बांग्लादेश बबार्दी की ओर चल पड़ा है
- MOBASSHIR AHMAD
- Feb 15
- 6 min read

• राजेश कुमार पासी
बांग्लादेश की सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनुस आजकल पाकिस्तान से दोस्ती की कसमें खा रहे हैं। तुकों द्वारा विकासशील मुस्लिम देशों के लिये एक संगठन डी-8 बनाया गया था। इसको एक बैठक मिस्र में बुलाई गई थी जिसमें मोहम्मद यूनुस को बाग्लादेश के प्रमुख के रूप में बुलाया गया। ये अजीब बात है कि जिस देश में कोई। सरकार नहीं है, वहां सरकार का मुख्य सलाहकार है और वो सलाहकार उस देश के प्रधानमंत्री के रूप में सब जगहों पर घूम रहा है। पाकिस्तान के साथ
पाकिस्तान राष्ट्र तो नहीं था लेकिन एक देश जरूर बन गया और यह एक देश के रूप में कब तक जिंदा रहेगा, ये देखने वाली बात है। बांग्लादेश आज पाकिस्तान के रास्ते पर चल पड़ा है और लगता है कि ये पाकिस्तान से भी पहले बर्बाद होना चाहता है।
दोस्तों में यूनुस इतने बौरा गाए हैं कि उनका बस चले तो बांगलादेश को खींचकर पाकिस्तान से जाकर मिला दें। बांग्लादेश ने भूल चुका है कि इसी पाकिस्तान ने उसके तीस लाख नागरिकों को निर्ममतापूर्वक कत्ल कर दिया था और लाखों बांग्लादेशी महिलाओं के साथ इसलिए बलात्कार किया था ताकि बांग्लादेश की नस्ल ही बदल दी जाए अगर भारत दखल नहीं देता तो पार्किस्तान द्वारा शुरू किया गया कत्लेआम कहाँ जाकर रुकता, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
हजारों भारतीय सैनिकों को बांग्लादेशी अवाम
को बचाने के लिए अपनी कुबानीं देनी पड़ी तब जाकर ये कत्लेआम रुका था। उस वक्त पाकिस्तान अमेरिका की गोद में बैठा हुआ था, उससे लड़ने का मतलब था अमेरिका को चुनौती देना। इसके बावजूद इंदिरा जी ने अपने देश की सुरक्षा को खतरे में डालकर बांग्लादेशियों को रक्षा की। अगर रूस बीच में नहीं आता तो ब्रिटेन और अमेरिका की नेवी भारत पर हमला कर देती। आज वहीं बांग्लादेश उस युद्ध में भारत को सिर्फ सहयोगी मात्र बता रहा है। उसका कहना है कि सारी लेड़ायी मुक्तिवाहिनी ने लड़ी थी, भारतीय सेना तो सिर्फ उसका साथ दे रही थी। वी हैं कि पाकिस्तान के 90000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। इतनी बड़ी सेना के सामने खड़े होना भी मुक्तिवाहिनी के लिए संभव नहीं था।
सवाल पैदा होता है कि आज बांग्लादेश भारत से दूर और पाकिस्तान के नजदीक क्यों जा रहा है। वास्तव में बांग्लादेश में कट्टरता इतनी बढ़ गई है कि बांग्लादेशी पाकिस्तानियों से भी ज्यादा भारत से नफरत करने लगे हैं। शेख हसीना ने इन कट्टरपंथियों को दबाकर रखा हुआ था, इसलिये यह नफरत दिखाई नहीं दे रही थी। जब उनकी सरकार चली गई है तो बांग्लादेशियों की भारत और हिंदुओं के प्रति नफरत को पूरी दुनिया देख रही है। बंगलादेशी हिंदुओ का उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है' और बांग्लादेश की सरकार सो रही है। ऐसा भी देखने में आ रहा है कि बांग्लादेश की सेना और पुलिस भी हिंदुओं पर अत्याचार कर रही है। मुस्लिम देशों की सबसे बड़ी समस्या कट्टरता है जिसके कारण चो बबादों की ओर जा रहे हैं। भारत में अकसर मुस्लिम बुद्धिजीवी और नेता मुस्लिमों के पिछड़ेपन का रोना रोते हैं और इसका कारण सरकार और हिंदुओ को बताते हैं। उन्हें जवाब देना चाहिए कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा दूसरे एशियाई और अफ्रीकी देशों की बदहाली भी क्या भारत सरकार के कारण है। क्या सभी जगहों पर हिन्दू समाज जाकर मुसलमानों को बर्बाद कर रहा है। मुस्लिम समाज कट्टरता को पालंता- पोसता है और जब कट्टरता की मार भड़ती है तो रोता है।।
एक समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत से आगे बढ़ चुकी थी लेकिन भारत को बर्बाद करने के लिए पाकिस्तान ने अपने देश में कट्टरपंथी और आतंकवादी पैदा किये. आज वही कट्टरपंथी और आतंकवादी पाकिस्तान को बर्बाद कर रहे हैं। पाकिस्तान राष्ट्र तो नहीं क लेकिन एक देश जरूर बन गया और यह एक देश के रूप में कक्तक जिंदा रहेगा, ये देखने वाली बात है। बांग्लादेश आज पाकिस्तान के रास्ते पर चल पड़ा है और लगता है कि वे पाकिस्तान से भी पहले बर्बाद होना चाहता है। अगर कोई ठान ले कि उसने गड्ढे में कूदना है तो उसको कोई नहीं रोक सकता । बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न को देखकर भारत में राष्ट्रवादी बोल रहे हैं कि भारत सरकार बांग्लादेश को सारे निर्यात बंद क्यों नहीं कर देती। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर भारत बांग्लादेश को निर्यात बंद कर दे तो वो बर्बाद हो सकता है। वास्तव में शेख हसीना ने बांग्लादेश को बहुत मजबूत कर दिया है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था लगभग 450 बिलियन डॉलर की हो चुकी है जबकि पाकिस्तान की अभी 350 अरब डॉलर ही है। यह ठीक है कि भारत की अर्थव्यवस्था लगभग चार ट्रिलियन हो चुकी है लेकिन दोनों देशों के आकार को देखते हुए कहा जा सकता है कि बांग्लादेश भारत के बराबर खड़ा है। भारत और बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय लगभग समान है और एक बार तो यह भारत से ज्यादा भी हो चुकी थी। बांग्लादेश ने 1971 में एक अलग देश बनने के बाद बहुत तेज गति से विकास किया है। बांग्लादेश का वस्त्र उद्योग दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है। बांग्लादेश आज वस्त्र उद्योग की सप्लाई लाइन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है । सवाल यह पैदा होता है कि भारत को पीछे छोड़कर बांग्लादेश इतना आगे कैसे निकल गया ।
वास्तव में पश्चिमी देशों की व्यापार नीति का फायदा उठाकर बांग्लादेश ने यह काम किया है। गृहयुद्ध से निकलकर नये बने देश होने के कारण यूरोप और अमेरिका ने बांग्लादेश को यह रियायत दे दी थी कि वो उनको असीमित मात्रा में निर्यात कर सकता था जबकि भारत सहित दूसरे देश सिर्फ दो अरब डॉलर का ही वस्त्र निर्यात कर सकते थे। बांग्लादेश ने इस रियायत का भरपूर लाभ उठाया और दुनिया भर से कंपनियों को वहां आकर निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। बड़ी-बड़ी कंपनियों ने बांग्लादेश में उत्पादन करके पूरी दुनिया में निर्यात किया। भारत की भी बड़ी-बड़ी कंपनियों ने वहां से कारोबार किया। बांग्लादेश के निर्यात में वस्त्र उद्योग को हिस्सेदारी लगभग 80 प्रतिशत है जो कि लगभग 60 अरब डॉलर है जबकि भारत का वस्त्र निर्यात इसका आधा है। बांग्लादेश अपने वस्त्र उद्योग के
लिये कपास अफ्रीका से और मशीनरी चीन से मंगाता है। भारत से भी बांग्लादेश को कपास और मशीनरी जाती है लेकिन वो किसी भी तरह से भारत पर निर्भर नहीं है। ऊर्जा और खाद्य पदार्थों के लिए बांग्लादेश जरूर भारत पर निर्भर है लेकिन इसका भी वो इंतजाम कर सकता है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद युनुस सरकार आ गई है। वास्तव में बांग्लादेश में सिर्फ नाम की सरकार है. सब तरफ अराजकता का माहौल है। भारत ने अभी तक बांग्लादेश के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं किया है। अराजकता के कारण भारत से खाद्य पदार्थों की सप्लाई कम हो गई है और भुगतान न होने के कारण बिजली की सप्लाई भी कम कर दी गई है । वास्तव में बांग्लादेश की बबार्दी वहीं से शुरू हुई है जहां से उसका विकास शुरू हुआ था। बांग्लादेश का वस्त्र उत्पादन 25-30 प्रतिशत कम हो. गया है क्योंकि फैक्ट्रियां बंद होती जा रही हैं। इसका कारण यह है कि कंपनियां मजदूरों को वेतन नहीं दे पा रही हैं। वास्तव में यह सिर्फ शुरूआत है. अगर युनुस सरकार ने इस मामले में कुछ नहीं किया तो बांग्लादेश की बबार्टी को कोई नहीं रोक सकता। अब उसके पास पश्चिमी देशों की तरफ से दी गई रियायत भी नहीं है इसलिए भारत अब बांग्लादेश पर भारी पड़ता जा रहा है। इसके अलावा म्यांमार में संघर्षरत गुटों में से एक अराकान आर्मी बांग्लादेश की सीमा पर आकर बैठ गई है। अराकान आर्मी बांग्लादेश के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती है. ये कोई जिम्मेदार सेना नहीं है बल्कि एक विद्रोही गुट है। लगभग 50000 लड़ाकों वाली सेना बांग्लादेश पर कब्जा भले ही नहीं कर सकती लेकिन उसकी सुरक्षा को खतरे में जरूर डाल सकती है। बांग्लादेश की फौज दो लाख के करीब है लेकिन मुस्लिमध्शों की फौज की हालत हम सीरिया, अफगानिस्तान और इराक में देख चुके हैं। ये सेना रोहिंग्याओं के खिलाफ बनी है इसलिए म्यांमार से बांग्लादेश में रोहिंग्याओं को धकेल सकती है। इस सेना का बांग्लादेश की सीमा पर आना बांग्लादेश के लिए खतरे की घंटी है। जिस पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश दोस्ती कर रहा है उसकी सेना भी बांग्लादेश की मदद नहीं कर सकती। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि वो भारत से दोस्ती खत्म कर चुका है। भारत ही इस मामले में बांग्लादेश की मदद कर सकता है क्योंकि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत भी बांग्लादेश के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर सकता है क्योंकि अभी भारत वेट एंड वॉच की नीति पर चल रहा है। बांग्लादेश अभी नहीं सुधरा तो उसकी बबार्दी को कोई नहीं रोक सकता। शेख हसीना ने वर्षों की मेहनत से बांग्लादेश को जहां पहुंचाया है, वहां से नीचे आने में ज्यादा वक्त नहीं लगने वाला है।
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