांचल की राजनीति में हलचल
- MOBASSHIR AHMAD
- May 22
- 15 min read
वक्फ कानून के बाद महाभारत, ससुर-दामाद आमने-सामने..

मोहम्मद वसीम
वक्फ बिल पास होने के बाद से बिहार के सीमांचल क्षेत्र की राजनीति तेजी से बदल रही है। नित्य प्रतिदिन नए-नए अपडेट सामने आ रहे हैं। कोई नेता नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा देने का ऐलान कर रहा है तो कोई जदयू के ऑफिस से नीतीश कुमार की तस्वीर हटाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर रहा है। कोई कांग्रेस छोड़कर एआईएमआईएम में शामिल हो रहा है। तो कोई जदयू से इस्तीफा देने के बाद अपने समर्थकों के साथ सलाह मशवरा कर रहा है कि उन्हें किस पार्टी में शामिल होना चाहिए।
इसी बीच AIMIM पार्टी के सर्वो सर्वा असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सीमांचल की धरती पर आकर साफ ऐलान कर दिया कि इस साल भी बिहार विधानसभा चुनाव में दम खम के साथ अपने उम्मीदवारों को उतारने वाले हैं। एआइएमआइएम के नेता तीन दिवसीय बिहार वात्रा पर आए हैं। 03 मई को किशनगंज से शुरू हुए दौरे में ओवैसी ने बहादुरगंज में रैली की, फिर दरभंगा में कार्यकताओं से मिले, मोतिहारी में रैली की और गोपालगंज में नेताओं के साथ रणनीति बनाई। यह दौरा दशार्ता है कि AIMIM हर उस इलाके को टटोल रही है, जहां मुस्लिम वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

ओवैसी जब 03 मई को किशनगंज में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे तो उनका अंदाज काफी अलग था। मानो वे तय करके आए थे कि उन्हें हर बात का बदला लेना है। जनसभा को संबोधित करने के दौरान उन्होंने तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बातों को रखा। वे वक्फ बिल को गलत बताते हुए उसकी मजम्मत करते हैं तो पहलगाम हादसे पर पाकिस्तान को जमकर खरी खोटी सुनाते हैं। इतना ही नहीं लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को खुलकर मंच से चुनौती देते हुए ललकारते हैं।
ओवैसी ने कहा- 'मेरी पार्टी के चार भगौड़ा भाग गए। लेकिन, जिसने उन्हें भगाया इस बार हम उन्हें बिहार से भगाएंगे। इस बार RJD भिखारी बनकर मेरे पास आएगी।' ओवैसी ने आरजेडी को चुनैती देते हुए कहा कि जो चार विधायक पार्टी छोड़कर गए, वे बुजदिल थे। आरजेडी को मैं चुनौती देता हूं कि वह भिखारी बनकर मेरी पार्टी के पास आएंगे। चारों भगोड़े भाग गए और सीमांचल के लिए कुछ नहीं कर सकें। अख्तरुल इमान अकेले मेरी पार्टी के विधायक हैं, जो मेरे साथ हैं। ओवैसी ने चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर तंज कसा और बोला कि 'वे लोग सेकुलर है, मगर अपने निचलों से बुलवाते है, ताकि मुसलमानों का वोट न कटे।
ओवैसी ने रैली में शामिल सभी लोगों को पहलगाम में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट के लिए मौन रहने को कहा। ओवैसी ने कहा-'पहलगाम में जो हुआ है, वह अफसोस जनक और इंसानियत के खिलाफ है। कोई हमारे भारत की जमीन पर आकर यहां रहने वाले लोगों की जान नहीं ले सकता है। ओवैसी ने कहा कि, हम लोगों ने जिन्ना का पैगाम भी ठुकराया था। पाकिस्तान जितना भी मिसाइल टेस्ट करे, लेकिन भारत हमेशा पाकिस्तान से ज्यादा ताकतवर रहेगा।
उन्होंने वक्फ बोर्ड को लेकर केंद्र और बिहार सरकार की जमकर आलोचना की है। ओवैसी ने कहा कि हिंदू ट्रस्ट में गैर हिंदू को मौका नहीं मिलता, तो वक्फ में गैर मुस्लिम को हस्तक्षेप का अधिकार क्यों। उन्होंने इस कानून को वापस लेने की मांग की। उन्होंने सवाल किया कि जो कानून मंदिरों और बोधगया के लिए उपयुक्त है, वह मुसलमानों के लिए क्यों नहीं। प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 11 सालों में मुसलमानों के हित के लिए कुछ नहीं किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान पर तंज कसते हुए कहा कि यह लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, और अपने निचले कार्यकताओं के द्वारा सेकुलर का बयान दिलवाते हैं। जो हमें भाजपा की बी टीम बताते हैं, वह यह बताएं कि इसी बी टीम ने संसद में बिल को फाड़ने का काम किया था, आप तो ए टीम थे तुमने क्या किया ?

