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क्रिप्टो के बाद AI में भी पिछड़ने का खतरातर

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Mar 19
  • 4 min read

• पंकज गांधी जायसवाल


क्रिप्टो के बाद भारत में भी AI में शुरूवाती संशय के कारण पिछड़ने का खतरा है. भारत अभी भी AI को अपनाने में पिछड़ रहा है और यह भारत की ग्लोबल IT लीडरशिप की स्थिति को प्रभावित कर सकता है. भारत, जो एक ग्लोबल आईटी पावर माना जाता है, समय पर नई तकनीकों को अपनाने में भ्रम की स्थिति के कारण अकसर पीछे रह जा रहा है। 'क्रिप्टोकरेंसी के मामले में भारत ने देर कर दी, जिससे वह इस क्षेत्र में अपनी लीड बनाने से चूक गया। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के मामले में भी यही दुहराव दिख रहा है। हम देर से हैं और इस देरी के कारण भारत की । लीडरशिप को गंभीर नुकसान हो सकता है। हम क्रिएटर से यूजर प्रोफाइल की तरफ शिफ्ट हो सकते हैं जो आईटी में भारत की पूर्व की स्थिति से यू टर्न जैसा होगा.


भारत का AI अपनाने में पिछड़ने के प्रमुख कारणों में इसके प्रति नीतिगत अनिश्चितता और सरकारी देरी भी एक प्रमुख कारण है.।

भारत के पास अभी भी एक स्पष्ट नेशनल AI रणनीति नहीं है, जबकि चीन, अमेरिका और यहां तक कि UAE ने इस पर तेजी से काम किया है। सरकार ने NITI Aayog के Al for All जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन धीमा है। चीन ने अक्‌अनुसंधान और पेटेंट में भारी निवेश किया है, जबकि भारत इस दौड़ में पिछड़ रहा है।


भारत द्वारा AI में अनुसंधान और निवेश की कमी भी दिख रही है. 2023 में भारतीय AI स्टार्टअप्स क्षेत्र को चीन और अमेरिका के मुकाबले कम निवेश मिला।


भारत के अकमें रिसर्च पेपर और पेटेंट की संख्या अमेरिका और चीन से काफी कम है। भारत की शीर्ष । कंपनियां (TCS, Infosys, Wipro) AI को अपनाने में रिएक्टिव हैं, जबकि अमेरिकी और चीनी कंपनियां सक्रिय रूप से प्रोएक्टिव हैं।


भारत से आज भी टैलेंट ड्रेन जारी है. भारत के कई शीर्ष AI वैज्ञानिक और इंजीनियर बेहतर अवसरों के लिए अमेरिका और यूरोप चले जाते हैं। देश में AI अनुसंधान के लिए विश्व स्तरीय केंद्रों की कमी है, जिससे भारतीय प्रतिभाएं बाहर जा रही हैं। AI के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और हार्डवेयर में भी देरी हुई है. A। को हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर की जरूरत होती है, लेकिन भारत इस क्षेत्र में अभी शुरूआती स्तर पर है।


अमेरिका और चीन AI डेटा सेंटर और AI सुपर कंप्यूटर बना रहे हैं, जबकि भारत इस मामले में पिछड़ रहा है। इसका नतीजा यह है की आज भारत को। लीडरशिप पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. भारत की। सेवाओं के भविष्य पर असर पड़ने की संभावना है. भारत की । इंडस्ट्री मुख्य रूप से आउटसोर्सिंग और सेवा क्षेत्र पर आधारित है, लेकिन AI के कारण अब यह मॉडल बदल रहा है.


अगर भारत A। को अपनाने में धीमा रहा तो बाहर की कंपनिया भारत की। सेवाओं की जगह ले सकती हैं। AI हेल्थकेयर, फिनटेक और ऑटोमेशन जैसे उद्योगों को बदल रहा है, लेकिन भारत की सुस्त नीति के कारण विदेशी कंपनियां इस बाजार पर कब्जा कर रही है। उदाहरण के लिए, AI चैटबॉट्स, डेटा एनालिटिक्स, और रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन में अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियां आगे हैं, जबकि भारतीय कंपनियां केवल ग्राहक बनकर रह गई हैं।


हमारी विदेशी A तकनीकों पर निर्भरता चढ़ रही है. भारत AI तकनीकों का उपभोक्ता बन रहा है, न कि निमार्ता। देश में खुद के AI मॉडल विकसित करने की जरुरत है. आज भी Google Gemini, OpenAl ChatGPT, Baidu Al और Deepseek ही चर्चा में हैं। टैलेंट और इनोवेशन में पलायन है. जो देश AI में निवेशकर रहे हैं, वे भारतीय AI प्रतिभाओं को आकर्षित कर ले रहे हैं, जिससे भारत की खुद की अकक्षमता कमजोर हो रही है। 17 सेवा आधारित नौकरियों के AI द्वारा स्वचालित होने के कारण, भारत को गए अक केंद्रित उद्योगों में तेजी से बदलाव करना होत।



भारत इसके लिए निम्नलिखित समाधान कर दौड़ में वापसी कर सकता है. जिसमे शामिल है AI के लिए स्पष्ट नीतियां और सरकारी समर्थन। भारत को अकनीतियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा और डेटा सुरक्षा, एथिक्स और फंडिंग के लिए ठोस योजनाएं बनानी होंगी। AI अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) में निवेश। भारत को AI अनुसंधान केंद्र, सुपरकंप्यूटर और सेमीकंडक्टर उद्योग में निवेश बढ़ाना होगा। भारतीय A। प्रतिभाओं को रोकना और और उन्हें बढ़ावा देना होगा. देश में वैश्विक स्तर के अकसंस्थान बनाने होंगे, ताकि प्रतिभाओं का पलाजन रुके और नए स्टार्टअप उभर सकें। AI-आधारित स्टार्टअप्स और कंपनियों को समर्थन देना होगा। भारतीय।। कंपनियों को पारंपरिक सेवाओं से हटकर AI-आधारित समाधान विकसित करने होंगे। AI स्टार्ट अप्स के लिए टैक्स ब्रेक और विशेष आर्थिक जोन (SEZ) बनाने होंगे।


कुल मिलाकर भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां अगर उसने तेजी से AI को अपनाया तो वह ग्लोबल लीडर बना रहेगा, वरना अमेरिका, चीन और UAE जैसी अर्थव्यवस्थाएं आगे निकल जाएंगी। अभी भी मौका है लेकिन समय तेजी से 'निकल रहा है। अगर, भारत जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो वह A। क्राति में अपनी जगह खो संकता है, जैसे वह क्रिप्टोकरेंसी और Weo3 में पीछे रह गया है। भारत को पूरा वर्ष ही A) को समर्पित करना चाहिए तभी हम इस दौड़ में बने रह सकते हैं.

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