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दरभंगा एम्स

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Feb 12
  • 7 min read
आठ साल बाद हुआ शिलान्यास, उद्घाटन कब, इंतजार में लोग

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• प्रिया कुमार


कवि कोकिल बाबा विद्यापति की पुण्यतिथि के अवसर पर हर साल बिहार के दरभंगा में धूमधाम से विद्यापति पर्व मनाया जाता है और सांस्कृतिक, कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। लेकिन इस साल अर्थात 2024 की अपनी कुछ खास और अलग विशेषता है। अर्थात 13 नवंबर 2024 को दरभंगा के ऐतिहासिक एमएलएसएम कॉलेज में जब 52वीं विद्यापति स्मृति दिवस मनाया जा रहा था। विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यकर्ता हराही पोखर के तट पर बाबा विद्यापति की प्रतिमा को सजा रहे थे, तभी विश्वविद्यालय पंचांग के संपादक और कामेश्वर सिंह दरभंगा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पं रामचंद्र झा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अर्थात एम्स का नाम अर्थात नींव ले रहे थे। सभा स्थल पर बहुत जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आने वाले हैं। वे आज दरभंगा एम्स समेत करीब 1200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। उसी दिन लौकहा से झंझारपुर बड़ी रेलवे लाइन का भी उद्घाटन किया गया था। मंच पर मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, बिहार के दोनो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना किया।



एम्स की आधारशिला रखे जाने के 20 दिनों से अधिक समय बाद भी यह विश्वास नहीं हो रहा है कि इस अस्पताल का उद्घाटन आगामी लोक सभा चुनाव से पहने साले 2029 के पहले पूरा हो जाएगा। हालांकि, देश के प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री ने मिलकर यह आश्वासन दिया है कि एम्स अस्पताल का निर्माण जल्द से जल्द और बेहतर सुविधाओं के साथ किया जाएगा। सीएम नीतीश कुमार ने तो यहां तक कहा कि दरभंगा एम्स को पटना एम्स से बड़ा और बेहतर बनाया जाएगा। दरभंगा के शोभन में एम्स का निर्माण होने से ना सिर्फ दरभंगा शहर का विकास और विस्तार होगा, बल्कि लोगों को इलाज के लिए परेशान भी नहीं होना होगा। इस एम्स के निर्माण से समस्तीपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, पूर्णिया, शिवहर और अररिया सहित नेपाल में रह रहे लोगों को इलाज के लिए पहले की तरह परेशान नहीं होना पड़ेगा। ना तो उन लोगों को पटना जाना होगा और ना दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता का चक्कर लगाना होगा।

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एम्स शिलान्यास के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत मैथिली में कवि विद्यापति और माता सीता को श्रद्धांजलि देकर की और मिथिला के खान-पान की तारीफ की. इसके बाद उन्होंने दरभंगा के महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यों को याद किया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार गरीबों के लिए विशेष काम कर रही है। खासकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में। यही कारण है कि हमारी सरकार ने आयुष्मान योजना कार्ड नामक एक योजना की शुरूआत की है, जिससे गरीब लोगों को काफी लाभ हो रहा है। इस योजना से गरीब लोग आसानी से 5 लाख रुपये का मुफ्त इलाज पा सकते हैं। अब इस योजना में 70 से अधिक उम्र के लोगों को शामिल कर लिया गया है।


प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीजी जब सभा को संबोधित कर रहे थे तब मैं सभागार में उपस्थित थी और ना जाने कब टाइमलाइन की गाड़ी पर सवार होकर इतिहास की गलियों में पहुंच गई। सबसे पहले मैं दरभंगा से पटना पहुंची जहां लालू-नीतीश की सरकार थी और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम थे। बीजेपी जेडीयू वाली एनडीए गठबंधन टूटने के बाद पंहली बार विहार में महागंठबंधन की सरकार बनी थी।


अब हमें पटना से सीधे दिल्ली के लिए निकलना चाहिए। यहां 2014 की लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने का फैसला किया और देश में राजीव गांधी सरकार के बाद पहली बार अकेले अपने दम पर बहुमत लाने वाली सरकार को काम करने का मौका मिला। अब मैं आपको सीधे लोकसभा में चल रहे बजट सत्र में ले चलता हूं। यहां वित्त मंत्री अरुण जेटली 2015-2016 का आम बजट पेश कर रहे हैं अपने भाषण के दौरान उन्होंने घोषणा की है कि बिहार में एक और एम्स स्थापित किया जाएगा. इसके बाद जैसे ही यह खबर मीडिया में आती है तो बिहार की राजनीति और बिहार की जनता में खुशी की लहर दौड़ जाती है.


