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महाराष्ट्र में एनडीए और झारखंड में महागठबंधन की बल्ले-बल्ले बिहार में तेजस्वी को झटका

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Feb 12
  • 12 min read

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• राहुल कुमार


26 नवंबर अर्थात 'संविधान दिवस' जिस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था। यह संविधान ही तो है जो हमें हमारा कानूनन अधिकार प्रदान करता है, हमें अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए आवाज उठाने के लिए अधिकार देता है, हम किसी भी धर्म के मानने वाले क्यों ना हो लेकिन हमें बराबर समझा जाता है। संविधान के अनुसार अमीर हो या गरीब, मर्द हो या औरत, गोरा हो या काला, शिक्षित हो या और शिक्षित, सब बराबर है। संविधान ने हमें कई तरह के अधिकार दिए हैं। सबका अपना-अपना महत्व है, लेकिन स्वतंत्र भारत में जनता के पास जो सबसे बड़ा अधिकार है, वह वोट देने का अधिकार है। क्योंकि चुनाव में वोट के माध्यम से हम अपनी पसंद की सरकार बनाते हैं। अच्छे विधायक और सांसद को जितवा कर सदन भेजते है।। जो लोग जीतने के बाद भी ठीक ढंग से काम नहीं करते उसे अगले चुनाव में हराकर दूसरे को मौका देते हैं।


कहा जाता है कि भारत एक गणराज्य देश है यह एक यूनियन ऑफ स्टेट अर्थात राज्यों का और समूह है। तभी तो किसी एक स्टेट में लोकसभा चुनाव के दौरान जो पार्टी जीतती है वह विधानसभा चुनाव में हार जाती है और जो लोकसभा चुनाव में जीतकर बेताज बादशाह बनता है वह किसी अन्य स्टेट में अपनी इज्जत तक नहीं बचा पाती है। नहीं तो कौन जानता था कि साल 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान जिस महाराष्ट्र में बीजेपी को मात्र नौ लोकसभा सीट प्राप्त हुए थे उसी महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक विजय परचम लहराते हुए सबसे बड़ी पार्टी हो जाएगी और विधानसभा के 132 सीटों पर अकेले कब्जा जमा लगी. महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की बात करने से पहले हमें यह जान जान लेना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के दौरान . किस पार्टी की क्या स्थिति थी.


पहले महाराष्ट्र की बात कर लेते हैं. यहां टोटल 48 लोकसभा सीट है जिसमें से कांग्रेस के पास 13 सांसद हैं भारतीय जनता पार्टी के पास 9 सांसद उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास 9 सांसद शरद पवार के सीपी सपा के पास आठ सांसद एकनाथ शिद ग्रुप के शिवसेना के पास 7 सांसद एनसीषी अर्थात अजीत पवार की पार्टी के पास एक सांसद और एक सांसद निर्दलीय हैं.


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अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव रिजल्ट को भी एक नजर में जान लेते हैं. विधानसभा की टोटल 288 सीट है जिसमें से भारतीय जनता पार्टी के 132 उम्मीदवारों ने विजय का परचम लहराया है. इसी तरह एकनाथ शिंदे ग्रुप के शिवसेना के पास 57 विधायक हैं. एनसीपी के पास 41 विधायक. उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास 20 विधायक कांग्रेस के पास 16 विधायक शरद यादव के एनसीपी के पास 10 विधायक समाजवादी पार्टी के पास दो विधायक जन स्वराज शक्ति के पास दो विधायक राष्ट्रीय युवा स्वाभिमान पार्टी के पास एक विधायक राष्ट्रीय समाज पक्ष के पास एक विधायक असदुद्दीन ओवैसी के एमआईएम के पास एक विधायक और भाकपा माले के पास एक विधायक हैं.' अब आप अगर लोकसभा चुनावीं टैली और विधानसभा चुनावी रैली को गौर से देखेंगे तो आपको लगेगा कि जो पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए दमखम दिखा चुकी है वही पार्टी विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार गई है. नहीं तो कौन जानता था कि लोकसभा चुनाव में मात्र 9 सीट लाने वाली भारतीय जनता पार्टी-अकेले अपने दम पर 132 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लेगी और अकेले सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएगी. हालांकि 288 विधानसभा वाली महाराष्ट्र विधानसभा में अकेले सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के पास 145 विधायकों की जरूरत है. वर्तमान में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी, एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के बीच गठबंधन है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बीजेपी को सरकार बनाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने वाली है.