इस अवसर पर AIMIM के नेता ओवैसी ने बहादुरगंज विधानसभा सीट से पूर्व कांग्रेस विधायक तौसीफ आलम को अपना उम्मीदवार घोषित किया। तौसीफ ने मंच से कहा, 'अब मुसलमानों को उनका हक दिलाने के लिए ओवैसी ही सबसे मजबूत आवाज हैं। बहादुरगंज बदलाव चाहता है।' वहीं ढाका विधानसभा में आयोजित एक रैली को संबोधित करने के दौरान ओवैसी ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपने एक और नए उम्मीदवार का ऐलान करते हुए कहा कि यहां की जनता के लिए मैं राणा रणजीत सिंह के नाम को सामने रखता हूं और आप लोगों से आगरा करता हूं कि आगामी चुनाव में ढाका से राणा रणजीत सिंह को भारी से भारी मत देकर विजय बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि एक अकेला अख्तरुल इमान पूरे सत्ता पर भारी है। हालांकि उन्हें विधानसभा में बोलने के लिए दो मिनट से अधिक का समय नहीं मिलता है लेकिन दो मिनट में ही वह अपनी बातों को इस तरह से रखते हैं कि सरकार मजबूर हो जाती है। सोचिए, जब आप तौसीफ आलम को, अख्तरुल इमान को और राणा रणजीत सिंह को जीताकर विधानसभा भेजिएगा तब क्या होगा।
दूसरी ओर तौसीफ आलम ने कहा कि मोदी बोलते है कि मुसलमान पंचर बनाते हैं तो तुम भी मत भूलो कि तुम भी चाय बेचते थे। कितने मुसलमानों को जेल में डालोगे, आपके जेल में जगह नहीं मिलेगा। पूर्व विधायक ने देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में वे असहाय महसूस करते थे। वहां उन्हें बोलने की आजादी नहीं थी। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर वक्फ बिल पर मौन रहने का आरोप लगाया। याद दिलाते चले की पूर्व विधायक तौसीफ आलम जब कांग्रेस में थे, तब उन्होंने AIMIM पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि जिस तरह भाजपा हिन्दू को लेकर राजनीति करती है, उसी तरह AIMIM मुस्लिम को लेकर राजनीति करती है और RSS के विचारधारा में चलती है। इस पार्टी को बैन कर देना चाहिए।

तौसीफ आलम ने अपने फैसले पर स्पष्टीकरण दिया। तौसीफ ने कहा कि कुछ महीने पहले उन्हें AIMIM, RSS को विचारधारा वाली पार्टी लगती थी। लेकिन पार्टी को करीब से जानने के बाद उनका यह भ्रम दूर हो गया। उन्होंने बताया कि AIMIM अधिकारों की लड़ाई लड़ती है, अपने हक की लड़ाई लड़ती है।
वहीं जनसभा से पहले कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र के पूर्व राजद प्रत्याशी शाहिद आलम ने AIMIM का दामन थामा। शाहिद आलम ने कहा राजद में अब कोई उम्मीद नहीं बची। ओवैसी की पार्टी ही सही दिशा दिखा सकती है। मुसलमान के अधिकांश नेताओं को उसकी भागीदारी के अनुरूप न तो नीतीश कुमार की पार्टी और ना लालू प्रसाद यादव की पार्टी टिकट देना चाहती है। यह लोग सिर्फ और सिर्फ वोट लेना जानते हैं। आंकड़े उठाकर देख लीजिए कि पिछले चुनाव में लालू यादव की पार्टी ने कितने मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट देने का काम किया।
बिहार जाति जनगणना के अनुसार हमारी आबादी 18 परसेंट है। इस हिसाब से कम से कम 35 मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट मिलना चाहिए। लेकिन राजद वाले बोलते कुछ और हैं और करते कुछ और। इसी सभा को संबोधित करते हुए एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने वक्फ और काले कानून के खिलाफ, अब हमारे हिंदुस्तान के लोग चुप नहीं बैठेंगे। अगर यह काला कानून बंद नहीं होता है तो न जाने तुम्हारे कितने मस्जिदें बंद हो जाएगी। अपनी घर के बहु बेटी की इंसाफ जो न कर सके वो दूसरे के घरों के इंसाफ पंचायती कर रहे है। जहां मुसलमान महिलाओं ने