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देश भर में पत्रकारों को मिले एक समान पेंशन

  • Writer: MOBASSHIR AHMAD
    MOBASSHIR AHMAD
  • Mar 19
  • 4 min read

सत्ववान सौरभ

• पेंशन पाने के लिए आपकी हरियाणा सरकार से पांच साल की अवधि के लिए मान्यता प्राप्त होना चाहिए। इस आदेश के तहत बीस साल से इस क्षेत्र में काम कर रहे पत्रकारों को पेंशन मिलेगी। 30 से 40 साल तक संखचार के लिए रिपोर्टिंग करने के बाद, जिन पत्रकारों को पांच साल तक हरियाणा सरकार से मान्यता नहीं मिली है, उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा। सभी पत्रकों को सरकारी मान्यता मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा सरकार की सात साल की उम्र तक पहुँचने वाले सभी पत्रकारों को पत्रकार पेंशन देनी चाहिए। ऐसा करने के लिए, तहसील स्तर पर पत्रकारी की मान्यता देने पर सहमति होनी चाहिए।


सरकार अभी भी पेंशन को अपनी जिम्मेदारी मानती है। उसने पेंशन खत्म नहीं की है। वह कई तरह की पेंशन देती है। विधायक और सांसद दोनों को पेंशन मिलती है। विधायक, सांसद और राज्यसभा सदस्य बनने के बाद आप तीन तरह की पेंशन पाने के हकदार होते हैं। कुछ लोगों को तीन तरह की पेंशन मिलती है और कुछ को एक भी नहीं मिलती। कुछ


राज्यों में पुरस्कार विजेताओं को भी पेंशन मिलती है, यह कैसा न्याय है? गरीब और शोषित लोगों की आवाज पत्रकारों के जरिए उठती रही है। इन लोगों के पास अपने शब्दों की ताकत की बदौलत कई काम किये हैं। अब जरूरी है कि दूसरे जनप्रतिनिधि और समुदाय भी पत्रकारों के लिए अपनी आवाज उठाएँ। अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए ये पत्रकारों के मुद्दे को उठाएँ और मौलिक अधिकारों के लिए लड़े। यह दुखद है कि हमारे पत्रकार बचिती के अधिकारों की वकालत करते हैं। वे अपना काम करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। ये अपने प्रियजनों की चिंताओं से बचने के लिए सुबह से शाम तक भागते रहते हैं।



जब तक वे किसी समस्या का समाधान नहीं कर लेते, तब तक में काम करना बंद नहीं करते। हालांकि, वे अपने मुद्दों के बारे में लिखने में असमर्थ है। अभी तक श्रम संसाधन वियाग ने एवकारों को कुशल श्रमिकों की सूची में नहीं रखा है। विशेष रूग से, पत्रकारों के सामने तीन महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है। पेंशन के लिए कार्य अनुभव से सम्बंधित नियमों को ढीला किया जाना चाहिए ताकि सरकारी मान्यता की आवश्यकता को समाप्त किया जा सके। इसके अलावा, ग्रामीण पत्रकारों को मान्यता देने के लिए सरकार को अपने राजपत्र में जिला और उपखंड के बाद ब्लॉक को शामिल करना चाहिए। पत्रकारों को भी अम संसाधन विभाग का हिस्सा होना चाहिए। कुशल मजदूरों की सूची में वे कुशल कर्मचारी शामिल हैं जो सामग्री तैयार करते हैं। गर्मी, सदर्दी और बरसात की परिस्थितियों में पत्रकार चौबीसों घंटे काम करते हैं। श्रमिक के काम का एक समय होता हैं लेकिन पत्रकार के काम करने के घण्टे तय नहीं होते। पत्रकार और पत्रकारिता दोनों संक्रमण काल के दौर से गुजर रहे हैं।


पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी कदम उठाने चाहिए। सरकार को पत्रकार उत्पीड़न के समाधान के लिए योजना बनानी चाहिए क्योंकि यह एक गंभीर मुद्दा है। आज कार्यरत सभी पत्रकारों की चिकित्सा सुविधा, पत्रकारों के लिए सुरक्षा, पेंशन और डेस्क कर्मियों के लिए प्रेस मान्यता की तत्काल आवश्यकता है। ग्रामीण पत्रकारों को सरकार द्वारा पत्रकार के रूप में मान्यता प्रदान की जानी चाहिए। श्रम संसाधन विभाग को कुशल श्रमिकों की स्थिति को रेखांकित करते हुए एक सूची प्रकाशित करनी चाहिए और अपने राजपत्र में संशोधन करना चाहिए। पत्रकार समुदाय जल्द ही बीमा और अन्य श्रमिक प्रदत्त सुविधाओं जैसे लाभों का लाभ उठा सके। पत्रकार भी सक्षम पेशेवर हैं। वे सामग्री का योगदान करते हैं, जिसे बाद में समाचार पत्र में बदल दिया जाता है। एक समाचार पत्र एक उत्पाद है और हमारे पत्रकार विशेषज्ञ बमिकों के रूप में इसे बनाने में भूमिका निभाते हैं। इसलिए, सरकार को इस पर तुरंत विचार करना चाहिए। पत्रकार पेंशन योजना और पत्रकार बीमा योजना पत्रकारों के कल्याण के लिए दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं जिन्हें सरकार को इसके अलावा उचित रूप से लागू करना चाहिए।



पत्रकार पेंशन योजना का लाभ कुछ पत्रकारों को मिलता है हालांकि कई पत्रकार पेंशन योजना के लिए पात्र नहीं हैं। इसके लिए पत्रकार पेंशन योजना के नियमों में डील की जरूरत है। वर्तमान में विभिन्न राज्यों में पत्रकार पेंशन पाने वालों के लिए अलग-अलग शतें हैं। उदाहरण के लिए, हरियाणा में बीस साल के कार्य अनुभव के अलावा पांच साल की सरकारी मान्यता की आवश्यकता होती है। इसका खामियाजा बड़ी संख्या में बरिष्ठ पत्रकारों को भुगतना पड़ता है । नतीजतन, यदि इस नियम में ढील दी जाती है तो पत्रकारों की पत्रकार बीमा योजना जैसे हलफनामों के आधार पर पेंशन मिलनी चाहिए। पेंशन पात्रता बरिष्ठ पत्रकार के दस साल के कार्य अनुभव के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें 60 साल की आयु सीमा होनी चाहिए। पत्रकार पेंशन योजना के अनुसार उन्हें उनके हलफनामे और साठ साल की आयु के आधार पर पेंशन मिलनी चाहिए। कार्य अनुभव प्रमाण पत्र के सम्बंध में सरकार को प्रत्येक जिले के जिला सूचना जनसंपर्क विभाग से सूची उपलब्ध करानी चाहिए। पत्रकार जब भी चुनाव में जाते हैं तो चुनाव आयोग के माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी पहचान पत्र प्रस्तुत करते हैं।



बहुत से वरिष्ठ पत्रकार लिखते हैं कि वे नियमित रूप से जीविका नहीं कमा पाते। वे रिटायरमेंट के बाद किसी तरह अपने खर्च पर नियंत्रण रखेंगे। अगर बच्नचे मदद करने में असमर्थ हैं तो भगवान ही एकमाउ विकल्प है। हर बच्चा इतना पैसा नहीं कमा पाता कि सभी का भरण-पोषण कर सके। इसका नतीजा पारिवारिक कलह के रूप में सामने आता है। इसलिए, सरकार को सामाजिक सुरक्षा और पेंशन के लिए एक राष्ट्रीय टीम का गठन करना चाहिए। जो केंद्र और राज्यों की योजनाओं पर शोध करे और कुछ पत्रकारों को कुछ देने के बजाय सभी पत्रकारों को एक अच्छी पेंशन प्रदान करे।

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