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जगत प्रकाश नड्डा, जिन्हें जेपी नड्डा के नाम से भी जाना जाता है, उस समय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे। वह जन्म से बिहारी हैं और उन्होंने अपना छात्र जीवन पटना में बिताया है। आरम्भिक राजनीतिक यात्रा का भी शुभारंभ पटना में ही हुआ हैं। बजट में बिहार को दूसरा एम्स मिलने के कुछ महीनों बाद जेपी नड्डा एक कार्यक्रम के सिलसिले में पटना आते हैं. एम्स के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हम जल्द ही राज्य सरकार से बात करेंगे और उनसे जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध करेंगे ताकि एम्स का निर्माण जल्द से जल्द किया जा सके।'


लेकिन ऐसा हुआ कहां? जब अरुण जेटली ने बिहार को दूसरे एम्स का सौगात दिया उसी दिन बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड के लिए भी एक एम्स की घोषणा की गई। बाद में केंद्र और राज्य सरकार की सहमति से बाबा बैजनाथ की नगरी देवघर में बनाने का निर्णय लिया गया. इसके लिए देवघर सांसद निशिकांत दुबे की जितनी तारीफ की जाये कम है.


क्योंकि अभी तक दरभंगा में एम्स का शिलान्यास ही हुआ है, लेकिन देवघर में एम्स का शिलान्यास पीएम मोदी ने 2018 में किया था और उद्घाटन 2024 के लोकसभा चुनाव से दो साल पहले 2022 में कर दिया गया। लोग इलाज का भी लाभ उठा रहे हैं।


कहने का मतलब है कि दरभंगा एम्स का शिलान्यास 2024 में हुआ है और देवघर एम्स में इलाज दो साल पहले से ही हो रहा है, जबकि दोनों एम्स की घोषणा मोदी सरकार ने एक ही दिन बजट के दौरान की थी. इसलिए दरभंगा में एम्स कब बनेगा इस पर अभी भी संशय बना हुआ है.


मुख्यमंत्री नीतीश का फैसला, दूसरा एम्स दरभंगा में बनेगा.

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बिहार के विभिन्न जिलों के नेता, विधायक और सांसद, चाहे वे मिथिला क्षेत्र के हों या मगध और भोजपुर क्षेत्र के, सभी ने अपने-अपने जिले में एम्स बनाने के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक पैरवी शुरू हो गई. इस बीच बिहार में महा गठबंधन सरकार टूट गई। लालू-तेजस्वी से नाता तोड़ नीतीश कुमार बीजेपी के साथ जाने का फैसला करते हैं और बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनाने का फैसला करते हैं।


एम्स को लेर जोर शोर से काम शुरू किया जाता है। बीजेपी और जेडीयू के सभी नेता यह जानने को उत्सुक थे कि बिहार में दूसरा एम्स कहां बनेगा। इसी बीच एक दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार घोषणा करते हैं कि बिहार का दूसरा एम्स दरभंगा में बनेगा। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को दरभंगा मेडिकल अस्पताल यानी डीएमसीएच को ही एम्स के रूप में मान्यता देने.. का भी प्रस्ताव रखा। आसान शब्दों में कहा जाए तो नीतीश कुमार ने नया एम्स बनाने के बजाय डीएमसीएच को एम्स बनाने का प्रस्ताव रखा। नीतीश कुमार का रुख साफ था कि बिहार का पहला मेडिकल कॉलेज राजधानी पटना में पीएमसीएच था, इसलिए विहार का पहला एम्स पटना में ही बना। बिहार का दूसरा सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज DMCH दरभंगा में है, तो दूसरा एम्स भी दरभंगा में बनेगा।

सीएम नीतीश कुमार की घोषणा के बाद जेडीयू नेता संजय झा दरभंगा एम्स प्रोजेक्ट को लेकर सक्रिय हो गए। दरभंगा लोकसभा सांसद गोपालजी ठाकुर ने भी समय-समय पर इस संबंध में नीतीश कुमार और पीएम मोदी से बातचीत करते रहे। राज्य सरकार ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज फील्ड अर्थात डीएमसी ग्राउंड में एम्स स्थापित करने का निर्णय लिया। जमीन भी आवंटित कर दी गयी। मिट्टीकरण के लिए टेंडर जारी कर दिया गया और तेजी से काम भी शुरू हो गया।

