पप्पू यादव नायक या खलनायक?
- azhar rahmani
- Nov 20, 2024
- 9 min read
Updated: Dec 1, 2024

रोशन झा
लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार के पूर्णिया लोकसभा सीट में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद निर्दलीय सांसद और बिहार के बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव शपथ ग्रहण के लिए नवनिर्मित संसद में पहली बार पहुंचते हैं। इस दौरान पप्पू यादव कुछ ऐसा बयान दे देते हैं जो तुरंत सोशल मोडिया में वायरल होने लगता है और न्यूज चैनल के टीवी स्क्रीन पर भी दिखने लगता है। वीडियो में पप्पू यादव यह कहते हुए सुने जाते हैं कि 'आप हमको सिखाइएगा, आपसे ज्यादा जानता हूं, छह बार सांसद बनकर यहां आ चुका हूं, चार बार निर्दलीय जीत दर्ज कर चुका हूं। उस दिन आखिरकार लोकसभा में क्या हुआ था यह पूरा तो नहीं पता लेकिन वीडियो में साफ दिख रहा था की शपथ ग्रहण के बाद जैसे ही पप्पू यादव बिहार को विशेष दर्जा देने की बात करते हैं और सीमांचल जिंदाबाद के नारे लगाते हैं वैसे ही भाजपा सहित एनडीए के अन्य सांसदों द्वारा इसका विरोध किया जाता है। इस दौरान प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब भी बार-बार पप्पू यादव को अपने शपथ भाषण को समाप्त करने का आग्रह कर रहे थे।

उसी शपथ ग्रहण के कुछ महीनो के बाद पप्पू यादव एक बार फिर से चर्चा में है और सुर्खियां बटोर रहे हैं। हालांकि ये पप्पू यादव के लिए कोई नई बात नहीं है। पटना का बाढ़ हो या बिहार का कोई भी आंदोलन। कोरोना हो या अन्य आपदाएं, पप्पू यादव ने समय-समय पर बढ़ चढ़कर भाग लिया और यथासंभव गरीब जनता की मदद करते रहे। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि जब किसी भी आदमी की मदद कोई नहीं करता तो वह दर-दर भटकने के बाद अंत में पप्पू यादव के दरवाजे पर पहुंचता है और उसकी मदद हो जाती है। हमने बाढ़ के दौरान पप्पू यादव को लोगों के बीच कैश पैसे भी बांटते देखे हैं। मैं उसे सही या गलत ठहराने के फेर में नहीं जा रहा, यह तय करने का अधिकार मैं आप पर छोड़ता हूं कि पप्पू यादव सही करते थे या गलत ?
मुद्दे पर लौटते हैं, पप्पू यादव फिर से चर्चा में है। इस बार उनकी चर्चा किसी आंदोलन के लिए नहीं, किसी गरीब की मदद के लिए नहीं, बल्कि एक वायरल फोन कॉल के कारण हो रही है। एक अनजान आदमी पप्पू यादव को धमकी देने के लिए फोन करता है। पप्पू यादव खुद फोन पर बात करते हुए सुने जा रहे हैं, लेकिन वह अपना परिचय पप्पू यादव के रूप में नहीं देते हैं, बात करने का लहजा भी पप्पू यादव टाइप नहीं था। पप्पू यादव टाइप का मतलब है की बात करने के दौरान पप्पू यादव यस सर... यस सर... मोड में नजर आ रहे हैं। दहाड़ने के बदले पप्पू यादव यूटर्न लेते हुए एक तरह से कहा जाए तो हकला रहे हैं।
थोड़ी देर में ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगती है। पप्पू यादव अपनी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने को लेकर गृह मंत्रालय को पत्र लिखते हैं और कहते हैं कि उनकी जान को खतरा है इसीलिए जेड श्रेणी की सुरक्षा दी जाए। दूसरी ओर सोशल मीडिया में पप्पू यादव के समर्थक और विरोधी अपने-अपने स्टाइल में इस वीडियो का समर्थन तो विरोध कर रहे हैं। वीडियो पर बात करने से पहले हमें और आपको यह समझना होगा कि आखिर पूरा मामला क्या है।