हालांकि अभी तक या फैसला नहीं हो पाया है कि महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा और किस पार्टी से होगा. इधर एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के पास एक जबरदस्त मांग रखते हुए कहा है कि बिहार मॉडल का पालन होना चाहिए, आसान भाषा में कहा जाए तो जिस तरह बिहार में बीजेपी और जदयू की गठबंधन है और कम सेट होने के बाद भी नीतीश जी को मुख्यमंत्री बनाया गया है इस तरह से एकनाथ शिद चाहते हैं कि कम सीट आने के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया जाए, हालाकि कई दिनों तक मंथन चलने के बाद आखिरकार यह फैसला लिया गया कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे और एकनाथ शिदि और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा. अब झारखंड की बात कर लेते हैं, लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 8 सांसदों ने चुनाव जीते थे. इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा के तीन, कांग्रेस के दो और एजे एसयू पार्टी के एक सांसद चुनाव जीते थे. लोकसभा चुनाव परिणाम के अनुसार साफ है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने झारखंड में जबरदस्त प्रदर्शन किया. लेकिन कुछ भी राय बनाने से पहले ठहर जाइए और विधानसभा चुनाव का रिजल्ट देख लीजिए जिसमें बीजेपी को धूल चाटते हुए हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने जबरदस्त प्रदर्शन किया.


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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 रिजल्ट के अनुसार हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 34 सीटों पर कब्जा जमाया तो वहीं भारतीय जनता पार्टी को मात्र 21 विधायकों के साथ संतोष करना पड़ा, कांग्रेस के खाते में 16 सीट सीपीआईएमएल के खाते में दो सीट, राष्ट्रीय जनता दल के खाते में चार सीट, आजसु के खाते में एक सीट और लोजपा रामविलास पासवान के खाते में एक सीट आया है. इस रिजल्ट परिणाम को देखने के बाद साफ लगता है कि महाराष्ट्र में जो हुआ उसकी उलट झारखंड में दिख रहा है. महाराष्ट्र की जनता ने जहां लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को जीतने का काम किया तो वहीं विधानसभा चुनाव में एनडीए, के हाथों में सत्ता सौंपने का फैसला ले लिया. इस तरह झारखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन के अधिकांश सांसदों की जनता ने जानकारी दिया तो वहीं झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन की बल्ने बल्ने हो गई. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यही भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है कि जो पार्टी एक राज्य में हीरो है वही पार्टी दूसरे राज्य में जीरो बन जाती है.


पति के जेल जाने के बाद से ही एक्टिव हो गई थी हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन
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चुनाव प्रचार प्रसार के दौरान अंदर खान इस बात का उल्लेख सभी पत्रकार कह रहे थे की कल्पना सोरेन अर्थात हेमंत सोरेन की पत्नी जमकर मेहनत कर रही है. हालांकि जिस तरह से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया मुझे लगता है की कल्पना सोरेन और हेमंत सोरेन ने भी इस बात की परिकल्पना नहीं की होगी कि उन्हें जनता का इतना प्यार मिलेगा. झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम हो या महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम जनता ने दोनों जगह पर आश्चर्यचकित करने वाला फैसला दिया है. चुनाव परिणाम के बाद हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया एक पर अपनी पत्नी को क्रेडिट देते हुए लिखा है कि 'हमारे स्टार कैपेनर का स्वागत है'. आसान भाषा में कहा जाए तो जीत का श्रेय अपनी पत्नी कल्पना स्वयं को देते हुए हेमंत सोरेन ने उन्हें स्टार कैपेनर करार दिया. इतना ही नहीं परिणाम आने के बाद हेमंत सोरेन ने राज्य के सभी किसानों महिलाओं और युवाओं को धन्यवाद दिया और कहा की अपार बहुमत देने के लिए और इस चुनाव में हमें सफल बनाने के लिए आप लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं. उन्होंने इंडिया गठबंधन में शामिल विभिन्न पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को भी धन्यवाद दिया.


