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बिहार में कैबिनेट विस्तार होते ही भाजपा के अंदर शुरू हुआ विवाद, दिलीप जायसवाल ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Mar 17
  • 8 min read

Updated: Mar 19


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प्रीति सिंह


देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के भागलपुर में आयोजित एक रैली में भाग लेने आते हैं और मंच से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लाडला सीएम  बताते हैं। कयास लगाया जाता है कि इस साल जो बिहार विधानसभा का चुनाव है, उसको साधने के लिए प्रधानमंत्री भागलपुर आए हैं और कुछ बड़ा ऐलान करने वाले हैं। एक महीने पहले ही केंद्र सरकार की ओर से जो बजट पेश किया गया था, उसमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भागलपुर को बड़ा तोहफा देते हुए एक ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट देने का ऐलान किया था। उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस एयरपोर्ट को लेकर कुछ कहेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। किसानों के लिए जारी किसान सम्मन निधि की राशि को देने के अलावे बिहार के लोगों को कुछ भी खास नहीं मिला।


जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली थी, उसके अगली ही दिन बिहार की राजधानी में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल अर्थात पीएमसीएस के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नोएडा उर्फ जेपी नड्डा आए हुए थे। कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जेपी नड्डा, सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा सहित अन्य नेताओं के बीच बंद कमरे में एक मुलाकात होती है। थोड़ी ही देर के बाद सूत्रों के हवाले से पटना के पत्रकारों के बीच एक खबर तैरने लगती है कि बजट सेशन से एक दिन पहले नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। दावा किया जाने लगा कि 28 फरवरी से बिहार विधान मंडल का बजट सेशन है और संभव है कि 27 फरवरी को कैबिनेट का विस्तार किया जाए, लेकिन कैबिनेट का विस्तार तो एक दिन पहले अर्थात 26 फरवरी को ही कर दिया गया. कहां तू यह भी गया था कि जदयू के भी एक या दो नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से 8 महीने पहले और बिहार विधान मंडल बजट सेशन से दो दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट विस्तार को लेकर हरी झंडी दे दी। भारतीय जनता पार्टी के कोटे से सात  विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई. बीजेपी के उन सात विधायकों को देर रात फोन कर पटना बुलाया गया। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उन सभी नाम को लेकर सीएम आवास पहुंचे। काफी विचार मंथन  के बाद सभी नाम को फाइनल किया गया और लिस्ट को  राज्यपाल भवन भेज दिया गया। 

लिस्ट को देखने के बाद साफ पता चल रहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इस कैबिनेट का विस्तार हो रहा है और सभी जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व देने का काम किया जा रहा है। इसमें बिहार के सभी क्षेत्रों का ख़ास ख्याल रखा गया। हालांकि इस कैबिनेट विस्तार को लेकर जो एक बात खटक रही थी वह यह था कि जदयू कोटे से तेरह मंत्री है और भाजपा कोटे से 14। इस कैबिनेट विस्तार के बाद भाजपा कोटे से 21 लोगों को मंत्री बनाया गया। एक पद निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह और दूसरी जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के पास है।. कैबिनेट विस्तार के बाद बीजेपी के कोटे से जिन लोगों को नया मंत्री बनाया गया उनमें संजय सरावगी, जीवेश मिश्रा, सुनील कुमार, राजू सिंह, मोतीलाल प्रसाद, विजय मंडल और कृष्ण कुमार मंटू का नाम शामिल है।

कैबिनेट विस्तार के बाद जिन लोगों को मंत्री बनाया गया उसमें पहला नाम दरभंगा के नगर विधायक संजय सरावगी  का था। वैश्य  समाज से आते हैं। मिथिला क्षेत्र के  बड़े नेता माने जाते हैं। साल 2005 से लगातार बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2005 में दो बार चुनाव जीत चुके हैं अर्थात राष्ट्रपति शासन से पहले और राष्ट्रपति शासन के बाद भी। इसके बाद साल 2010, 2015 और 2020 के चुनाव में लगातार सफलता का परचम लहराते हुए बिहार विधानसभा पहुंचे हैं। बावजूद इसके अब तक उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था। हमने आपको पहले ही बताया था कि वैश्य  जाति से आते हैं और बिहार बीजेपी में बड़ी-बड़ी नेता इस जाति से आते हैं। पहले इस जाति की कोटे से सुशील मोदी मंत्री हुआ करते थे। बाद के दिनों में तारकेश्वर प्रसाद को और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को मंत्री बनाया गया लेकिन इस बार संजय सरावगी की किस्मत ने साथ दिया। उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया। उन्हें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग दिया गया है।