पिछले कुछ सालों से लॉरेंस बिश्नोई का नाम आपने सोशल मीडिया के माध्यम से सुना होगा। साल 2014 लोकसभा चुनाव के बाद देश में जिस तरह एक नया सनातनी हिंदू धर्म उत्पन्न हुआ या बनाया। इस तरह लॉरेंस बिश्नोई के साथ-साथ, रातों-रात कई लोग सोशल मीडिया में हीरो बनने के लिए इसके रक्षक बनते गए। जो लाइव वीडियो में जाकर लोगों को धमकाते थे। समझाते बुझाते थे की क्या उन्हें करना है और क्या नहीं करना है। जो लोग नहीं मानते थे उन्हें पहले सोशल मीडिया पर ललकारा जाता था और बीच बाजार में किसी भी स्थान पर पकड़ कर मारपीट किया जाता था। इतना ही नहीं उसे वीडियो को सोशल मीडिया में वायरल कर ये भी कहा जाता था कि देख लो हमने जो कहा था सो कर दिखाया। एक तरह से आप इसे हिंसात्मक रवैया कह सकते हैं, जो धर्म के नाम पर स्टार्ट हुआ। पहले इस तरह के समाज सुधारकों ने अधिकांश मुसलमान समाज के लोगों को टारगेट किया। इसी अभियान का नतीजा है की जगह-जगह मोब लिंचिंग का मामला सामने आने लगा और देश की जनता जानने लगी कि मॉब लिंचिंग आखिरकार होता क्या है। किसी को बीफ के नाम पर तो किसी को धर्म के नाम पर टारगेट किया जाने लगा। मुसलमान है तो गाय का मीट खाता ही होगा, मुसलमान है तो हिंदू पूजा पाठ का विरोध करता ही होगा इस तरह का प्रोपेगेंडा समाज में फैला दिया गया।
यह वह दौर था जब भारत में जिओ मोबाइल 4G कनेक्शन लोगों को फ्री में दिए जा रहे थे। फेसबुक लाइव वीडियो शुरू हो चुका था। रील्स बनाने का दौर शुरू हो चुका था। लाइक और व्यूज के माध्यम से लोग लाखों डॉलर कमा रहे थे। हिट होने के लिए नए-नए स्ट्रगल करने वाले गायक और गायिका भड़काऊ गाने गा रहे थे। बड़े-बड़े सेलिब्रिटी उन गानों को अपने ऑफिशियल पेज पर शेयर कर वायरल कर रहे थे और मौन समर्थन दे रहे थे।
इस तरह की न्यूज न सिर्फ टीआरपी लाने में नंबर वन साबित हो रहे थे बल्कि सोशल मीडिया में जमकर वायरल भी हो रहे थे। इसी बीच पप्पू यादव की लॉरेंस बिश्नोई एपिसोड में एंट्री होती है। पप्पू यादव पहले मुंबई जाकर बाबा सिद्दीकी के परिवार वालों से मिलते हैं और उन्हें हिम्मत देते हुए अपनी राजनीति शुरू करते हैं। वह सबसे पहले मोदी सरकार और राज्य की एनडीए सरकार के लॉ एंड आर्डर पर जमकर हमला बोलते हैं। साथ ही सलमान खान से कहते हैं कि आपको डरने की जरूरत नहीं है मैं आपसे मिलने के लिए आ रहा हूं। कुछ दिनों के बाद पप्पू यादव मुम्बई जाकर बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी से मुलाकात की और सलमान खान से फोन पर बात की। एक तरह से कहा जाए तो पप्पू यादव ने खुलेआम लॉरेंस बिश्नोई गैंग को चैलेंज कर दिया था कि तुम कुछ नहीं हो और मैं तुमसे नहीं डरता।