कहा कि हमें तुम्हारी तीन तलाक की जरूरत नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि तुम्हारी दाढ़ी और टोपी नोची जा रही है, तुम्हारी बहन बेटियों की इज्जत लूटी जा रही है। अगर अभी भी एकजुट नहीं हुए तो कब्रिस्तानों में लाश को दफनाना भी मुश्किल हो जाएगा। अपनी हिफाजत की बात करना कोई भड़काऊ भाषा नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि कोई माई का लाल नहीं कह सकता है कि हमने कभी किसी समुदाय के खिलाफ कोई गलत बयान दिया हो। जो लोग हमारे ऊपर जुल्म करना चाहते हैं, वही हम पर इस तरह का आरोप लगाते हैं।
हमें इस काले कानून और देश में नफरत फैलाने वालों से आजादी चाहिए। इस काले कानून से आजादी की लड़ाई जो नहीं लड़ता वो कायर है। अख्तरुल ईमान ने बीजेपी नेताओ की तुलना जालिमों से करते हुए कहा कि हमें जालिमों और इन देशी अंग्रेजों से आजादी चाहिए।
तौसीफ आलम के आने से सीमांचल में एआइएमआइएम की बल्ले बल्ले

इस साल बिहार विधानसभा का चुनाव होना है और एक बार फिर से असदुद्दीन ओवैसी बिहार चुनाव को लेकर एक्टिव नजर आ रहे हैं। पूरे दमखम के साथ इस बार भी उन्होंने अपनी पार्टी को बिहार के चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया। इस बीच उनकी पार्टी को बिहार में सबसे बड़ी सफलता हाथ तब लगी जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तौसीफ आलम ने कांग्रेस छोड़कर एआईएमआईएम में शामिल होने का फैसला कर लिया।
बहादुरगंज के पूर्व कांग्रेसी विधायक तौसीफ आलम एआइएमआइएम में शामिल हो चुके हैं। एआइएमआइएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद असदुद्दीन ओवैसी से मिलने वे हैदराबाद पहुंचे और वहां पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस दौरान एआइएमआइएम बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह अमौर विधायक अख्तरुल ईमान, युवा प्रदेश अध्यक्ष आदिल हसन और बिहार महासचिव इंजीनियर इकबाल मौजूद थे। एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी में शामिल होने से बहादुरगंज विधानसभा की राजनीतिक फिजा बदल चुकी है।
03 मई को जब ओवैसी किशनगंज में जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो इस दौरान उन्होंने ऐलान कर दिया कि बहादुरगंज से तौसीफ आलम उनकी पार्टी की ओर से उम्मीदवार होंगे। गौरतलब है कि तौसीफ आलम बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुके हैं। बीते 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम उम्मीदवार अंजार नईमी के हाथों उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हालांकि बाद में अंजार नईमी राजद में शामिल हो गए, जिसके बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि तौसीफ आलम मजलिस पार्टी में शामिल तौसीफ आलम ने बीते साल लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस सांसद डॉ जावेद आजाद का मंच से ही विरोध किया था, जिसकी खूब चर्चा हुई थी। यही नहीं सांसद के कार्यों को लेकर उन्होंने कई बार खुले मंच से नाराजगी जाहिर की है। बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र में तौसीफ आलम को अच्छी पकड़ मानी जाती है। कांग्रेस छोड़ने के बाद तौसीफ आलम ने फेसबुक पर लिखा कि उन्होंने देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए AIMIM में शामिल होने का फैसला किया है।
गुलाम रसूल बलियावी वक्फ बिल से नाराज, जदयू से इस्तीफा देंगे या नहीं, सस्पेंस बरकरार

जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी ने वक्फ कानून का पुरजोर विरोध किया है। पटना में इदारा-ए-शरिया की बैठक में शामिल होने आए, मौलानाओं और संगठन से जुड़े वैसे लोग जो जेडीयू नेता हैं, उन्होंने वक्फ कानून का विरोध करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने इस कानून का समर्थन कर गलती कर दी। मुस्लिम नाराज हैं। वक्फ कानून को लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव व इदारा-ए-शरिया धार्मिक मुस्लिम संगठन के अध्यक्ष मौलाना गुलाम रसूल बलियावी की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में बिहार, झारखंड, बंगाल, उड़ीसा समेत कई राज्यों के इस संगठन से जुड़े मौलाना एवं वैसे जेडीयू नेता पहुंचे, जो इस संगठन से जुड़े हैं।
बैठक के बाद बलियावी ने कहा कि वक्फ कानून के खिलाफ हमारा संगठन सुप्रीम कोर्ट गया है। वक्फ कानून में कई खामियां हैं, जिससे सिर्फ मुस्लिम समाज ही नहीं बल्कि संविधान भी आहत हुआ है।
बलियावी ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री तक अपनी बात हमलोग पहुंचाएंगे। वक्फ कानून के जरिए हमारी जो धार्मिक स्वतंत्रता है छीनी जा रही है। वक्फ कानून आने के बाद मंदिर, मठ, चर्च, गुरुद्वारे वाले भी डरे हुए हैं कि अगली बारी उनकी है। यह पॉलिटिकल बैठक नहीं थी। उसके लिए अलग मंच है। पार्टी में रहेंगे या नहीं इस पर आगे बातचीत होगी। यह इदारा-ए-शरिया की बैठक थी।
छह महीने का समय मिला है। मस्जिद, दरगाह, खानकाह इत्यादि की जो सम्पत्तियां हैं, जो रजिस्टर्ड नहीं हैं। उन सबको वक्फ बोर्ड से रजिस्टर्ड कराना है। क्या नीतीश ने केंद्र में इस कानून का समर्थन कर गलती की? इस पर उन्होंने कहा कि हम इस पर बाद में बात करेंगे। क्या आगामी चुनाव में जेडीयू को नुकसान हो जाएगा? इस पर उन्होंने कहा कि चुनाव में अभी समय है। संघर्ष इस कानून के खिलाफ में हम लोग करेंगे। हमारे सारे विकल्प खुले हुए हैं।

बलियावी ने कहा, 'इस समय मुस्लिम उबल रहे हैं। इदार ए शरिया का प्रमुख होने के नाते मैंने बिल में बदलाव के लिए कई सुझाव दिए थे लेकिन इन सुझावों पर कोई पहल नहीं की गई। बलियावी ने कहा, ये वाजिब हो गया है कि अब कम्युनल और सेक्युलर में कोई फर्क नहीं हैं। 31 पेज का सुझाव इदार-ए-शरिया ने जेपीसी को भी दिया था। हमने नीतीश कुमार, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को भी दिया था और जेपीसी के सदस्यों को भी दिया था। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
बता दें पटना के सुल्तानगंज में इस संगठन के दफ्तर में यह बैठक हुई है। वक्फ कानून का जिस तरह जेडीयू ने समर्थन किया उसको लेकर पार्टी में घमासान मचा हुआ है। कई मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दिया है। कई बड़े चेहरे विरोध कर रहे हैं। वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव बलियावी ने भी विरोध कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की।
दामाद के सामने ससुर को बुरा भला कहते रहे ओवैसी, तौसीफ आलम और इजहार अस्फी आमने सामने

सीमांचल की राजनीति में एक और नया रंग देखने को तब मिला जब मंच पर असदुद्दीन ओवैसी और तौसीफ आलम रैली में भाग लेने पहुंचे. इस दौरान ओवैसी ने तौसीफ आलम के ससुर, जो पिछले चुनाव में ए आई एम आई एम के टिकट पर कोचाधामन से विधायक का चुनाव जीत चुके हैं और बाद में उन्होंने राजद का दामन थाम लिया, उसे मंच से बुरा भला बोलते रहे और दामाद तौसीफ आलम चुपचाप सुनते रहे. जब ओवैसी तौसीफ आलम के ससुर को बुरा भला बोल रहे थे तो दर्शक दीर्घा में बैठे कुछ लोगों का कहना था कि वह अच्छी राजनीति नहीं है. अब तो लगता है कि सीमांचल