रिजल्ट सन बाबू कोई कल्पना सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके पति हेमंत सोरेन जब इस जीत को लेकर कल्पना सोरेन को क्रेडिट दे रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर कल्पना स्वर्ण पत्रकारों से बात करते हुए भावुक हो रही थी. जीत का श्रेय उन्होंने झारखंड की जनता को दिया. उन्होंने कहा कि मेरे पति ने एक बेटा और एक भाई बनकर लोगों के लिए काम किया, दिन रात सेवा करते रहे, यही कारण है कि चुनाव में जनता ने उन्हें अपार बहुमत दिया है. आज संविधान दिवस है। अर्थात 26 नवंबर। जिस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था। यह • संविधान ही तो है जो हमें हमारा कानून अधिकार प्रदान करता है। जो हमें अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए आवाज उठाने के लिए अधिकार देता है। हम किसी भी धर्म के मानने वाले क्यों ना ही लेकिन हमें बराबर समझा जाता है. संविधान के अनुसार अमीर हो या गरीब मर्द हो या औरत, गोरा हो या काला, शिक्षित हो या और शिक्षित, सब बराबर है. संविधान के अनुसार हमें कई तरह के अधिकार दिए गए हैं लेकिन स्वतंत्र भारत में जो सबसे बड़ा अधिकार है वह वोट देने का अधिकार है. क्योंकि चुनाव में वोट के माध्यम से हम अपनी पसंद की सरकार बनाते हैं.. अच्छी विधायक और सांसद को जीतवाते हैं और जो जीतने के बाद भी ठीक ढंग से काम नहीं करते उसे अगले चुनाव में हरा देते हैं.


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कहते हैं कि भारत एक गणराज्य देश है और यह एक यूनियन ऑफ स्टेट अर्थात राज्यों का समूह है. तभी तो किसी एक स्टेट में लोकसभा चुनाव के दौरान जो पार्टी जीतती है वह विधानसभा चुनाव में हार जाती है और जो लोकसभा चुनाव काव्य तक बादशाह होता है वह किसी अन्य स्टेट में अपनी इज्जत तक नहीं बचा पाता है. नहीं तो कौन जानता था कि साल 2024 लोकंसभा चुनाव के दौरान जिस महाराष्ट्र में बीजेपी को मात्र नौ लोकसभा सीट प्राप्त हुए थे उसी महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक विजय परचम लहराते हुए सबसे बड़ी पार्टी हो जाएगी और विधानसभा के 132 सीटों पर अकेले कब्जा जमा लगी. महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की बात करने से पहले हमें यह जान जान लेना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के दौरान किस पार्टी की क्या स्थिति थी.


पहले महाराष्ट्र की बात कर लेते हैं. यहां टोटल 48 लोकसभा सीट है जिसमें से कांग्रेस के पास 13 सांसद हैं भारतीय जनता पार्टी के पास 9 सांसद उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास 9 सांसद शरद पवारं के सीपी सपा के पास आठ सांसद एकनाथ शिदि ग्रुप के शिवसेना के पास 7 सांसद सीपी अर्थात अजीत पवार की पार्टी के पास एक सांसद और एक सांसद निर्दलीय हैं.


अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव रिजल्ट को भी एक नजर में जान लेते हैं. विधानसभा की टोटल 288 सीट है जिसमें से भारतीय जनता पार्टी के 132 उम्मीदवारों ने विजय का परचम लहराया है. इसी तरह एकनाथ शिंदे ग्रुप के शिवसेना के पास 57 विधायक हैं. एनसीपी के पास 41 विधायक. उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास 20 विधायक कांग्रेस के पास 16 विधायक शरद यादव के एनसीपी के पास 10 विधायक समाजवादी पार्टी के पास दो विधायक जन स्वराज शक्ति के पास दो विधायक राष्ट्रीय युवा स्वाभिमान पार्टी के पास एक विधायक राष्ट्रीय समाज पक्ष के पास एक विधायक असदुद्दीन ओवैसी के एम आईएम के पास एक विधायक और भाकपा माले के पास एक विधायक हैं.


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अब आप अगर लोकसभा चुनावी टैली और विधानसभा चुनावी टैली को गौर से देखेंगे तो आपको लगेगा कि जो पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए दमखम दिखा चुकी है। वही पार्टी विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार गई है. नहीं तो कौन जानता था कि लोकसभा चुनाव में मात्र 9 सीट लाने वाली भारतीय जनता पार्टी अकेले अपने दम पर 132 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लेगी और अकेले सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएगी. हालांकि 288 विधानसभा वाली महाराष्ट्र विधानसभा में अकेले सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के पास 145 विधायकों की जरूरत है. वर्तमान में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी, एकनाथ शिंद वाली शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के बीच, गठबंधन है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बीजेपी को सरकार बनाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने वाली है.