जीवेश मिश्रा दरभंगा के जाल विधानसभा सीट से विधायक है और इससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। वे एक बार पहले भी मंत्री रह चुके हैं और दोबारा उन्हें मंत्री पद दिया गया है. जीवेश मिश्रा को  नगर विकास एवं आवास विकास विभाग दिया गया है। जीवेश ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. 1981 से लेकर 1998 तक वो एबीवीपी के सक्रिय सदस्य रहे। 2002 में भाजपा के सक्रिय सदस्य बने और पहली बार 2015 में जाले निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। जीवेश जाले विधानसभा सीट से लगातार दो  बार विधायक चुने जा चुके हैं। बीजेपी की सदस्यता अभियान को लेकर भी प्रदेश में इनको बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी।


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राजू सिंह साहिबगंज से विधायक है। साल 2005 से ही बिहार की राजनीति में एक्टिव है। लोजपा अर्थात लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने पाला बदलते हुए नीतीश कुमार का दामन थाम लिया। 2010 का चुनाव उन्होंने जदयू के टिकट पर लड़ा लेकिन 2015 में एक बार फिर से पाला बदलते हुए भाजपा के खेमे में चले गए। किस्मत ने साथ नहीं दिया और विधानसभा चुनाव हार गए। 2020 के चुनाव में इन्होंने मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी अर्थात वीआईपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। बाद के दिनों में दल बदलते हुए इन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला कर लिया। राजू सिंह की छवि एक दबंग विधायक की है। उनकी गिनती राज्य के बड़े रसूखदार के साथ ही उद्योग और व्यवसाय जगत के बड़े लोगों में भी की जाती है। बताया जाता है कि इनका रूस में कारोबार भी है। इनके ऊपर दफा 302 के तहत मर्डर केस भी चल रहा है।


सुनील कुमार बिहार शरीफ से विधायक है और कई भोजपुरी फिल्मों का निर्माण भी कर चुके हैं। बतौर बिजनेसमैन उनकी प्रतिष्ठा देश-विदेश में भी है। साल 2005 से राजनीति में एक्टिव है। पहली बार 2005 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे और 2010 के चुनाव में भी जीत दर्ज कर विधायक बने थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया तब सुनील कुमार का मन बदला और इन्होंने जदयू को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला कर लिया। इसके बाद साल 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव इन्होंने बीजेपी के टिकट पर लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे।


कुर्मी समाज के लोग इन्हें अपना बड़ा नेता मानते हैं।

मोतीलाल प्रसाद सीतामढ़ी के रीगा विधानसभा से विधायक है। वैश्य समाज से आते हैं और लगातार दूसरी बार बिहार विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने हैं। साल 2010 मैं बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। साल 2015 के चुनाव में बुरी तरह हार गए। इसके बाद फिर से साल 2020 के चुनाव में इन्होंने सफलता का परचम लहराया और विधायक बनने में कामयाब रहे। 


कृष्ण कुमार मंटू सारण जिले की अमनौर सीट से विधायक हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से इन्होंने राजनीति का आरंभ किया था। यह कभी अपने पंचायत के मुखिया हुआ करते थे। दबंग नेता के रूप में उनकी अपनी एक अलग पहचान है। भाजपा विधायक राजीव प्रताप रूढ़ी के खासम खास हैं। छात्र जीवन में ही इन्होंने पॉलिटिक्स में आने का फैसला ले लिया और साल 2010 में पहली बार विधायक बने। साल 2015 का चुनाव हार गए। साल 2020 के चुनाव से पहले इन्होंने नीतीश कुमार को टाटा बाय-बाय कर दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। 


