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बहुत कुछ कहता बजट

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Mar 19
  • 5 min read

• ईश्वर चंद्र पाण्डेय


इस बार के बजट में राजनीति भी है, अर्थव्यवस्था भी है और मध्यमवर्ग के ऊपर मेहरबानी भी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि, स्वास्थ्य, ईवी उद्योग, इन्फ्रास्ट्रक्ङ्कार, शिक्षा आदि पर खास ध्यान दिया है। भारत में एक लाख रुपए प्रतिमाह की तनख्वाह को अच्छा माना जाता है। बजट 2025-26 की घोषणाओं में करदाता मध्यम वर्ग और बिहार के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश हुई है, जिसको 3.2 करोड़ मध्यम वर्ग के करदाता और 7.65 करोड़ बिहार के मतदाता स्वागत करेंगे। वर्तमान में केवल 2.4 करोड़ व्यक्ति ही आयकर चुका रहे थे और अब तो वे 1.4 करोड़ रह जाएंगे। यह भारत की आबादी का लगभग 15% है। एक और चौकाने वाली बात यह है कि अब भारत में 10 में से 9 वेतनभोगी कर्मचारियों को कोई आयकर नहीं देना होगा अगर उन्होंने नई टैक्सनीति का माध्यम चुना है तब। नई टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब को भी बदला गया है।


बाकी भारत के लिए वित्त मंत्री के पास केवल सांत्वना भरे शब्द थे, 2024-25 के वित्तीय प्रदर्शन से पता चलता है कि संशोधित राजस्व प्राप्तियां 41,240 करोड़ रुपये कम हो गई हैं जबकि संशोधित शुद्ध कर प्राप्तियां 26.439 करोड़ रुपये कम हुई हैं। कुल खर्च में 1,04,025 करोड़ रुपये की कटौती हुई है जबकि पूंजीगत व्यय में 92,682 करोड़ रुपये की कमी आई है। इसमें जिन क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान हुआ उनमें स्वास्थ्य को 1,255 करोड़, शिक्षा 11,584 करोड़, सामाजिक कल्याण 10,019 करोड़, कृषि 10,992 करोड़, ग्रामीण, विकास 75,133 करोड़, शहरी विकास 18,907 करोड़, पूर्वोतर विकास का, 894 करोड़ रुपए का नुकसान शामिल है। एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों के लिए कटौती है। भारत में असमानता भी खतरनाक ढंग से बढ़ती जा रही है, हर साल अरबपतियों की संख्या भी बढ़ रही है और फिर उसी तरह भुखमरी का समाजशास्त्र भी बढ़ता जा रहा है, आज भी भारत सरकार 80 करोड़ लोगों को 5 किलों अनाज दिया जा रहा है।



मुख्य विपक्षी दल का कहना है कि गिग वर्कर्स वित्त मंत्री ने कांग्रेस के घोषणा पत्र से विचार लिया है और कर्नाटक और तेलंगाना में सरकार गिग वर्कर्स के लिए क्या कर रही है? वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये गये बजट में पूंजीपतियों का विशेष ध्यान रखा गया है। इस बजट को अमीरों का अमृतकाल कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब बजट की शरुआत कृषि से तो की हैं लेकिन किसानों की मांगों और कृषि पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों पर पूरी तरह से वो चुप रही । एमएसपी को कानूनी गारंटी के रूप में लागू करने और कृषि ऋण माफी पर कोई पहल नहीं की। 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय, 55 प्रतिशत किसान कर्ज के बोझ तले हैं और 2014 से अब तक एक लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। अब फिर से किसानों 'की आय दोगुनी करने की बात हो रही है।


एमएसपी, कजार्मुक्ति, आमदनी दोगुनी, सम्मान निधि आदि पर किसानो को फिर से ठगा गया है जिससे किसानो में खासी निराशा है। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख करने से किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए लाभ होगा यह भी देखना होगा। मनरेगा में 33 फीसदी कटौती, खाधान्न पर 86 हजार करोड की कटौती, उर्वरकों, स्वास्थय, शिक्षां एवं अन्य जनकल्याण की मदों में कटौती की गई है। मंहगाई, बेरोजगारी रोकने के लिये कदम नही उठाये गये।


