top of page

'एकता के महाकुंभ' में जल पुलिस और जल ड्रोन

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Feb 12
  • 3 min read
ree

• ललित वत्त


अद्वितीय, अद्भुत या बेमिसाल, चाहे जो भी नाम दे दें। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में 45 दिन का महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा मेला और अस्थायी नगर। 40 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद। विशेष पूजा के दिनों में तो रोजाना चार करोड़ लोग आने का अनुमान। इसे अद्वितीय नहीं, तो और क्या कहा जाए ? 40 करोड़ लोग एक अस्थायी नगर में। विश्व के कई देशों की कुल आबादी भी इतनी नहीं है। इस आंकड़े को छूने के लिए देश के भी कई राज्यों की आवादी को मिलाकर गिनना पड़ेगा।


जोखिम भरी तैयारी

रेतीले धरातल पर, नदियों के किनारे, नदियों के बीच भी, खुले में इतने बड़े आयोजन के लिए महीनों की बीजना और तैयारी होती है। इस इतने बड़े आयोजन की सफलता तो इसके समापन के बाद आंकी जा सकेगी, लेकिन महातैयारी को जमीन पर उतारने के प्रयास ती सामने हैं। उन प्रयासों के पीछे उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और वहां के अधिकारियों की इच्छाशक्ति को भी समझा जा सकता है। जोखिम लेने की क्षमता और उत्साह भी इसमें छिपे हैं। ईश्वर न करें कि वहां कुछ भी गलत हो। यदि कुछ गड़बड़ होती है, तो यूपी और केंद्र सरकार तक पर बड़े प्रश्न लगाए जाएंगे। लेकिन बारह वर्ष बाद होने वाले इस तरह के आयोजन को विराट रूप देने के लिए जोखिम तो उठाने ही पड़ते हैं?


40 हजार सुरक्षाकर्मी

मेले के अंदर और बाहर भी दूर-दूर तक सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। करीब 40 हजार सुरक्षा कर्मी। यूपी पुलिस और होमगार्ड के अलावा केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के जवान भी सुरक्षा में तैनात हैं। ड्रोन और हेलीकॉप्टर से हवाई निगरानी हो रही है। स्पेशल ट्रेनिंग लेकर जल पुलिस भी तैनात है। गंगा और यमुना के जल के अंदर भी ड्रोन से निगरानी है। लखनऊ से भी पूरी व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है। दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय भी बराबर नजर बनाए हुए हैं।


30 पटून पुल
ree

दोनों नदियों पर 30 पंटून पुल जगह-जगह बनाए गए हैं। रेनोवेशन और सौंदर्याकरण के जरिए करीब 400 किलोमीटर लंबी सड़कें मेले और आसपास के क्षेत्र में बनाई गई हैं। रोशनी की बेहतरीन व्यवस्था है। इकोफ्रेंडली 69 हजार एलईडी और सोलर बल्ब लगे हैं। विभिन्न भाषाओं के करीब 800 साइनेज बोर्ड के जरिए लोगों को गाइड करने का सिस्टम है। इस तरह देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न बोली बोलने वाले करोड़ों लोग आ रहे हैं। डिजिटल, एआई और मैनुअल तरीके अपनाए जा रहे हैं। तो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर हो रहे 'महाकुंभ में सनातन परंपरा, मानव जनित प्रयासों और आधुनिकतम तकनीक का भी संगम हो रहा है। सो, इसे ठीक ही नाम दिया गया है 'एकता का महाकुंभ'।


डिजिटल महाकुंभ

FIRE ROBOT
FIRE ROBOT

यूपी सरकार ने इस महाकुंभ को डिजिटल भी बना दिया है। देश के लाखों लोगों ने तरह-तरह की जानकारी डिजिटल तरीके से ली हैं। दुनिया के भी 183 देशों के करीब 35 लाख लोग 10 जनवरी तक महाकुंभ की ऑफिशियल वेबसाइट kumbh.gov.in पर विजिट कर चुके थे। महाकुंभमें फिजिकल सिक्योरिटी के अलावा इंटेलिजेंस एजेंसियां भी पूरी तरह एक्टिंव हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए भी निगरानी रखी जा रही है। रिमोट कंट्रोल से बहुत कुछ चलाया जा रहा है। 'खोया और पाया' के लिए 24 घंटे की डिजिटल व्यवस्था है। 22 भाषाओं में व्यवस्था है कि बिछड़ गए लोग फिर से आपस में मिल सकें। मेला क्षेत्र में 80 स्थानों पर इस बारे में जानकारी देने के डिस्प्ले बोर्ड हैं। भोजन के लिए क्यूआर कोड के जरिए व्यवस्था है। चार लाख क्यूआर कोड इस बारे में उपलब्ध कराए गए हैं। डैशबोर्ड लगाए गए हैं और भोजन वितरण की सीसीटीवी मॉनिटरिंग भी है। अन्य कई अहम जगह पर भी सीसीटीवी निगरानी हो रही है।

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page