क्षेत्र में ससुर और दामाद के बीच एक नई लडाई देखने को मिलने वाली है. ओवैसी की पार्टी ने जिस तरह से अभी से ही अपना आक्रामक रवैया अपनाया है उसे साफ है कि आने वाले दिनों में ससुर और दामाद के बीच डायरेक्ट लड़ाई देखने को मिलेगी. तौसीफ आलम ना सिर्फ सीमांचल के एक बड़े नेता हैं चल्कि उनके ससुर भी अच्छी पकड़ रखते हैं. हालाकि किशनगंज के एक बड़े पत्रकार ने हमें बताया कि देखिए ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब एक ही परिवार के दो सदस्य दो-दो पार्टी में राजनीति कर रहे हैं. देश में ऐसे कई उदाहरण है कि बेटा किसी और पार्टी से चुनाव लड़ता है तो बेटी किसी और पार्टी से. चाचा किसी और पार्टी में है तो भतीजा किसी और पार्टी में. अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आते-आते ससुर दामाद की यह लड़ाई कैसे और किस मुकाम तक पहुँचती है।
AIMIM ने 2015 में पहली बार उतारे अपने उम्मीदवार, 2020 में पांच विधायक जीते

साल 2015 में जब पहली बार लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की जोड़ी ने मिलकर महागठबंधन बनाने का फैसला लिया इस साल असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार के सीमांचल में अपने 6 उम्मीदवारों को बिहार विधानसभा चुनाव में उतार दिया। हालांकि उस साल एआईएमआईएम के किसी भी उम्मीदवार ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और सब के सब हार गए। लेकिन हार मानने के बदले ओवैसी बिहार यात्रा पर आते रहे और पार्टी को मजबूत बनाते रहे। कहते हैं ना की मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र में सच में कमाल कर दिखाया। उस साल बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन मुस्लिम विधायकों के जीतने में आंकड़े में दूसरे नंबर पर रही है। AIMIM को बिहार की पांच सीटों पर जीत मिली थी। AIMIM के टिकट से जो नेता विधायक बने उनमें अमौर सीट से अख्तरुल ईमान, बायसी से सैयद रुकनुद्दीन अहमद, जोकीहाट से शाहनवाज आलम, कोचाधामन से मोहम्मद इजहार असफी, बहादुरगंज से मोहम्मद अंजार नईमी का नाम शामिल है।
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी के पार्टी के भले पांच विधायक चुनाव जीत गए लेकिन उनमें से चार विधायक राष्ट्रीय जनता दल अर्थात लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद से बगावत करके एआईएमआईएम में आए थे। चुनाव के समय आरजेडी से टिकट नहीं मिलने के बाद इन लोगों ने ओवैसी की पार्टी से हाथ मिलाया था। लेकिन चुनाव जीतने के बाद 5 में से चार विधायक
सब के सब वापस अपने पुराने घर राष्ट्रीय जनता दल में लौट गए। चुनाव जीतने के 2 साल बाद चारों विधायकों ने फिर से राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया और विधिवत शामिल हो गए।
तेजस्वी यादव खुद गाड़ी चलाकर चारों विधायकों शाहनवाज, इजहार, अंजार नाइयनी और सैयद रुकूदीन को लेकर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के चैंबर में गए थे। इसके बाद उन्होंने अपना समर्थन पत्र सौंप दिया। उसके बाद AIMIM में सिर्फ उसके प्रदेश अध्यक्ष और एक विधायक अख्तरुल ईमान ही रह गए। इतना ही नहीं इसके बाद तेजस्वी यादव ने चारों विधायकों को अपने पिता लालू यादव से मिलवाया। लालू यादव ने विधिवत्त चारों विधायकों का स्वागत खुद से किया। इसके साथ ही राष्ट्रीय जनता दल बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
सीमांचल में जदयू को झटका, पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद ने दिया इस्तीफा