हालांकि अभी तक या फैसला नहीं हो पाया है कि महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा और किस पार्टी से होगा. इधर एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के पास एक जबरदस्त मांग रखते हुए कहा है कि बिहार मॉडल का पालन होना चाहिए, आसान भाषा में कहा जाए तो जिस तरह बिहार में बीजेपी और जदयू की गठबंधन है और कम सेट होने के बाद भी नीतीश जी को मुख्यमंत्री बनाया गया है इस तरह से एकनाथ शिंदे चाहते हैं कि कम सेट आने के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया जाए.


अब झारखंड की बात कर लेते हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 8 सांसदों ने चुनाव जीते थे. इसी तरह झारखंड मुक्ति मोचां के तीन, कांग्रेस के दो और एजे एसयू पार्टी के एक सांसद चुनाव जीते थे. लोकसभा चुनाव परिणाम के अनुसार साफ है कि - देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने झारखंड में जबरदस्त प्रदर्शन किया. लेकिन कुछ भी राय बनाने से पहले ठहर जाइए और विधानसभा चुनाव का रिजल्ट देख लीजिए जिसमें बीजेपी को धूल चाटते हुए हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने जबरदस्त प्रदर्शन किया.


झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 रिजल्ट के अनुसार हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 34 सीटों पर कब्जा जमाया तो वहीं भारतीय जनता पार्टी को मात्र 21 विधायकों के साथ संतोष करना पड़ा, कांग्रेस के खाते में 16 सीट सीपीआईएमएल के खाते में दो सेट राष्ट्रीय जनता दल के खाते में चार सीट आजसु के खाते में एक सीट और लोजपा रामविलास पासवान के खाते में एक सीट आया है. इस रिजल्ट परिणाम को देखने के बाद साफ लगता है कि महाराष्ट्र में जो हुआ उसकी उलट झारखंड में दिख रहा है. महाराष्ट्र की जनता ने जहां लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को जीतने का काम किया तो वही विधानसभा चुनाव में एनडीए के हाथों में सत्ता सौंपने का फैसला ले लिया. इस तरह झारखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान इंडियां गठबंधन के अधिकांश सांसदों को जनता ने जानकारी दिया तो वही झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन की बल्ले बल्ले हो गई. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यही भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है कि जो पार्टी एक राज्य में हीरो है वही पार्टी दूसरे राज्य में जीरो बन जाती है.


बिहार उपचुनाव में महागठबंधन को जबर्दस्त झटका, एनडीए का जलवा बरकरार

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महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के बाद बिहार उपचुनाव की बात कर लेते हैं जहां. महगठबंधनके चारों उम्मीदवारों को जबर्दस्त झटका लगा है, वहीं दूसरी ओर एनडीए उम्मीदवारों ने जबरदसत प्रदर्शन करते हुए विजय का परचम लहराया. एक तरह से कहा जाए तो राजद की प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत कुमार सिंह भी अपना सीट नहीं बचा पाए, जबकि लोकसभा चुनाव से पहले उन‌के बड़े भाई सुधाकर प्रसाद सिंह यहां से विधायक हुआ करते थे सबसे पहले बेलागंज सेट की बात करते हैं तो यहां जदयू की मनोरमा देवी को कल 73238 वोट प्राप्त हुए, राष्ट्रीय जनता दल के विश्वनाथ कुमार सिंह को कुल 51872 वोट मिले. जन स्वराज पार्टी के मोहम्मद अमजद 17268 वोट लाने में कामयाब रहे. ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद जामीन अली हसन को मात्र 3533 वोट मिले. यहां टोटल 161946 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग कियां था. जीत हार का अंतर 21391 वोटों का रहा.


