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सिंघम से विधायक सांसद बनेंगे शिवदीप लांडे

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Feb 16
  • 5 min read
इस्तीफा मंजूर होने के बाद चर्चा शुरू

• प्रतीक कुमार


जल्द आपके बीच आ रहा हूँ।'वो तो खुशबू है हवाओ में मिल जायेगा' वर्दी एक युवा मन का सपना होता है, लेकिन इतनी सतत समर्पित सेवा के बाद चमड़ी ही वर्दी बन जाती है अब जनसाधारण से जुड़ने के लिए यूनिफार्म की जरूरत नहीं है। नौकरी से आगे निकल बिहार की आबो-हवा में मिलने का वक्त आ गया है। कहानी का एक अंक संपन्न हुआ, दूसरे का आगाज। वर्दी नहीं, लेकिन हौसले वही। 29 जनवरी को इस्तीफा मंजूर होने के बाद बिहार के सिंघम शिवदीप लांडे फेसबुक पोस्ट के माध्यम से ऐलान करते हैं कि जल्द आपके बीच आ रहा हूँ। फिर छह फरवरी को दूसरा, 'वो तो खुशबू है हवाओ में मिल जायेगा'। फिर तीसरा फेसबुक पोस्ट 10 फरवरी को किया जाता है जिसमें लिखा है कि वदर्दी नहीं, लेकिन हौसले वही।।


इस फेसबुक पोस्ट के बाद बिहार की राजनीति में एक नया चर्चा शुरू हो गया। लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि बिहार को बहुत जल्द एक और नेता मिलने वाला है। किसी का कहना था कि शिवदीप लांडे बीजेपी या जदयू के टिकट पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे तो किसी का कहना था कि हो ना हो शिवदीप लांडे प्रशांत किशोर की पार्टी जन स्वराज को ज्वाइन करेंगे और राजनीतिक कैरियर का शुभारंभ करेंगे।


बिहार की राजनीति में यह कोई बड़ी बात नहीं है जब किसी आईपीएस अधिकारी ने समय से पहले इस्तीफा देकर रिटायरमेंट लिया हो और पॉलिटिक्स की तैयारी कर रहा हो। बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे को भला कौन भूल सकता है। डीजीपी जैसे बड़े पद को उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए छोड़ दिया था। बात के दिनों में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने जनता दल यूनाइटेड अर्थात जदयू पार्टी की सदस्यता ली और लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने आध्यात्मिक का रास्ता चुना और आजकल संत महात्मा बनाकर कथा प्रवचन करते हुए जगह-जगह नजर आते हैं।


अब बिहार के वर्तमान शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के बारे में भी जान लीजिए। मंत्री बनने से पहले और बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने से पहले वह भी एक आईपीएस अधिकारी हुआ करते थे। पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा को तो आप जानते ही होंगे, जिन्होंने समय से पहले रिटायरमेंट लेकर बक्सर लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। अभी कुछ दिन पहले की ही बात है कि बिहार में डीएसपी पद पर तैनात राजवंश सिंह ने भी जान स्वराज पार्टी का दामन थाम लिया।


कुल मिलाकर कहने का उद्देश्य बस इतना है कि आईपीएस अधिकारियों के मन से पॉलिटिक्स को लेकर जी स्टारडम बना हुआ है वह किसी से छिपा नहीं है।


चर्चा इसलिए भी है क्योंकि सोशल मीडिया पर 'जन सुराज फॉर बिहार' नाम के एक पेज ने दावा किया है कि शिवदीप लांडे जल्द ही जन सुराज अभियान में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, अभी तक शिवदीप लांडे या जन सुराज की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।


पिछले साल इस्तीफा देने के बाद लिखा गया भावुक पोस्ट

मेरे प्रिय बिहार, पिछले 18 वर्षों से सरकारी पद पर अपनी सेवा प्रदान करने के बाद आज मैंने इस पद से इस्तीफा दे दिया है। इन सभी वर्षों में मैंने बिहार को खुद से और अपने परिवार से भी ऊपर माना है। अगर मेरे बतौर सरकारी सेवक के कार्यकाल में कोई त्रुटि हुई हो तो मैं उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। मैंने आज भारतीय पुलिस सर्विस (IPS) से त्यागपत्र दिया है परन्तु मैं बिहार में ही रहूँगा और आगे भी बिहार मेरी कर्मभूमि रहेगी।