इस बीच बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई। बिहार में एनडीए की सरकार से नीतीश कुमारजी का मोह भंग हो गया। यानी जेडीयू-बीजेपी की सरकार फिर टूट गई, अचानक एक दिन नीतीश कुमार ने फिर से बिहार में महागठबंधन सरकार बनाने का फैसला ले लिया। इस बार तेजस्वी यादव को फिर डिप्टी सीएम बनाया गया, इसके साथ-साथ उन्हें स्वास्थ्य मंत्री की भी जिम्मेदारी दी गई। दरभंगा एम्स को लेकर यहीं से एक बार फिर खेल शुरू होता है और दरभंगा एम्स के नाम पर एक नई पटकक्ष लिखी जाती है।

अचानक एक दिन खबर आती है कि नीतीश सरकार दरभंगा में अशोक पेपर मिल के आसपास की जमीन पर दरभंगा एम्स बनाना चाहती है. फि कहा गया कि एम्स के लिए शोभन में जमीन मांगी गई है और अब दरभंगा एम्स शोभन में ही बनेगा।

राज्य सरकार ने केंद्रीय टीम को नई जमीन दिखाई जिसे खारिज कर दिया गया. राज्य में विरोधी दल की सरकार होने के कारण बीजेपी और राजद-जेडीयू के बीच दरभंगा एम्स को लेकर खुला महाभारत शुरू हो गया। पहले बयानबाजी शुरू हुई और फिर नौटंकी। नीतीश सरकार जहां शोभन में एम्स बनाने पर अड़ी रही, वहीं दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर डीएमसी मैदान में एम्स बनाने को लेकर प्रदर्शन करते रहे। उन्होंने कहा कि एम्स की जमीन काफी गहरी है। ऐसे में एम्स कैसे बनेगा? इस बीच राज्य सरकार की ओर से मोर्चा संभालने वाले बिहार सरकार के मंत्री संजय झा का बयान सामने आते है। उन्होंने कहा कि मिट्टी भरना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, हम तैयार हैं, दरभंगा एम्स के मामले में केंद्र सरकार को ज्यादा विघन नहीं डालना चाहिए। संजय झा ने यह भी कहा कि जब पटना में गंगा नदी में मरीन ड्राइव नामक गंगा पथ बन सकता है तो दरभंगा के शोभन में मिट्टी भरकर एम्स क्यों नहीं बन सकता ?


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बहस पर बहस, आंदोलन पर आंदोलन चलता रहा। कभी जद (यू) राजद की ओर से तो कभी भाजपा की ओर से। मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से भी आंदोलन किया गया था। घर-घर जाकर लोगों से 1 ईंट देने का आग्रह किया गया ताकि एम्स का निर्माण किया जा सके। नियत तिथि पर एमएसयू के सदस्यों द्वारा शिलान्यास भी किया गया।

मुझे नहीं पता कि बाद में उन ईंटों का क्या हुआ. उधर, दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर ने शोभन में मंच बनाया और भूख हड़ताल पर बैठ गये. भीड़ अधिक होने. के कारण मंच भी टूट गया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल भी हुआ था।

कहानी कहने के लिए बहुत है. इसका कोई अंत नहीं है. दरभंगा के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बातचीत के दौरान कहा कि जब महागंठबंधन की सरकार बनी तो एम्स लटका दिया गया और जब एनडीए की सरकार बनी तो तय हुआ कि शोभन वाली जमीन को लेकर जो प्रस्ताव था उसे पारित कर दिया गया। हालांकि, उन्होंने कहा कि भू-माफिया और तथाकथित प्रतिष्ठित डॉक्टरों की एक टीम ने मिलकर साजिश रची और डीएमसी मैदान में एम्स के निर्माण को रोक दिया। खैर जो हुआ सो हुआ, लेकिन अब पीएम मोदी ने शिलान्यास कर दिया है. यकीन मानिए 2029 तक एम्स बनकर तैयार हो जाएगा और इसका उद्घाटन करने एक बार फिर पीएम मोदी खुद आएंगे. आइए तब तक इंतजार करें और भगवान से प्रार्थना करें कि. दरभंगा का एम्स जल्द से जल्द बन जाए।

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