इस कैबिनेट विस्तार में सीमांचल के भी एक विधायक को मंत्री बनाया गया है। विजय कुमार मंडल अररिया के सिकटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। चुनाव जीतकर  पांच बार विधानसभा पहुंच चुके हैं। उनके पास काफी लंबा अनुभव है। एक समय था जब वह बाहुबली नेता आनंद मोहन की पार्टी के इकलौते विधायक हुआ करते थे। बाद के दिनों में उन्होंने रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। 1995 में पहली बार उन्हें विधायक बनने का अवसर मिला। आनंद मोहन की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी से उन्होंने अपनी राजनीतिक कैरियर का आरंभ किया था। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर यह विधायक बने थे और इसके बाद इन्होंने लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होने का फैसला कर लिया था। इसके बाद विजय मंडल ने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की। सीमांचल के राजनीति में विजय कुमार मंडल की अच्छी खासी पकड़ बताई जाती है।

 सात नए विधायकों को कौन से विभाग का मिला जिम्मा 
  • संजय सरावगी - राजस्व एवं भूमि सुधार

  • सुनील कुमार - पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग

  • राजू सिंह - पर्यटन मंत्री

  • मोतीलाल प्रसाद - कला, संस्कृति एवं युवा विभाग

  • कृष्ण कुमार मंटू - सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री

  • विजय मंडल - आपदा प्रबंधन विभाग

  • जीवेश कुमार - नगर विकास एवं आवास विभाग


पुराने मंत्रियों का भी बदला विभाग

बिहार में नीतीश कुमार की कैबिनेट में मंत्रियों के विभागों में फेरबदल हुआ है। यह बदलाव मंत्रियों के कामकाज के आधार पर किया गया है। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा अब कृषि और खनन विभाग देखेंगे। पहले उनके पास पथ निर्माण विभाग था, जो अब नितिन नवीन को सौंपा गया है। नितिन नवीन से नगर विकास विभाग लेकर जीवेश मिश्रा को दे दिया गया है। मंगल पांडेय के पास स्वास्थ्य और विधि विभाग की ज़िम्मेदारी रहेगी। नीतीश मिश्रा अब सिर्फ़ उद्योग विभाग संभालेंगे। नितिन नवीन के पास अब पथ निर्माण की ज़िम्मेदारी है। बिहार में सड़कों का निर्माण एक बड़ा मुद्दा रहा है। जीवेश मिश्रा अब शहरों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। मंगल पांडेय स्वास्थ्य और क़ानून व्यवस्था दोनों देखेंगे। नीतीश मिश्रा उद्योग विभाग में निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे।


बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से क्यों लिया गया मंत्री पद से इस्तीफा

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जिस दिन बिहार में कैबिनेट का विस्तार होना था उसे दिन एक और खबर आई और खबर सुनते ही लोग हैरान हो गए। मीडिया में खबरें चलने लगी कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। थोड़ी देर बाद दिलीप जायसवाल खुद मीडिया के सामने आए और उन्होंने बताया कि मैं अभी बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ बैठक करने जा रहा हूं।


बैठक के बाद सब कुछ फाइनल हो जाएगा कि कौन मंत्री बनेगा और कौन नहीं। हालांकि उन्होंने अपने बारे में तुरंत स्वीकार करते हुए कहा कि मैं आज मंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं और इसके पीछे का कारण उन्होंने बताया कि बीजेपी में एक आदमी एक पद का फार्मूला बना हुआ है, यही कारण है कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं और मैं प्रदेश अध्यक्ष बना रहूंगा। 


हालांकि यहां सवाल उठता है कि अगर एक आदमी एक पद के फार्मूले के कारण दिलीप जायसवाल ने अपने पद से इस्तीफा दिया है तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा उर्फ जेपी नड्डा अपने पद पर क्यों बने हुए हैं, वर्तमान समय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री भी हैं। 


कुल मिलाकर कहा जा सकता है बिहार की राजनीति में खासकर बीजेपी के अंदर जो दिख रहा है वह सही नहीं है। इसके कुछ ही दिनों के बाद भाजपा में चुनाव कर दिलीप जायसवाल को अगले 3 सालों के लिए बिहार बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाता है। पटना के बापू सभागार में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर आते  है और चुनावी प्रक्रिया को संपन्न करते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि बिहार बीजेपी का जिम्मा  संभालने के बाद इस साल बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा क्या कुछ कमाल दिखा पाती है. 

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