वित्त मंत्री ने संसद में आम बजट पेश किया, जिसमें शिक्षा क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई। खासकर, मेडिकल कॉलेजों के छात्रों के ि लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अगले पांच सालों में देश भर के मेडिकल कॉलेजों में 10,000 सीटें बढ़ाई जाएंगी। वर्तमान में, देश में कुल 1,12,112 एमबीबीएस सीटें हैं, लेकिन इन सीटों पर प्रवेश के लिए हर साल भारी प्रतियोगिता होती है। 2014 तक, एमबीबीएस सीटों की संख्या केवल 51,348 थी। तब देश में कुल 387 मेडिकल कॉलेज थे। अब 2024 तक देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 731 हो गई है, और अब इन कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जाएँगी। इसके साथ ही, पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या भी बढ़ी है, जो 2014 में 31,185 थी और अब 2024 तक 72,627 हो गई है।



सीतारमण ने लगातार आठवां बजट पेश किया है। इस बजट में भी संशोधित अनुमान की तुलना में अर्थव्यवस्था की नॉमिनल वृद्धि दर 10.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि सकल कर राजस्व. 10.8 प्रतिशत दर से बढ़ने की बात कही गई है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अच्छी एवं उत्साह जगाने वाली घोषणाएं की हैं जिनमें आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने, अर्थव्यवस्था को समावेशी बनाने, निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ाने और मध्य वर्ग की खर्च करने की क्षमता बढ़ाने जैसे कई उपाय शामिल हैं। इस बजट में बिहार को बहुत कुछ मिला है। बजट में बिहार के किसानों के लिए-मखाना बोर्ड का ऐलान, इसके उत्पादन, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग के अवसर बढ़ेंगे। प्रस्तावित मखाना बोर्ड की एक और जिम्मेदारी होगी। वह किसानों को प्रशिक्षण और सहयोग भी देगा। साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाले फायदों को भी सुनिश्चित करेगा। बिहार में नए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाएंगे। इसके जरिए पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को भी आर्थिक मदद दी जा रही है। इससे उत्तरी बिहार के 50 हजार - हेक्टेयर में सिंचाई की सहूलियत बढ़ेगी। इससे मिथिलांचल की कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

जीएसटी दरों में राहत मिलेगी, मध्य वर्ग को कर्ज मुक्ति मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। यूं तो हर बजट सिर्फ आर्थिक नहीं, राजनीतिक भी होता है। मगर ये घोषणाएं किस हद तक नीतियों में तब्दील होती हैं, जब इन घोषणाओं की समीक्षा होती है तो कई सवाल मुंह बाए सामने खड़े हो जाते हैं।


2024 लोकसभा चुनाव में लगे झटके से भाजपा अभी भी उबर नहीं पा रही है। उस समय सामाजिक न्याय व संविधान, बड़ा प्रश्न बन गया था, सेकुलर व सामाजिक न्याय समर्थक शक्तियों ने हिंदुत्व को नकार दिया था, अभी उस झटके से उबरने की कोशिश में लगी ही थी और साथ ही मध्य वर्ग जो उसका मूल वोटर रहा है, उसके अंदर भी निराशा बढ़ती जा रही है, केवल हिंदुत्व के बल उसे अपने - साथ टिकाए रखना भाजपा के लिए मुश्किल होता जा रहा है।


पिछले के वर्षों में पेश हुए बजट की एक खास बाप्त यह रही है कि उनमें अधिक पारदर्शिता बरती जा रही है, बजट में पारदर्शिता बढ़ने से व्यापक आर्थिक हालात पर होने वाले प्रभावों की समीक्षा करने में भी मदद मिलती है। बजट में विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए जिन उपायों का जिक्र किया गया है वे कैसे साधे जा सकते हैं? सरकार ने . आने वालेवर्षों में गरीबी घटा कर शून्य करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने, किफायती स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने, लोगों को हुनरमंद बनाकर उत्पादकता बढ़ाने एवं आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने और दुनिया में भारत को 'खाद्यान्न उत्पादन में श्रेष्ठ बनाने' के लिए किसानों को सशक्त बनाने की बात कही गई है। यह बजट कुछ संदर्भों में लोकलुभावन है तो कुछ कुछ संदर्भों में राजनीतिक हित साधने का साधन भी।

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