रोज पप्पू यादव नए-नए ट्वीट कर रहे थे और मीडिया में स्पेस बटोर रहे थे। जिस किसी चैनल पर लॉरेंस बिश्नोई की खबरें चल रही होती थी तो या तो पप्पू यादव को डिबेट में शामिल किया जाता था या पप्पू यादव ने क्या कहा उसे दिखाया जाता था।
इस बीच एक और घटना तेजी से बढ़ रही थी। उसके बारे में बताने से पहले आपको पद्मावत फिल्म रिलीज के दौरान जो कुछ हुआ था उसे याद दिलाना चाहता हूं। आपके जिले, आपके गांव और आपके राज्य में करणी सेना का नाम लेने वाला कोई नहीं था, लेकिन मीडिया में करणी सेना को स्पेस मिलते ही पंचायत से लेकर प्रखंड तक और जिले से लेकर प्रमंडल स्तर तक लोग कहने लगे कि मैं करणी सेना का समर्थक हूं। कुछ इसी तरह इस मामले में भी हुआ। सोशल मीडिया से लेकर धरातल पर प्रचार के लिए सब कोई लॉरेंस विश्नोई गैंग का सदस्य बनने लगे । जिसे देखो वह अपने विरोधियों को यह कहते हुए नजर आ रहे थे कि ज्यादा मत कूदो नहीं तो लरिंस बिश्नोई गैंग को फोन कर देंगे। फिर तुम्हारा क्या होगा खुद जान जाओगे।
पप्पू यादव का पोलिटिकल कैरियर
पप्पू यादव का जन्म मधेपुरा जिले में 1967 में हुआ था। 1990 में निर्दलीय विधायक चुनकर आए थे। वह दौर पप्पू यादव के लिए बहुत खास था। पप्पू यादव का भय सीमांचल में इस कदर था कि लोग उनका नाम लेने से भी डरते थे। 17 साल जेल में बिताने वाले पप्पू यादव की पहचान बाहुबली नेता के रूप में हुई। उन पर हत्या, किडनैपिंग, मारपीट, वृच कैपचरिंग, आर्म्स एक्ट जैसे कई मामले अलग- अलग थानों में दर्ज हुए हैं इतना ही नहीं पप्पू यादव को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार की हत्या के मामले में 17 साल जेल में रहना पड़ा था।
2015 में तेजस्वी यादव की बयानबाजी के बाद यह खफा हो गए और आरजेडी से दूरी बताकर अपनी 'जन अधिकार फटी बनाई। 2019 में उन्होंन अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2013 में जेल से आने के बाद से ही पप्पू यादव का रुख बदल चुका था।
राजनीति से पहले पप्पू यादव को परिवार संभालना चाहिए

इसमें कोई दो राय नहीं है की टीआरपी के लिए कभी-कभी पप्पू यादव अनर्गल बयान देते हैं। अधिकांश मामले में उनका यह बयान सुपर डुपर हिट साबित हो जाता है तो कभी-कभी बैंक फायर भी कर जाता है। लॉरेंस बिश्नोई मामले में कुछ ऐसा - ही हुआ। नौबत यहां तक आ चुकी है कि लोग कहने लगे हैं कि पप्पू यादव को राजनीति से पहले परिवार संभालना चाहिए। अन्यथा परिवार टूट चुका है और - स्थिति कंट्रोल नहीं की गई तो तलाक तक की नौबत आ सकती है
पप्पू यादव की हीरो बनकर एंट्री, विलन बनकर हिट विकेट आउट

जैसा कि हमने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई मामले में पप्पू यादव हीरो बनकर एंट्री मारते हैं और विलन बनकर हिट विकेट आउट हो जाते हैं। पहली बार किसी अनजान आदमी का पप्पू यादव के फोन पर कॉल आता है। वह खुद को लॉरेंस बिश्नोई गैंग का आदमी बताता है। अकड़ के संग पप्पू यादव से बात करता है। रातो रात हीरो बन जाता है या यू कहे हीरो बना दिया जाता है। अगले दिन किसी अन्य विषय को लेकर पटना में पप्पू यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाते हैं और पत्रकारों के द्वारा लॉरेंस बिश्नोई मामले पर सवाल पूछे जाने के बाद गुस्से में तमतमा जाते हैं। हालाकि उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनका यही कहना था कि जिसके लिए प्रेसवार्ता बुलाई गई है उसी पर बातचीत होनी चाहिए। एक जगह वह यह भी कहते हुए सुने जाते हैं अच्छी बात है मैं डर गया हूं। आपको लगता है कि मैं डर रहा हूं तो यही सही।
फिर क्या था सोशल मीडिया में आग लग गई। पप्पू यादव डर गए, देखें उन्होंने क्या कहा... इस तरह की हेडिंग बनने लगी। कुछ दिन के बाद फिर एक कॉल आता है और पप्पू यादव स्टैंड लेने के बदले कहते हैं कि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है।
इसी बीच समाचार एजेंसी ए.एन. आई. उनकी पत्नी और कांग्रेस नेत्री सह राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन से बात करती है। उनका कहना था कि इस मामले से उनका और उनके बेटे का कोई लेना देना नहीं है। पप्पू यादव दो साल से उनके साथ नहीं रह रहे हैं। उन दोनों के बीच में बातचीत तक नहीं होती। अब थोड़ा पप्पू यादव के बैकग्राउंड को भी समझने का प्रयास करते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पप्पू यादव
एक बाहुबली नेता थे और है। एक समय उनके और आनंद मोहन के बीच जमकर अदावत हुआ करती थी। फायरिंग के दौरान दोनों खुद मोर्चा संभाल लिया करते थे। पप्पू यादव संपन्न परिवार से आते हैं। अर्थात वे एक साधारण गरीब परिवार के बेटे नहीं है जो पहले विधायक बनते हैं और फिर सांसद बन जाते हैं। लालू शासन में या उससे पहले बिहार में बूत कैपचरिंग नामक एक जिन्न हुआ करता था। खास बात यह थी कि यह जिन उस आदमी के लिए काम करता था जो दबंग होता था। जिसके पास बाहुबली हुआ करता था। जो मर सकता था और किसी को मार सकता था। जरूरत पड़ने पर पुलिस वाले को धमका भी सकता था। पप्पू यादव में वह तमाम गुण थे जो एक राजनेता में होना चाहिए।
इसी बीच रंजीत रंजन से उन्हें प्यार होता है। नाटकीय ढंग से उनकी लव स्टोरी आगे बढ़ती है और दोनों शादी कर लेते हैं। इतना ही नहीं जेल में रहने के दौरान वह अपनी जीवनी पर किताब लिखते हैं। उसमें कितनी सच्चाइ है और कितना झूठ? यह तो सिर्फ और सिर्फ पप्पू यादव या उनके समकालीन नेता लोग बता सकते हैं।
अपने ही बनाए जाल में फंस चुके हैं पप्पू यादव