वक्फ बिल पास होने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को सीमांचल में अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है। जदयू के किशनगंज जिलाध्यक्ष और कोचाधामन के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद ही कयास लगना शुरू हो चुका है कि मास्टर मुजाहिद या तो लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होंगे वा ओवैसी की पार्टी एआईएम आईएम से हाथ मिला सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो मास्टर मुजाहिद जिस किसी पार्टी में शामिल होंगे उनका पलड़ा सीमांचल में एक तरह से भारी हो जाएगा।
इस्तीफा देने के बाद उन्होंने अपने समर्थकों के साथ शहर के इंसान स्कूल रोड स्थित जदयू जिला कार्यालय में भावुक होकर यह घोषणा की। मुजाहिद आलम ने कहा कि उन्होंने पिछले 15 वर्षों से जदयू में कार्यकर्ता के रूप में काम किया और दो बार कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र की जनता ने उन्हें विधानसभा भेजा। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने वक्फ संशोधन कानून का समर्थन करके उन्हें धोखा दिया है। साथ ही ने कहा कि उन्होंने इस कानून का विरोध किया था और आगे भी जारी रखेंगे।
पत्रकारों से बातचीत में आलम ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ याचिका दायर की है और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से न्याय की उम्मीद है। उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया कि उन्होंने सदन में झूठ बोला था।
इस दौरान, आलम के समर्थकों ने बिहार और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और वक्फ संशोधन कानून को वापस लेने की मांग की। जदयू के वरिष्ठ नेता कारी मसकुर, जिला उपाध्यक्ष जैद अजीज, अंजार आलम, हसन सहबानी, इकबाल अहमद, इंतसार राही, जवादुल हक, डॉ नूर आलम, प्रो साजिद अली सहित सैकड़ों समर्थकों ने पार्टी छोड़कर मुजाहिद आलम के प्रति अपना समर्थन जताया है। किशनगंज जिले में जदयू के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि आलम पाटों के एक प्रमुख नेता थे और उनकी लोकप्रियता क्षेत्र में काफी है। आलम के इस्तीफे से आगामी विधानसभा चुनावों में जदयू की स्थिति पर असर पड़ सकता है। आलम के इस कदम को लेकर राजनीति में चर्चा तेज हो गई है और यह देखा जाना है कि वे आगे किस राजनीतिक दात में शामिल होते हैं।
उधर दूसरी ओर जनता दल यूनाइटेड के नेताओं ने माना कि मास्टर मुजाहिद के इस्तीफा से सीमांचल में खासकर किशनगंज में जदयू कमजोर हुई है।
जेडीयू के नेताओं ने कहा है कि वे आलम के योगदान की सराहना करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि आलम भविष्य में पार्टी के साथ काम करेंगे। वहीं आलम के समर्थकों का कहना है कि उनका इस्तीफा जेडीयू को भविष्य की योजनाओं को प्रभावित करेगा। वहीं प्रेस रिलीज जारी करते हुए मुजाहिद आलम ने बताया कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध में मैंने पार्टी से इस्तीफा दिया है। वहीं कहा कि उनके त्यागपत्र के साथ हजारों कार्यकताओं ने भी पार्टी छोड़ दी। जिनमें प्रमुख नेता शामिल हैं।