सर्वप्रथम मैं पुरे दिल से सभी का आभार प्रकट करना चाहता है क्यूंकि मुझे जो प्यार और प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है वो मैंने कभी नहीं सोचा था। मेरे त्यागपत्र के बाद से कुछ मीडिया वाले इस संभावना को तलाशने में लगे हैं की शायद मैं किसी राजनितिक पार्टी से जुड़ने जा रहा हूँ। मैं इस पोस्ट के माध्यम से सभी को ये बताना चाहता हूँ की मेरी न ही किसी राजनितिक पार्टी से कोई बात हो रही है और न ही किसी पार्टी के विचारधारा से मैं जुड़ने जा रहा हूँ। कृपया कर मेरे नाम को किसी के साथ ओड़ कर न देखें।


'त्याग' यह शायद किताबों में पढ़ने में अच्छा लगता है या दूसरों को प्रवचन देने में। लेकिन गौरी वह तुम्हारा 'त्याग' ही है जिसके वजह से मैंने भारतीय पुलिस सेवा से त्यागपत्र देने एवं बिहार में अपना अगला समय बिताने का निर्णय लिया। तुम्हारा मेरे इस निर्णय के प्रति समर्पण, अर्का के साथ खुद के दायित्व संभालने की जिम्मेदारी लेना और मेरे बिहार के प्रति संवेदना को समझना, मैं इनके आगे कुछ कहने के लिए शब्द नहीं ढूढ़ सकता हूँ।


कौन हैं शिवदीप लांडे और क्यों हैं इतने लोकप्रिय ?

शिवदीप लांडे अपनी तेजतर्रार कार्यशैली और अपराधियों के खिलाफ कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं। पूर्णिया के आईजी रहते हुए उन्होंने कई संगठित अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया था। उनके कार्यकाल में बिहार में अपराध नियंत्रण को लेकर उनकी सख्त नीतियों की खूब सराहना हुई थी। वह युवाओं और आम जनता के बीच भी बेहद लोकप्रिय हैं। यही वजह है कि जब उनके राजनीति में आने की चर्चा शुरू हुई, तो बिहार की राजनीतिक गलियों में हलचल मच गई।


'वूमेन बिहाइंड द लावन' यह एक किताब है जिसे आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे द्वारा लिखा गया है। इसमें उन्होंने अपने बचपन की बातों से लेकर यूपीएससी परीक्षा तैयारी करनने के संघर्ष एवं नौकरी करने के दौरान बिहार साहित्य अन्य शहरों में क्या कुछ मिला इसका उल्लेख विस्तार से किया है। दीप लैंड मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं और बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी है।


नौकरी से रिजाइन करने के बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा था कि 'मैंने कुछ व्यक्तिगत कारणों से भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दिया है। समाज के लोगों के लिए काम जारी रहेगा। अब बस बिहार और बिहार के लोगों की सेवा करनी है'।


2006 बैच के आईपीएस अधिकारी श्री लांडे बिहार में एक दबंग पुलिस अधिकारी के रूप में फेमस हैं। लोग उन्हें सिंघम और सुपर कॉप जैसे नामों से जानते हैं जब वे पटना में सिटी एसपी के रूप में कार्यस्त थे कहा जाता है कि अपराध जगत के लोग उनके डर से थर-थर कांपते थे। अपराध को कम करने के लिए वे समय-समय पर स्पेशल अभियान चलाया करते थे। कॉलेज जाने वाली लड़कियों के लिए वे रोल मॉडल बनकर उभरे थे। अप्रैल 2015 में रोहतास जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में तैनात होने पर भी उन्होंने सुर्खियाँ बटोरी, जहाँ उन्होंने माफियाओं और स्थानीय राजनीतिक दिग्गजों के स्वामित्व वाली अवैध स्टोन क्रशर इकाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। श्री लांडे इससे पहले पटना सेंट्रल रेंज के सिटी एसपी, रोहतास और अररिया के एसपी रह चुके हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में भी पांच साल तक सेवा दी है।

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