अब इमामगंज विधानसभा सीट की बात कर लेते हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की वहू दीपा कुमारी को कुल 53435 वोट मिले. राजद के रोशन कुमार को 47490. जन स्वराज के जितेंद्र पासवान को 37103. ओवैसी की पार्टी के कंचन पासवान को 7493 वोट मिले. यहां 163963 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था. जीत हार का अंतर मात्र 5945 वोट यहा रामगढ़ सीट पर भी जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला. बीजेपी के अशोक कुमार सिंह को 62257 वोट मिले. यहां राजद उम्मीदवार और जगदानंद सिंह के बेटे को मात्र 35825 वोट मिले. एक तरह से कहा जाए तो जनता ने न सिर्फ उन्हें हरा दिया बल्कि रिजेक्ट कर दिया. वे दूसरे स्थान के बदले तीसरे स्थान पर चले गए. यहां की जनता ने बहुजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवीर सतीश कुमार सिंह को 60895 वोट देने का काम किया. जैन स्वराज पार्टी के सुशील कुशवाहा को मात्र 6506 वोट मिले. यहां कुल वोट 168320 है, हार जीत का अंतर मात्र 1362 रहा. इस सीट पर आप कह सकते हैं कि अगर जगदानंद सिंह ने अपने बेटे के बदले सतीश कुमार सिंह को टिकट दिया होता तो वह आसानी से जीत जाते.


तरारी विधानसभा सीट पर भी जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला लोग उम्मीद कर रहे थे कि इस बार राजू यादव अच्छा प्रदर्शन करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हैट्रिक मारते हुए राजू यादव ने अपने नाम हर का रिकॉर्ड बना लिया. राजू यादव इससे पहले दो बार लोकसभा चुनाव में हार चुके हैं. या बीजेपी के विशाल प्रशांत को कुल 78755 वोट मिले. सीपीआईएमएल. के राजू यादव को कल 68143 वोट प्राप्त हुए, जैन स्वराज पार्टी की किरण सिंह को मात्र 5622 वोट मिले. यहां यहां लोगों ने 161710 अपने-अपने मत का प्रयोग किया जिसमें से हार जीत का अंतर 10612 है.


झारखंड में हीरो साबित हुए हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी, पीएम मोदी की टॉर्चर नीति को जनता ने नकारा

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कहते हैं की राजनीति का एक ही फामूर्ला है कि जो जीता वही सिकंदर, जिसके पास बहुमत होगी उसी की सरकार बनेगीं भले वह अच्छा हो या बुरा. झारखंड विधानसभा चुनाव रिजल्ट पर नजर डालें तो आपको पता चलेगा कि साल 2024 में विधानसभा चुनाव होने से पहले या यूं कहा जाए तो विगत 5 वर्षों में अधिकांश समय हेमंत सोरेन सरकार को गिराने के लिए विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के द्वारा एक के बाद एक साजिश रची गई. मीडिया ने भी सूत्रों के हवाले से कई खबर चलाएं जैसे मानो आज नहीं तो कल हेमंत सरकार का गिरना लगभग तय है. सरकार को बचाने के लिए कई बार मुख्यमंत्री, हेमंत सोरेन इंडिया गठबंधन के विधायकों को बस में भरकर अन्य राज्य ले गए और कई दिनों तक होटल में उन्हें रखा गया. लेकिन साल 2024 विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते हेमंत सोरेन के ऊपर कारवाई की तलवार तेज हो गई और अंतोगत्वा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. एक तरफ सरकार को गिराने की साजिश रची गई तो दूसरी तरफ हेमंत सोरेन के परिवार को ही तोड़ने का प्रयास किया गया. उनकी भाभी सीता सोरेन को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. हेमंत सोरेन जब जेल जाने लगे तो विधायक दल की बैठक के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया. जेल से बाहर आने के बाद चंपई सोरेन से इस्तीफा दिलवा कर एक बार फिर से हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए. फिर क्या था चंपई सोरेन बग्रावत पर उत्तर आए और अंतोगत्वा उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला लिया.


विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते लगभग माना जाने लगा कि इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत तय है और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन को हारने से कोई नहीं बचा सकता. मीडियां में भी जो खबरें चलाई जा रही थी उसके अनुसार हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी की स्थिति झारखंड में ठीक नहीं बताया जा रहा था. लेकिन चुनाव परिणाम गिनती के दिन जैसे-जैसे परिणाम सामने आ रहे थे वैसे वैसे पता चलने लगा था कि हेमंत सोरेन वापसी कर रहे हैं और जीत का श्रेय मीडिया में कल्पना सोरेन को दिया जा रहा था.


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