सिकंदर हयात शैली (अध्यक्ष, शिक्षा प्रकोष्ड), मो. मुस्तकीम, शादाब मोअज्ञ्जम, मकसूद आलम, अफाक आलम (जिला महासचिव), जैद अजीज (जिला उपाध्यक्ष), अंजार आलम (कला खेलकूद प्रकोष्ठ अध्यक्ष), मो. जिशान हिटलर (प्रधान महासचिव), मुलाम जिलानी (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष), फैज हसन, आरजू रेजा, नाफिश आलम, मिन्हाज आलम (जिला सचिव), निर्मल झा, सतीश कुमार सिंह, गौतम चौधरी (कार्यकारिणी सदस्य) सहित और कई अन्य कार्यकर्ता व पदाधिकारी शामिल है। जानकारों की माने तो किशनगंज में कोचाधामन के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम पिछले 15 वर्षों से जदयू से जुड़े हुए थे। उन्होंने दिवंगत मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के साथ 15 वर्ष पूर्व जदयू की सदस्यता ली थी, उसके बाद लगातार जदयू का सीमांचल में विस्तार करते हुए अपनी पहचान सीमांचल के जदयू के बड़े नेता के रूप में बनाई। जेडीयू ने किशनगंज से मुजाहिद आलम को 2024 लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था, वो भी हार गए।
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ किशनगंज में विशाल रैली

किशनगंज में 20 अप्रैल को किशनगंज के लहरा चौक मैदान में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। इसका आयोजन वक्फ प्रोटेक्शन मूवमेंट के नेतृत्व में किया गया। सभा में क्षेत्र के सभी प्रमुख मिल्ली संगठनों और विपक्षी राजनीतिक दलों ने भाग लिया। हजारों की संख्या में आम लोग भी पहुंचे। सभी ने वक्फ कानून में संशोधन का विरोध किया।
वक्ताओं ने कहा कि वक्फ संपत्तियां इस्लामी शरीयत का हिस्सा हैं। इनमें सरकारी दखल संविधान और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों की आस्था पर सीधा हमला है। वही राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि जब बंटवारा हुआ तब इस देश के मुसलमानों ने इस मिट्टी को नहीं छोड़ा।
सभा में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीअत उलेमा-ए-हिंद किशनगंज, जिला जमीयत अहले हदीस किशनगंज, इमारत शरीया बिहार, ओडिशा और झारखंड, मजलिस-ए-अहरार-ए-इस्लाम बिहार, मजलिस-ए-उलमा-ए-मिल्लत किशनगंज, इदारा शरीया किशनगंज, जमीयत अहले सुन्नत वल जमात, शिया जमात किशनगंज, अमन इंसानियत फाउंडेशन और ऑल इंडिया तंजीमुल उलमा किशनगंज के नेता और उलेमा शामिल हुए।
सभा में चार प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। इनमें वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को तुरंत वापस लेने, वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता बनाए रखने, मुस्लिम पर्सनल लॉ में सरकारी हस्तक्षेप से बचने और मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक व धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई।
मंच से संबोधित करते हुए मुस्लिम नेता ने कहा कि वक्फ की संपत्ति पर कानून बनाने का अधिकार इस सरकार को नहीं है। यह अधिकार संविधान कतई नहीं देता है। आज संविधान पर हमला हो रहा है। हम सबकों अपने अधिकार के लिए लड़ना होगा। वहीं राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि 78 साल पहले जब देश का बंटवारा हुआ तब इस देश के मुसलमानों ने इस मिट्टी को नहीं छोड़ा। इस कानून को बनाकर ये लोग अपने दोस्त को फायदा पहुंचाना चाहते हैं। यतीम खाने की जमीन पर बने घर को अपने दोस्त को कानून से बचाना चाहते हैं।
वक्फ प्रोटेक्शन मूवमेंट के पदाधिकारियों ने कहा कि यह आंदोलन की शुरूआत है। सरकार ने कानून वापस नहीं लिया तो देशभर में आंदोलन होगा। उन्होंने मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की। इस मौके पर राज्यसभा सांसद मनोज झा, इजहारुल हुसैन, इंद्रदेव पासवान, अंजार नईमी, इजहार अस्फी, मास्टर मुजाहिद आलम, नासिर नदीगर, इम्तियाज, गुलाम हसनैन, अख्तरुल ईमान, फैयाज आलम, इशहाक आलम, शम्सुहजमा, प्रदीप रविदास, नसीम, दारा और तौसीफ आलम मौजूद रहे।
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