मुझे आज भी याद है उस समय मैं पटना के एक मिडिया हॉउस में काम करता था। साल 2015 या 16 की बात है। पप्पू यादव मोदी लहर में बीजेपी के उम्मीदवार और जदयू के सांसद शरद यादव को हराकर मधेपुरा से सांसद बने थे। तब तक सोशल मीडिया का नया-नया जन्म हो रहा था। मेंन स्ट्रीम मीडिया में पप्पू यादव को कोई पूछ नहीं रहा था। नए-नए यूट्यूबर रोड पर उतरकर पत्रकारिता रहे थे। नेताओं का फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर एजेंसी द्वारा संच्चालित होना शुरू हुआ था। रोज नए-नए ग्राफिक्स बनाकर जयंती और पुण्यतिथि पर शुभकामनाएं दी जा रही थी। पप्पू यादव ने सोशल मीडिया गैंग के पत्रकारों को तवज्जो देना शुरू किया। अपने पास बिठाते थे। खाना खिलाते थे। पैसा बांटते थे। आज भी उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस में 95% सोशल मीडिया के पत्रकार ही पहुंचते
हैं। सोशल मीडिया वालों को दो तरह से फायदा हो रहा था। एक तो पप्पू यादव द्वारा पैसे के साथ-साथ बड़े-बड़े होटल में बढ़िया खाना मिल जा रहा था तो दूसरा वीडियो वायरल होने पर डॉलर की कमाई हो रही थी।
पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पत्रकारों को खड़ा किया आज वही लोग वीडियो वायरल करने के लिए पप्पू यादव से अनर्गल सवाल पूछते हैं और उसे वायरल करते हैं। जानकारों की मानी तो ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पप्पू यादव ने अब सोशल मीडिया पत्रकारों को कैश पैसा देना बंद कर दिया है। वैसे भी बिहार के मिथिला क्षेत्र में एक कहावत है अपने से लगाया हुआ गाछी अर्थात बगीचा भुताह हो जाता है।
गरीबों के लिए भगवान है पप्पू यादव

पप्पू यादव भले किसी क्षेत्र से सांसद रहे हो लेकिन उनके दिल्ली आवास पर बिहार का हर गरीब - आदमी और असहाय आदमी जाकर मदद मांग सकता है। उनके दरवाजे सबके लिए खुले हुए हैं।
कहने वाले तो यहां तक कहते हैं की पप्पू यादव का सरकारी आवास गरीब और असहाय लोगों के लिए एक आशियाना है। अगर आपको एम्स में इलाज करवाना है और आपके पास रहने के लिए जगह और खाना खाने के लिए पैसे नहीं है तो पप्पू यादव की सरकारी आवास पर पहुंच जाइए। किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने पप्पू यादव के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष को उजागर करने का प्रयास भर किया है, लेकिन इतना तो सच है कि पप्पू यादव ने बंदूक चलाना छोड़ा है, बंदूक चलाना भूल गए होंगे यह मैं नहीं मानता। इसलिए पप्पू यादव की ट्रोलिंग बंद होनी चाहिए और हमें गर्व करना चाहिए कि आखिर बिहार में कोई तो है जो लॉरेंस बिश्नोई से दो दो हाथ करने की हिम्मत रखता है।
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